Saturday, 30 December 2017

नए वर्ष की बधाई

नए वर्ष की आप सबको  बधाई
आती रहे आपकी काम वाली बाई
तन से ना हटे  आपके रजाई
मिलती रहे चाय बनी बनाई
पति की जेब की सफाई करें
सौ सौ  के नोट ही बस पार करें
मोदीजी नई  स्कीम चलायें
पत्नियों की इन्डैरेक्टकमाई बचाए
सब कितियों के पैसे आपको मिले
नए नए व्यंजन खाने को मिले
नोटों की ना भूलकर गद्दी लगायें
नई नई  अपनी ड्रेस सिलायें
पडोसी  के फल की डाल आपके घर झुके
उसके सामने खाएं उसका कलेजा फुके
सब हँसे मुस्कराएँ खुल कर जिए
आपके बच्चे स्वस्थ रहें और आपका खून पियें





Friday, 29 December 2017

नया वर्ष बालक

भारत मैं नया वर्ष आता भी एक शिशु के सामान है नन्हे शिशु की मुस्कराहट ह्र्दय मैं पुष्प पल्लवित करती है बसंत ऋतू मैं चारो ओरे हरियाली  छा  जाती है फूल ही फूल खिल जाते हैं धीरे धीरे किशोर होते वह योवन की तरफ बढ़ता है योवन का उल्लास ताप फिर प्रोढ़ अवस्था वर्षा की तरह ताप का शमन होने लगता है बस शीतल वर्ष सा नेह बरसने लगता है  . स्नेह की सरसता कापने लगाती है जेसे जेसे  अंतिम पड़ाव  की ओर बढ़ता है स्वेट चादर पृथ्वी ओढ़ लेती है उसके केशों मैं सफेदी आ जाती है हाथ पैर कपने लगते हैं और अंतिम साँस ले लेता है और फिर शिशु के रूप मैं जन्म लेता है नया साल छोटे बच्चे के रूप मैं। 

Tuesday, 26 December 2017

naya kya hai

नया वर्ष दस्तक दे रहा है नयी उमंग नै ऊर्जा नवीनता का एहसास कि नया साल आएगा नया संकल्प लेंगे कोई अच्छा काम करेंगे पुराने काम पूरे करेंगे पर क्या वास्तव मैं नया वर्ष है  कुछ नहीं बदलता है बस कपडे निकले रखे जाते हैं जो बार बार तन पर चढ़ते उतारते हैं फिर वही पुराण ही चलता है समय नया नहीं आता है वह तो आगे बढ़ता है प्रकृति का कालचक्र है नियम से बंधी प्रकृति बढ़ती रहती है चक्र ऊपर  चढ़ते जाते हैं वर्ष नया नहीं अत मन्वन्तर आते हैं हम सोचते हैं नया वर्ष आ रहा है और उमंग से भर उठते हैं अच्छा है नए वर्ष को नवजात बच्चे  की खिली मुस्कान की तरह लेते हैं जीवन मैं उमंग उत्साह तो बना रहता है यदि वास्तविकता की ओर जायेंगे कि हम उम्रदराज हो रहे हैं तो निराशा आएगी आशा है तो जीवन है जीवन है तो जगत है   

Tuesday, 10 October 2017

परिचर्चा

टीवी पर परिचर्चा सुनो पांच छ  बोलते चले जाते हैं कोई  नहीं सुनता है लगता है काक क सम्मलेन हो रहा है बेचारा संयोजक चीखता ही रहता है कितनी गले के दर्द की दवाई खाता  होगा बेचारा कोई सुन पाए न सुन पाए उन्हें बोलने से मतलब शायद इस बात का लाभ भी उठाना चाहते हैं की जब किसी की समझ्मै ही नहीं आयेगा तो उनकी बात का विश्लेषण भी नहीं होगा और फिर फालतू की चर्चा से बाख जायेंगे क्योकि कोई एक दुसरे को सुनना ही नहीं चाहता है सब दुसरे उन्हें बेवकूफ लगते हैं टीवी खोल कर बैठे श्रोता गण  उन सबको क्या समझते होंगे 

Friday, 6 October 2017

facts

since the sixth century the japanese throne has been occupied by a member of the same family Hirohito.

Mother

M      is for milion things she gave me
O       means only that she”s growing old
T       is for the tears she shed to save me.
H       is for her heart of purest gold
E       is for her eyes with love light shining
R       means right and right she”ll always be put them all together they spell mother a word that
means the world to me  

                             (Howard Johnson)  

Tuesday, 3 October 2017

देवी देव मनाएंगे

सच हम  भी न कुछ अजीब हैं न  त्यौहार के नाम पर  कितना बिगा ड़ते हैं हर त्यौहार बेचैनी लेकर अता  है जी घबडाता है  नव दुर्गा के नाम पर होने नदियों को प्रदूषित किया  उनमे जहर घोला  अपने देवी देवताओं को बहा कर अपमान किया  अब हम  नो दिन  सयम से रह लिए अब तुम जाओ अब फिर हमे वहशत भरी जिंदगी जीने दो जिसे हम पूजते हैं उसको पैरों टेल रोंदते हैं यह हमारी श्रद्धा है  देवी के आगे पूरी हाला का ढेर लगते जाएंगे  उस पर पानी आदि डालते जायेंगे  पुजारी उसे सरकता जायेगा और सुबह मंदिर की सफाई के साथ कूड़े के ढेर पर पड़ी होंगी इतनी दुर्दशा के साथ कि देवी तो क्या ढोर भी नहीं छूटे है  पानी मैं मूर्तियों पर लगा जहरीला रंग घुलता है फिर हम सर्कार को गली देते हैं कि पीला पानी आरहा था  मन करने पर की नदियों मैं मूर्ती मत  फैंको आस्था का सवाल आ जाता है जो पानी की सफाई के लिए गली दे रहे थे अब आस्था के लिए रोने लगते हैं
  कन्या पूजा करते हैं बच्चियों का झुण्ड बिना नहाये प्लास्टिक की थैलिया लेकर  सुबह ही निकल पड़ती हैं थैलों का वजन नहीं उठ पाता  तो कहीं किनारे पूड़ियों को पटक पैसे और सामान लेकर जाती हैं अष्टमी के दिन मैंने  जैसे ही लिफ्ट मैं कदम रखा देख कर सिहर गई कोने मैं पूरी हलुआ पड़ा था दस पंद्रह लड़कियों का झुण्ड सुबह ही अपरमेन्ट मैं घुस गया था दोसो घरों मैं से काम से काम सौ फ्लैटों से आवाज आई थी गॉडर्ड  लड़कियों को भेज दो  एक एक कर उनके पेट और बड़े बड़े थैले भर गए  इतना घर ले जाकर भी क्या होगा सभी छोटे भाई  लाएंगे अभी तो और घरों से आवाज आरही थी पैसे साथ लाये थैले मैं अलग से डाले तश्तरी बिस्कुट या अन्य सामन भरा पूरिया लिफ्ट कोने मैं उंडेली और पहुँच गए दुसरे फ्लैट मैं कोई कोई बच्ची टी आठ साल की   पांच साल ढ ऊँगली पकडे थी और साल भर की गॉड मैं अब सबका सामान कैसे उठ ले तब जो वास्तु सबसे काम उपयोगी है व्ही टी फिकेगी  यह हमारी आस्था है पता नहीं इससे कौन सी देवी प्रसन्न हुई और कौन सी नाराज अन्नपूर्ण तो जरूर गुस्सा हुईहोंगीं 

Tuesday, 26 September 2017

jindagi

ge rqe g¡ls jks;s feydj ;gh rks ftUnxh gS
bl dnj Hkh u g¡ls jks;s [kqnk dks gh g¡luk iM+s
f[kykSus gS ge rqe lHkh VwVdj fc[kjuk gh fu;fr gS

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कौन apna

अनजान चेहरे अपने से लगते हैं
खास अपने अनजान से रहते हैं
दुःख हो तो मुहं  फेर लेते हैं
सुख देख कर जलते रहते हैं 

Saturday, 23 September 2017

छुट्टी ही chutti

भारत मैं अनेक धर्म हैं अंक रंग हैं वर्ण हैं सम्रदाय हैं उनके अपने अपने त्यौहार हैं  अपने अपने पूज्य हैं हर धर्म हर वर्ग हर जाति  चाहती है कि  वह भी  समाज मैं जाने जय यदि एक हिन्दू धर्म की छुट्टी है  एक हिन्दू संत की जयंती है उनके भी गुरुओं की भी छुट्टी मिले राष्ट्रीय त्योहारों के आलावा भी भारत मैं पर्व और त्योहारों की छुट्टी कॉलेज दफ्तरों मैं की जाती है और धीरे दीरे संह्क्य बढ़ रही है एक के बाद एक नै मांग बढती है कि उनके मान्य के नाम की भी छुट्टी की जाये। छुट्टी करने से तात्पर्य क्या है यह समझ नहीं आता है कि तात्पर्य क्या है बड़े पर्व और त्यौहार पर छुट्टी समझ आती है कि हंसी ख़ुशी से परिवार के साथ पर्व मनाया जाये होली दिवाली ईद क्रिसमस आदि पर धीरे धीरे बढती जयंतियों पर  कहाँ तक उचित है इन पर छुट्टी मांगने वाले बता सकते हैं उससे किसका भला होगा देश का बच्चों का व्यापार का इंडस्ट्री का या सरकारी कामकाज का बैंकों आदि का छुट्टी के नाम पर घर पर बैठना किसी को यह भी न पता लग सके कि किस बात की छुट्टी है एक आलस्य भरा दिन और बच्चो की पढाई से मुक्ति पर देश का बच्चों के भविष्य का अहित साथ ही यह नहीं मालूम जिस की जयंती के लिए छुट्टी की जा रही है वह कौन था
क्या इससे अच्छा यह नहीं है कि बाकायदा कॉलेज दफ्तरों मैं अंतिम दो घंटे मैं उस व्यक्ति के जीवन चरित्र से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाये जिससे उनकी पढाई का भी हर्ज न होय और उनके ज्ञान की भी वृधी  होगी साथ ही प्रचार होगा साथ ही प्रचार भी होगा कि हमारे देश मैं इसे भी व्यक्ति हुए हैं।
बैंक दफ्तरों के प्रारंभ होने से पहले कुछ समय उस व्यक्ति विशेष के  विषय मैं बताया जाये जयंती यह सार्थक होगी या छुट्टियाँ बढाकर हम अपने देश को बर्बाद करने मैं सहायक हो रहे हैं एक दिन शीघ्र आएगा की ३६५ दिन छुट्टी के हो जायेंगे वैसे तो अफ़सोस है की हमारे यहाँ कितने कम हैं कितनी कम छुट्टी के योग्य हैं सभी जातियां अपने अपने धर्म गुरुओं के नाम पर छुट्टी लें बाकि तो लूटपाट उधम दंगा जुलूस तो है हिन् जब काम करना ही नहीं है तो कुछ तो करेगा  तोड़फोड़ ही सही सोचते हैं की सररकार का नुक्सान कर रहे हैं पर यह नहीं जानते सरकार के पास पैसा किसका है  जनता का ही है उसका ही नुक्सान है 

education valueless

you need power only when you want to do something harmful otherwise smile is enough to get everything done
--
welcome to the 21 century
our phones wireless
cooking                fireless
cars                      keyless
food                      fatless
tyres                     tubeless
dress                     sleevless
youth                              jobless
leaders                  shamless
relations               meaningless
Attitude                careless
feeling                   heartless
education              valueless

mobile aya camera khatam
mobile aya wristwatch khatam
mobile aya radio khatam
mobile aya mp3 khatam
mobile aya calcutater khatam
mobile aya sakoon khatam
aur agar apke mobile apki biwi ke hath aya toh maa kasam aap katam
badalti dunia ka esa asarhamo

Once upon a time when window was just a square hole in a room and application was something written on a paper when key board was piano and mouse just an animal .when file was an important office material and hard drive just an uncomfortable road trip the cut was done with knife and paste with glue when web was a spider”s home and blackberry were just fruits . when we had a lot of time for friends and family. -----


Saturday, 2 September 2017

आनंद अपने अन्दर है

आनंद प्राप्त करने  के लिए बहार के साधनों  मैं भटकने वाला आनंद के बदले दुःख ही प्राप्त करता है
 निर्मल आनंद प्राप्त  लिए तो अंदर झांकना आवश्यक है ा इन्द्रियां अंतर्मुखी हों तो आनंद प्राप्त होगा  और यदि वे बहिर्मुखी होगी तो सुख दुःख मैं पड़ेंगी
अर्थात बहार के साधनों मैं आनंद है ही नहीं इतना निश्चित है मन जब अंतर्मुखी होता है तभी वह चैतन्य परमात्मा का स्पर्श कर सकता है  और जब चेतन प्रभु का स्पर्श होता है तभी अनिर्वचनीय  आनंद प्राप्त होता है 

Tuesday, 29 August 2017

जनता बहुत भोली है

हमारे भारत की जनता बहुत भोली है  क्या अब भी वे बाबाओं पर विश्वासकरते रहेंगे कितना समय  है जो समय किसी काम में लगाना चाहिए वो  बाबाओं के चक्कर मैं बर्बाद कर देते हैं
क्या जन धन की हानी करने वालों को अपने पर जरा भी अफ़सोस होगा की उन्होंने किस के लिए अपनी जिंदगी बर्बाद कर दी एक बाबा की अय्याशी के लिए करोड़ों लोगो ने अपने को बर्बाद किया अपने बच्चों के मुंह से निवाला छीन कर  एक बाबा की अय्याशी का समान जुटाया किस लिए खुद उन्हें क्या मिला कुछ  दिन घर से किसी भी उदेश्य को लेकर जाना है तो अन्यत्र भी जाया जा सकता है
जिस जनता ने पञ्च कुला को आग के सुपुर्द किया  क्या समागम मैं जाने वाली ही जनता है जो मरे वे तो समागम मैं जाने वाले थे पर जीनोने मारा सब नवयुवा वर्ग था

Sunday, 27 August 2017

अलग अलग चेहरे

lQy vfHkusrk dk thou gh vfHku; ek= gks tkrk gS A ge Hkh thou esa vusd :Ik j[krs gSa gj {k.k :Ik cnyrk jgrk gS okLrfod thou vius vki esa lQy vfHku; dh dlkSVh gS vki vPNs firk vPNs iq= vPNs ckck vPNs HkkbZ vPNs ifr lc dqN rks curs gSa cl vPNs gksus pkfg;s vkidk O;ogkj vPNk gksuk pkfg;s nwljs lkeus okyk fdruk Hkh dVq O;ogkj djys vlR;rk dh gn ikj dj tk; ij vki ugha fNius pkfg;s vkidk thou lQy gS vki vlQy dSls gks ldrs gSa

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Monday, 21 August 2017

प्रवचन

izopu esa dFkk,sa dsoy Hkkoqdrk c<+kus okyh gksrh gSa ftlls Hkkoqd gksdj L=h iq#’kksa dh vka[kksa esa ueh vk tk;s vkSj vc HkDr tc viuh ohfMvks curs ns[krs gsa ;k dSejs dh tn esa cSBrs gSa rks vkWa[ksa iksaNus yxrs gSa ftlls Vhoh esa vONs ls HkDr fn[kkbZ nsa A gj dFkk HksnHkko  viuk rsjh NksM+us cM+ksa dk eku vknj djus  bZ”oj esa vkLFkk j[kks yM+ks ugha HkkbZ HkkbZ esa I;kj A bl izdkj dh dgkfu;kWa lqukrs gSa ftUgsa lqudj flldus okys lkjk izopu ogha lqudj ?kj tkdj Hkwy tkrs gSa fd lRlax esa D;k lquk A lp rks ;g gS lRlax lquus ugha djus tkrs gsa efgyk,  ?kj ls fudy tkrh gSa dqN le; ds fy;s ?kj dh ftEesnkfj;ksa ls eqDr gks tkrh gsa ;k [kkyh gksrh gSa rks bl cgkus le; dV tkrk gS ogh iq#’k ds fy;s gS [kkyh le; dSls dVs pyks bl cgkus le; dVs vkSj lekt esa Hkh Hkys dk VIik yxk jgs vPNs vknrh gsa HkDr vkneh gSa ?kj esa csVs cgqvksa ls izrkfMr gksdj dqN nsj le; fcrk ysrs gSa cgqrksa dks eSaus eafnj esa isM+ ds uhps pqipkki lRlax ds ckn Hkh cSBs ns[kk gS iwNus ij fd ?kj ugha tkuk gS *pys tk;saxs tYnh D;k gS dqN nsj eSa Hkh “kkafr esa vkSj ?kj okys Hkh A

Friday, 18 August 2017

बढ़ता सत्संग

vktdy txg txg izopu nsus okyksa ds f”kfoj yxrs gSa fo”kky ikaMkyksa esa yk[kksa dh HkhM+ igqWaprh gS ; vkJeksa esa eafnjksaa es  pekpe oL= vkSj eagxs ghjs tfM+r xgus igus jkx fojkx dh ckrds djrs gSa vkSj osn iqjk.kksa ls ;k /kkfeZd iqLrdksa dY;k.k vkfn ls NksVh NksVh ekoiz/kku dgkfu;kWa ;kn djds izHkko”kkyh <ax ls lqukrs gSa cl cksyus dh dyk vkuh pkfg;s nafu;k vkids dneksa esa fn[ksxh ,d nks Hktu Hkh xkus vkus pkfg;s ugh arks  cgqr cM+s HkDr gSa ;s ukp dj  eVd dj ugha fn[kk;saxs gtkjksa dh HkhM+ rHkh >wesxh vkSj viuh esgur dh dekbZ vkids pj.kksa esa xnxn gksdj p<+k;sxh ftls vki lqjk lqanjh ds miHkksx esa [kpZ dj ldrs gSa Acksyus dh {kerk vkuh pkfg;s iUnzg chl lky ds yM+ds vkSj yM+fd;k ,d uxh  cM+s cM+s ghjs dku esa nedkrs  cksy cksy dj vkidh vkWa[kksa esa vkalw ykrs gSa  lÙkj vLlh lky ds o`) Hkh mudks lk{kr naMor~ djrs gSa vkSj os cM+h xgjg eqLdjkgV ds lkFk mUgs vk”khokZn nsrs gq, cM+h cM_h xkfM+;ksa ds dkdQys ds lkFk vius vkjke x`g esa pys tkrs gSaa A

izopu nsus okys iafMrksa dh Hkh HkhM+ c<+ xbZ gS muds nksuksa vksj paoj Mqykrh deuh; yM+fd;kWa [kM+h gksrh gSa  tks ikyZj ls fo”ks’k esdvi djkdj vkrh gSa ,d Hkh L=h dkyh o`)k ;kiq#’k lsok;r ugha fn[ksxk ;fn fn[ksaxs rks rxM+s fpduk;s “kjhj okys iaMs A

Thursday, 17 August 2017

सबको अपने चश्मे से देखना

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Monday, 14 August 2017

भूख का जिम्मेदार कौन

दिव्यांग माँ बेटे ने आत्महत्या  भूख से करली सीधे इसकेलिए भी सरकार दोषी कि योगी उसके घर क्यों नहीं देख कर ए कि वह भूख से मर रहा है जानना चाहूंगी माँ दिव्यांग थी  क्या बीटा भी दिव्यांग था  अगर थे तो दिव्यांग योजना मैं क्यों नहीं नाम लिखवाया वैसे मुझे मालूम है अगर योजना मैं नाम लिखा भी लेते तो बिना पहुँच  या बिना पैसे दिए वो  दिव्यांग योजना का लाभ नहीं उठा सकता था हमारे यहाँ  अफसर  बिना खये तो रह नहीं सकते चाहे बदन पर चीथड़े होंगे उससे भी कहेंगे जा चीथड़े को बेच दे पर तेरे को सांस भी तब ही लेने दूंगा  जब म्रत्यु सर्टिफिकेट देने मैं भी पैसे मांग लेते हैं उनकी आत्मा को क्या कहेंगे
वैसे लोग शराब पी लेंगे पर घर मैं दाना नहीं लायेंगे बैठे बैठे खाने को मिल जाये पत्ता न हिलाना पड़े यह कोशिश रहती है अगर काम करना चाहता  है तो जरूर मिलता है मैं बहुत से लोगो से मिलाती हूँ काम करने वालों की बहुत समस्या है काम नहीं करना चाहते  एक क्या कोई पडोसी रिश्तेदार कोई नहीं था फिर आजकल लंगर भंडारे इतने होने लगे हैं की भूख से मरना तब संभव है जब घर से भी निकलने न\मैं लाचार हों हर दिन तो किसी न किसी देवता के नाम है और भगवान् को मनाने की श्रद्धा बढती जा रही है
अब हर व्यक्ति यह चाहता हाउ बैठे बैठे बिना काम किये सर्कार आकर मुंह मैं खाना दाल जाहे की हम आभारी हैं की आप हमारे देश को आबाद किये हुए आओ दुनिया मैं आये यह हमारी जिम्मेदारी है
अनाथालय वृधाश्रम आदि की बाढ़ भी आई है सवाल है क्या ब्रधाश्रम होने चाहिए  

बच्चो के हत्यारे

अपना  काम   बनता   भाड मैं जाये जनता  जहाँ  यह प्रवृति है वहां लोग बंच्चों के प्रति अपनी सहानुभूती  दिखाते हैं तो दोगले चेहरे पर क्रोध आता है किसी भी राजनीतिक  पार्टी के समय कोई हादसा होता है अस्लिमुद्दे से ध्यान हटाने के लिए वर्तमान सरकार को कोसना प्रारम्भ कर दिया जाता है  फिर उसके विरोध मैं जूलूस नारे और गुंडों द्वारा लूटपाट शुरू कर दी जाती है  संवेदनाओं की बात करते हैं अगर अखबार उठायें तब देखें जब बलात्कार के बाद मर कर फांक दिया जाता है चाहे छ  महीने की बच्ची हो  या बीस साल की युवती  क्या वे बच्चियां नहीं हैं उनमें जान नहीं होती है क्यों उन्हें रबर की बेजान गुडिया सम्ह्ग लिया जाता है तब क्यों अखबार को पलट कर रख दिया जाता है  जेसे रोज की  बात है  भ्रूड  हत्या करने वाले बच्चों के हत्यारे नहीं हैं  बच्चों की म्रत्यु प्रकरण मैं सधे सरकार को दोषी कहा  जरूर सरकार को दोषी ठहराने वाला असली हत्यारो को बचने की कोशिश मैं है क्योंकि असली दोषी कॉलेज प्रबंधक हैं अगर ओक्सिज़न  नहीं मंगाई थी तो मरीज भारती क्यों किये उन्हें दुसरे स्थानों पर क्यों नहीं भेजा गया अन्य वार्डों मैं भी  ओक्सिज़न  होगी नहीं तो तुरंत  मार्किट से क्यों नहीं  खरीदी गई जब पैसा था तो क्यों दबा कर रखा जा रहा था  क्यों नहीं स्थिति बच्चों के माता पिता को बताई गई  सरासर कॉलेज प्रसाशन और वहां तैनात स्टाफ बच्चों का हत्यारा है अखबार बजी करके लोग अपनी सियासत की रोटी सेक लेंगे पर पूछो उनसे जिन्हें मन्नतों के बाद नहना जीवन मिला होगा  सच दोलत बहुत से पापों का कारण है 

Thursday, 10 August 2017

आप बनो



lksuk feV~Vh esa gksrk gS mlesa ls gh Nudj mHkj dj vkrk gS euq’; ds fy;s t:jh ugha fdlh fo}ku ds ?kj tUe ysuk tks Lo;a fudydj vkrs gSa os gh lksuk curs gSa A lksuk Bksl rHkh gksrk gS igys mls fi?kyuk iM+rk gS rHkh og Bksl curk gSA dqanu cuus ds fy;s vkd`fr cuus mlesa vusdksa uxhus tM+us ds fy;s mls ckj ckj ijh{kk,sa nsuh iM+rh gSa rc tkdj mlsh lqanjrk c<+rh gS mlesa uxhus tM+ tk;Wa blds fy;s vius vanj txg cukuh iM+rh gS rc uxhuk tM+rk gS vkSj ge ÅWapkb;ksa ij igqWaprs gSa A

Sunday, 6 August 2017

antarअर्थ

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eSa tks djuk pkgrk Fkk ugha dj ik;k vFkZr eSa gkj eku jgk gWwa
gekjs ih ,e ij dksbZ maxyh ugha mBk ldrk oks Hkz’V ugha gSa vFkZr~ ekurs gSa fd ckdh lc Hkz’V gSa A

dj dSls cpk;sa vFkZr~ ljdkj dks pwuk dSls yxk;sa A

Wednesday, 5 July 2017

दूध बहाया

वेचारिक मतभेद  मानवीय मस्तिष्क की एक प्रक्रिया है  ये मतभेद आवश्यक  नहीं दूसरों के हित की सोचने के लिए हों हर जगह अपना स्वार्थ सिद्ध ही करना  प्रवर्ती है बात राजनीति की हो तब तो  और भी स्वार्थ  सर उठानेलागते हैं जनता के हित की बात करके नेता अपना उल्लू सिद्ध करते हैं  जनता के हित अहित से उन्हे कोई मतलब नहीं होता बस  विरोध करके सामने वाले को परेशां करना ही मंतव्य होता है
 यह क्या है  क्या सोच है विरोध प्रगट करने  के लिए दूध केन के केन  नदी मैं बहा दिए  यह विरोध नहीं अन्न का अपमान है  उन बच्चों से पूछो जिन्हें  दूध देखने को नसीब नहीं यह  घोर  अपराध  मन चाहिए जिस भी कार्य से जनता को पीड़ा पहुंचे ऐसे विरोध अपराध की श्रेणी मैं आने चाहिए। जाम  लगा कर मार्ग रोकने से किसका हित होता है  किसीका नहीं परेशान जनता होती है  आज एक परिवार  उस जाम की वजह से मौत के मुहमैं चला गया  जाम लगाकर नेतागिरी कर ली पर उजड़े जनता के घर। आरक्षण के नाम पर लोगों के घर जलना वहां फूंकना  उनकी बहन बेटियों को परेशान करना ये क्या  क्षमा करने योग्य है। जिस भी  प्रकार से जनता को परेशान करने वाले नेताओं को जनता को भी स्वयं बहिष्कार कर देना चाहिए। जाम लगन वालों को घर से नहीं निकलने देना चाहिए घर मैं वैठो

Monday, 3 July 2017

मैं एक नन्ही कली

eSa uUgha dyh


eSa ,d uUgha dyh
rqeus eq>s yxk;k
eq>s lgstk
eS vHkh f[kyh Hkh ugha
rqeus rksM+ fy;k
[kkasl fn;k izsfedk ds ckyksa esa
rfd;s ij
dqpyh xbZ eSa

rqeus eq>s
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Hkkxrh HkhM+ ds
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eu gh eu bBykbZ
nsork ds izfr J)k
vfiZr Hkh u dj ikbZ fd
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बूके देना बंद करें

फूल  की भी कैसी किस्मत है जिसने नजर डाली बुरी नजर डाली अ उसका सुन्दर होना अभिशाप हो जाता है  उसे पूरी तरह डाली पर खिल कर खुशबू भी नहीं बिखराने देते हैं।  बहुत खुशबू दर फूल है तोड़ लेंगे और एक दो बार  सूंघ कर फेंक  देंगे।  तब क्या फूल की  दशा पर किसी ने बिचार किया।  नेता को खुश करने के लिए कीमती बुके बनवाया  नेता को फुर्सत नहीं की उसकी  ओरे देखे  वह  लेन वाले को भी ठीक से नहीं देखता साथ  मैं खड़े अर्दली को पकड़ा  देता है  और अगले के लिए हाथ बढा देता है  फिर वे एक दुसरे के ऊपर पड़े अपनी किस्मत को रोते है बहुत हुआ दो चार  दो चार सब कर्मचारी बाँट लेते है। या  एक कोने मैं पड़े रहते है भीड़ मैं कुचल जाते हैं अ किसी की वश्गंथ होती है विवाह की  रजत जयंती होती है पांच सौ  छ सौ हजार दो हजार का बुके लेट हैं  एक तरफ रखता जाता है बाद मैं कार्यक्रम की समाप्ति पर करीबी रिश्ते   दारों से कहता है भाई तुम लोग ले जाओ मैं कितने लगाऊँ मन ही मन कहता है  इससे तो नकद देते या गिफ्ट तो कम से कम पार्टी का खर्च तो निकलता  और दुसरे या तीसरे दिन वे फूल गल कर बदबू देने लगते है और कूड़ेदान का सफ़र तय होता है।  जितना अपमान  मान करने के लिए पहनाई जाने वाली फूलमाला का होता है किसी का नहीं पहनाये जाने के साथ ही उतारे जाने की तयारी हो जाती है तुरंत  उतार कर रखदी जाती है  फिर वह मेज पर ही पड़ी रहती है  पहनने वाले चले जाते हैं और मेज पर  थोड़ी थोड़ी दूर पर इसे ढेरियाँ लगी होती हैं जब  सुबह लोटे ले कर चलने वाले छोड़ कर जाते हैं। बूके लेना और देना बंद किया जाना चाहिए 

Monday, 5 June 2017

भारत पाक मैच

मैं  एक  आम  भारतीय  जिसे अपने देश की आन बान  शान  सबसे प्यार है भारत की मिटटी की गंध सा रे विदेशी पर्फ्युमों  से बढ़कर है।  पर एक बात मैं  नहीं समझ पी  सेना के जवान शहीद हो रहे हैं  पाकिस्तान कुटिल घाट कर रहा है हमारे देश ने सर्जिकल स्ट्राइक की जिसने हमारा और हम से ऊपर हमारे जवानो मैं  यह भावना आई होगी कि देश हमारे साथ है हमारे सेनिकों के साथ है देश का बच्चा बच्चा रोता है यदि एक भी गोली पाकिस्तानी चलते है नेताओं की वजह से हमारे कश्मीर की यह हालत हो गई अ जिन्दगी  पर चल रही है शोक के बीच भी
मैं असली बात पर आती हूँ  यह बात उठाई गई कि क्रिकेट  पकिस्तान के साथ नहीं खेला जाना चाहिए  पर मैं तो सोचती हूँ पाकिस्तान को हर क्षेत्र मैं  हराना चाहिए उसकी औकात दिखानी चैये  हर गेंद पर मैं तो एक पाकिस्तानी को पिटते सोच रही थी एक विकेट गिरता  मेरे ख्याल मैं एक उनका शिविर  गिरता। हेर तरफ से उस्कमनोबल गिरना जरूरी है  भारत पकिस्तान मैच  मनोरंजन नहीं अपने देश का मान है  उसे भारत के लोग इसी लिए देखते हैं वैसे तो पाकिस्तानियों को हारते देख नहीं पते पर जब एक एक चेहरे पर लटकन देखते हैं तो बहुत अच्छा  लगता है
सर्जिकल स्ट्राइक पर हर असली नागरिक की आंख मैं चमक आई थी  सवाल तो पकिस्तान के पिठु ओं  ने उठाये थे देश के नागरिकों ने गर्व से सर उठाये थे क्रिकेट पर जसं  तो जरा देर का जोश है और क्यों नहीं होना चाहिए  यह भी देश का ही मान है  

Thursday, 1 June 2017

ठण्ड रख

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हसना मना है

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Monday, 29 May 2017

प्रार्थना

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Friday, 14 April 2017

जाति से नफ़रत न करें

योगी जी का  एक खाना बनानेवाला मुस्लमान है इस पर आज सवाल  उठे।  वैसे उस मैं कही कोई तथ्य नहीं था पर मुसलमान  एक धर्म है और जो व्यक्ति देश मैं किसी भी पद पर है चाहे नेता हो या सरकारी  ऑफिसर उन्हें जातिगत भेद भाव करने का अधिकार नहीं मिल जाता है  अगर रसोइया मुसलमान होता तो यह उनका बद्दप्पन होता  हम उसके हाथ का क्यों नहीं खा सकते विचारों से नफरत होनी चाहिए व्यक्ति से नहीं जो देश के विरोध मैं बात करते हैं वे अस्पृश्य  हैं न कि  जाती से ये मत भूलो कि भाजपा की जीत मैं मुसलमान महिलाओं का बहुत  बड़ा हाथ है रही मीट खाने की बात तो आज शाकाहारी बहुत काम ही हैं  ब्राह्मण तो दबा के मीट खाते  हैं।  एक नेता जी विदेश गए वहां वे गे का मीट खा रहे थे किसी ने टोका नेताजी ये क्या भारत मैं तो  आंदोलन चल रहा है गाय पूज्य है और आप ? तो नेताजी बोले  "ये विदेशी गाय  है भारत की नहीं " यह ही हमारा दोहरे मानदंड हैं। 

Tuesday, 11 April 2017

सजा किसको

आज समाचार मैं प्रमुख खबर थी कि  एम्बुलेंस को रास्ता न देना भारी पड़  सकता है।  मानवीयता के नाते यह परम आवश्यक है हम एम्बुलेंस को रास्ता  दें क्योंकि उस के अंदर मरीज अधिकतर  गहन चिकित्सा के लिए शीघ्रता से ले जाया जाने वाला होता है एक एक पल की उसे जरूरत होतीहै न जाने किस एक पल की कमी की  वजह से उसकी सांस डोर  टूट जाये न जाने किस का सुहाग उजाड़ जाये किस का लाल खो जाये या किसके पिता का प्यार  चला जाये और बच्चे अनाथ हो जाएँ  .  लेकिन  यह भी आवश्यक है कि  एम्बुलेंस मैं मरीज ही हो  न कि  बस अड्डे  से स्टेशन  से लायी  सवारी हो  अस्पताल वालों के रिश्तेदार इधर से इधर जाने के लिए सवारी के रूप मैं जाते है उसे गाड़ी की तरह प्रयोग लेकर  हूटर बजा रास्ता साफ़ करवा कर पीछे वालों को चिढ़ाते भाग जाते हैं  भारत मैं सुविधाओं का दुरूपयोग पहले होने लगता है ा
जैम  मैं फंसी  एम्बुलेंस लाख हूटर बजले  कूद कर या उड़ कर तो जाएगी नहीं  तब किस को सजा होगी एम्बुलेंस के आगे वाली गाड़ी  या जाम  के सबसे आगे वाली गाड़ी या अड़े टेड़े खड़े सड़क के वाहनों पर  या बीच सड़क पर रुक कर बात करने वालों पर या किसी की भी लापरवाही हो चाहे स्वयं तेज गाड़ी चला कर मरने फिर उसके रिश्तेदार  रास्ता रोक देते है और तब न जाने कितने बच्चे  एग्जाम देने से रह जाते है कितने मरीज डैम तोड़ देते है और कितनो की ट्रैन निकल जाती है तब किसको सजा होगी 

Tuesday, 4 April 2017

जो पूज्य है

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मेला

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Sunday, 19 February 2017

मम्मी सच बोलो

    मधु ने आश्चर्य से अपनी मम्मी की ओर देखा। अभी उसके गाल पर मम्मी की उंगलियों के निशान थे और उसकी बड़ी बड़ी आंखों में आंसू। आज मधु का परीक्षा फल आया था सब में जैसे तैसे पास इसी बात पर मम्मी ने कसकर चांटा लगाया था और अब विमला आंटी से कह रही थी हमारी मधु तो फर्स्ट आती है हमें कोई परेशानी नहीं। वह तो कभी फर्स्ट तो क्या पहले दस बच्चों में भी नहीं थी।
‘मैं फर्स्ट... नही आई हूँ ’कह पाती कि मम्मी ने डांटते हुए कहा, जाओ हाथ मुँह धोओ यह तो होता ही रहता है अबकी बार सही।
विमला की आंखों में संशय देख सुनीता बोली, ‘अरे! विमला बहन आज ही तो रिजल्ट आया है इस बार दो नंबरों से पीछे रह गई है ,सैकिंड आई है तबसे रो रो कर बुरा हाल कर रखा है। अब कान्वेट स्कूलों में एक एक नंबर से कम्पटीशन रहता है।’ विमला के दोनों बच्चे सरस्वती स्कूलों में पढ़ रहे थे। सुनीता के चेहरे पर गर्व का भाव था।
मधु जब तक तैयार होकर आई तब तक कमरा बहुत सी आंटियों से भर चुका था। अज घर में किटी पार्टी थी। कमरा हाय! नमस्ते जी नमस्ते से गूँज रहा था। सबका विषय बच्चों की अंग्रेजी स्कूलों की पढ़ाई का भार और उनका रिजल्ट था। मधु ने नेहा और क्षिप्रा को देखा। मधु को देखते ही उसकी मम्मी बोली, मधु अपनी सहेलियों को बाहर लॉन में ले जाओ।
झूले पर झूलते क्षिप्रा नेहा से बोली,‘नेहा मेरी कौन सी रैंक आई है ’
       ‘मेरी सेविनटीन्थ आई है ’
       ‘पर पता है तेरी मम्मी गोयल आंटी से कह रही थी कि तू फर्स्ट आई है,मुझे तो हंसी आ रही थी’
       ‘मम्मी की क्या मम्मी तो  आंटी से कह रही थी  कि तू फर्स्ट आई है ’ नेहा ने बडों की तरह गर्दन मटकाते हुए कहा ‘फर्स्ट तो हमेशा दीपा ही आती है या निकिता ’
मधु की समझ में नहीं आ रहा था कि सब मम्मियॉं झूठ क्यों बोलती हैं । कल मम्मी सेल में दोसौ रूपये की ड्रैस लेकर आई और बारह सौ की बता रही थीं । अनू तो कह रही थी हम बड़े होटलों में शाउी ही में जाते हैं पर उसकी मम्म्ी कभी किसी होटल का कभी किसी होटल का नाम लेकर कहती हैं कि  डिनर वहॉं किया । पर जब कि खाली चाट खाकर वापस आ जाते हैं ।ऊपर से यह फर्स्ट आने की बात खूब रही ।यहॉं तो सबके बच्चे फर्स्ट आते हैं । अपने गाल को सहलाती हुई भी वह हंस पड़ी । तभी चलने के लिये नेहा की मम्मी ने आवाज लगाई तो झूला छोड़ सब अंदर आ गईं
  तभी एक महिला बोली, ‘मधु रिजल्ट दिखाना अपना।’
‘रिजल्ट ’भरे हुए गले से मधु जोर से बोली, ‘मैं नहीं दिखाऊँगी अपना रिजल्ट। मैं नेहा क्षिप्रा कोई भी फर्स्ट नहीं आता। मैं तो अर्थमेटिक में फेल हो गई हूँ। फर्स्ट तो हर साल दीपा आती है। ओर बताऊँ छुट्टियों में मम्मी कहीं पहाड़ वहाड़ नहीं जाती बस नानी घर रहकर आ जाती है।’
मम्मी की तीखी आवाज उसके कान में पड़ी ,‘मधु...मधु क्या बात है जाओ यहॉं से।’
‘नहीं मैं सब बताऊँगी। सब मम्मियाँ झूठ बोली है ? झूठ क्यों बोलती है यह मेरी फ्राक ़़़़’  ‘ मधु ज्यादा बड़ों के बीच नहीं बोलते ’ मम्मी चकी तीखी आवाज से रोती हुई मधु अपने कमरे में जाकर चादर ओढ़ कर लेट गई। मन ही मन डर से कि आज अभी और पिटाई होगी। लेकिन फिर भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि वह सब कह आई।   

नया जीवन


एक धनी किसान के दो पुत्र थे। छोटा पुत्र पिता के कठोर अनुशासन से घबड़ाता था। उसे हाथ खोलकर खर्च करने का शौक था। वह समझता पिता के पास इतना धन है पर वो हम पर खर्च करना नहीं चाहते। वह प्रतिदिन पिता से झगड़ा करता। एक दिन उसने पिता से कहा, ‘पिता् जी मुझे मेरा हिस्सा दे दो। मैं अपना जीवन अपने ढंग से निर्वाह करूँगा।’
पिता ने सारा धन दो हिस्सें में बाँट दिया। छोटा पुत्र अपने हिस्से का धन लेकर विदेश चला गया। धनी व्यक्ति को देखकर अनेकों चापलूस उसके साथ मिल गये और सारा धन शौक मौज में खत्म कर दिया। शीघ्र ही वह बहुत गरीब हो गया। यहाँ तक कि उसे नौकरी करके पेट पालना पड रहा था। उसने सूअर चराने की नौकरी की। कभी कभी भूख से व्याकुल वह सूअरों के लिये बनाया खाना भी खा जाता था।
जब बहुत परेशान और दुःखी हो गया तो उसने सोचा मेरे पिता के यहाँ तो बहुत से नौकर हैं और बहुत अच्छा खाते पीते हैं। मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ क्यों न पिता के घर जाकर नौकरी कर लूँ। जाकर पिता से कहूँगा मैंने आपके और भगवान के प्रति गुनाह किया है मुझे माफ कर दीजिये तो अवश्य पिता मुझे माफ कर देंगे और मैं कहूँगा कि मुझे अपने नौकरों की तरह ही रख लीजिये।
वह वापस पिता के घर पहुँचा। लेकिन जब उसके पिता ने उसे देखा तो दूर से ही दौड़ कर उससे गले मिले। पुत्र ने पिता के गले में बांहें डाल दी और रोते हुए बोला,‘ पिता जी मैंने पाप किया है मैं आपका पुत्र कहलाने लायक नहीं हूँ। आप मुझे अपने यहाँ नौकर बना कर रख लीजिये।’
लेकिन पिता ने नौकरों को बुलाकर अच्छे वस्त्र मंगाये ,‘मेरे पुत्र के लिये सर्वोत्तम वस्त्र लाकर पहनाओं। उसके हाथों में अंगूठियाँ पहनाओं और पैरों में कीमती जूते। आज हम अपने पुत्र की वापसी का जश्न मनायेंगे क्योंकि अब तक वह मृत था अब जीवित हो गया है वह खो गया था अब फिर से मिल गया है।’
पुत्र पश्चाताप की अग्नि में जलता पिता के पैरों पर गिर पड़ा।


Friday, 17 February 2017

लड़कों को कुछ नहीं होता

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Thursday, 9 February 2017

क्या यही सच है

कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता कितना ही सफल व्यक्ति  अगर जीवन के पृष्ठ पलट कर देखेगा उसे अनेकों गलतिया भूलें नजर आएँगी कि अगर यह किया होता तो कितना अच्छा  होता या यह न किया होता तो कितना अच्छा  होता  पृष्ठ पलटते  भी हैं फिर सोचते हैं मत देखो भूलों को अब भूल नहीं करेंगे पर फिर करते हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तब भूलों का एहसास परिजन आँख मैं ऊँगली  डाल  डाल कर करते हैं कि आपने गलती की इस लिए हम बर्बाद हुए खास कर बच्चे जब किये का प्रतिफल न देकर न किये पर ऊँगली उठाते है तब जीवन की निस्सारता  समझ मैं आती है तब  भारतीय संस्कृति का महत्त्व समझ मैं आता है क्यों ज्ज्वन का अंतिम सत्य वनवास  है  कल्प वास वानप्रस्थ हैं  क्योंकि शांति तब  मन दूसरी तरफ लगाना  ही श्रेयस्कर है।  हमारे एक प्रिय सज्जन ने बहुत छोटी सी दूकान  से बच्चों को पढ़ाया लड़कियों की शादी की घर बनाया  और दूकान को शोरूम मैं परिवर्तित किया तब तक शरीर थक गया और पुत्र ने काम संभाल  लिया  कुछ रूपया ब्याज पर उठाया उठाया जो मार गया  अब पोते बड़े हो गए हैं अब उन्हें तन यह है कि उन्होंने पैसा बर्बाद कर दिया  इसके लिए हर व्यक्ति नाराज है  जो कर दिया तो क्या इतना भी नहीं करते यह उलाहना है  जो व्यक्ति युवावस्था से प्रौढ़ावस्था तक एक एक पैसा बचाकर परिवार को पलट रहा अभावों मैं भी खुश था आज आँख मैं आंसू हैं 

Sunday, 5 February 2017

शादी दो पहलवानों का मिलन

जिस समय शादी की रस्म निभाई जाती है दुल्हन को लाल जोड़ा  पहनाया जाता है  अर्थात खतरा सामने है संम्भल  जाओ लेकिन नहीं उस समय तो पति बनने के शौक  मैं उस खतरे को लाँघ जाते हैं फिर भी घर वाले प्रयत्न मैं रहते हैं कि संभल  जाओ और हाथ मैं हाथ देकर जोश आजमाइश का मौका  देते हैं लगता यही है कि  दो पहलवान दांव खेलने से पहले हाथ मिला रहे हैं लेकिन नहीं पति लोग ज़िद्दी किस्म के होते हैं सामने वाले को कमजोर समझ जुट जाते हैं दाव पेंच मैं। पर यह नहीं जानते बूढी बड़ी बलवान। 

Sunday, 22 January 2017

नया क्या वास्तव मैं नया है

नया वर्ष आ गया , फिर से हम अपनी अपनी दीवारों से कलैंडर उतार देंगे क्या वास्तव में कुछ नया होता है ,,।फिर नई तारीखें आयेंगी एक  साल पुरानी तारीख नई होकर झड पुंछ कर चमकेगी पर वही रहेगी कदन वही रहेगा वैसे ही़ । मौसम भी तो वही आता है पर कुछ बदलता नहीं है । एक नया संकल्पलेते हैं कि हम आने वाले वर्ष दुनिया बदल देंगे । चाहते हैं कि हमारे लिये संकल्प को निभायें दूसरे । हम अपने को नहीं बदलेंगे । वही 26 जनवरी आयेगी ,बड़े बड़े नेता अफसर देष भक्ति के गीत गायेंगे और नहीं बता पायेंगे कि यह गणतं़त्र दिवस है या स्वतंत्रता दिवस , झंडे का कौन सा रंग ऊपर रहता है और किसलिये ये रंग लिये गये हैं वे एक ही रंग जानते हैं वह है सत्ता का रंग और उसके लिये वे फिर से देश बेचने के लिये तैयार हो जायेंगे ।
      बसंत के आते ही बेटियों को शिक्षित करने के लिये  हम बेचैन हो उठेंगे क्योंकि ,क्योंकि सरस्वती शिचा की देवी है तथा देश को शिक्षित करना हतारा कर्तव्य है । लेकिन शिक्षा के लिये आवंटित पैसे को  समाज के लिये नहीं अपने घरों को भरने के लिये बेचैन हो उठते हैं लाखों बच्चों के नाम स्कूल में लिख जाते हैं पर स्कूल खाली  शिक्षक नदारद और कागजों में सब मौजूद बच्चे सड़क पर और शिक्षा की कीमतें बढ़कर जमीनी कारोबार करती रहती हैं ।
      होली के साळा सद्भाव का पाठ पढ़ाते हैं बुरार्द की होली जलती है और अधिक सांप्रदायिकता फैल जाती है । अब जरा जरा सी बात पर एक दूसरे के धर्म आहत हो जाते हैं । समाज में बबाल फैलाना है तो कही भी कुछ अपमानजनक लिख दो या मांस उछाल दो  । बवाल तैयार चाहे जितना उपद्रव करालो हमारी युवा शक्ति बेकार है ही  दिशा हीन है कुठित दमित भावनाऐं सामने उछाल मारती हैं । उनका उपयोग कुचक्र रचते हुल्लड़बाज । कही गाय का मसला तो कहीं पैगम्बर के लिये कहना कोई मंदिर में गाय काट देगा ।इसलिये कि वर्तमान सरकार को गाली दे सके और अपना वोट बैंक तैयार कर सकें और समान लूटकर बेगुनाहों को उनके न किये गये गुनाहों की सजा दें ।
     शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित हर वर्ष करेंगे पर नये नये शहीद समाने आयेंगे । देष को आजादी दिलाने के लिये जान गंवाने वाले अब शहीद नहीं हैं अब देश के लिये लड़कर जान गंवाने वाले अब शहीद नहीं हैं हॉं भमल से सीमा लांघने वाले शहीद हैं या उपद्रव कर जेल गये लोग शहीद हैं ।
      पर्यावरण दिवस मनायेंगे जोर शोर से पेड़ लगाते फोटो खिचायेंगे किर भूल जायेंगे कि वह डाली कहॉं सूख रही है । चुपचाप पेड़ काटकर बिल्डिंग बनवायेंगेगणेशजी की पूजा करेंगे ,देवीजी के आगे नाचेंगे दशहरा मनायेंगे जमुना गंगा को प्रदूषित कर प्रसन्न हो रहे हैं हमने देवता मना लिये अब हमारा कौन बिगाड़ कर सकता है ।दो अक्तूबर के साथ तहखानों में पड़ी गांधीजी की तस्वीर चमकायेंगे ।उनकी बातों को दोहरायेंगे ।उनके बताये मार्ग पर चलने के लिये प्रतिज्ञा करेंगे फिर भूल जायेंगे अगले वर्ष तक के लिये ।
   रावण जला रहे हैं उसने सीता का अपहरण किया लेकिन सीता को आहत नहीं किया यहॉं अबोध कन्याऐं लड़कियॉं, महिलाऐं दुंर्दान्तों के हाथों दुंर्दशा प्राप्त कर मार दी जाती हैं जैसे किसी रबर के खिलौने को तोड़ा मरोड़ा और फैक दिया ।उन्हें कुछ नहीं होता सुघारने के नाम पर पुरस्कृत किया जाता है ।
    नव भोर की आशा में फिर कलैंडर बदलता है लेकिन परिस्थितियॉं और अदतर होती हैं बात असहिष्णुता भेदभाव जातपॉंत मिटाने की स्त्रियों के उन्नयन की भ्रष्टाचार मिटाने की करेंगे । अपना देना पड़े तो गाली देंगे और लेना पड़े तो अधिकार । चाहेंगे पल भर में दुनिया बदल जाये साफ हो स्वच्छता हो क्योंकि कहा गया है पर हम खुद कुछ नहीं करेंगे गंदगी फैलायेंगे और गाली देंगे कि सफाई नहीं हुई ।
    पाकिस्तान को धोखेबाज कहकर गालियॉं देंगे पर अपने देश के गद्दारों को कुछ नहीं कहेंगे जो असली भितरघाती हैं । लंका रावण की वजह से नहीं गिरी विभीषण की वजह से नष्ट हुई। धिक्कार तो ऐसे लोगों को है । 

Friday, 20 January 2017

किसकी रचनाएँ


सर फरोशी  की तम्मन्ना  किसने लिखी  है 


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न  किसी  की आंख का नूर  किसकी रचना है 

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Tuesday, 17 January 2017

पैसा किन पर खर्च

ऐसे बहुत से लोग हैं जो वह पैसा खर्च करते हैं जो उन्होंने कमाया नहीं है उस चीज को खरीदने मैं खर्च करते हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता नहीं है और उन लोगों पर प्रभाव ज़माने के लिए करते हैं जिन्हें वे पसंद नहीं करते। 

Thursday, 12 January 2017

किसिंगर का aphar

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हद से गुजर गई माँ

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Monday, 9 January 2017

हिंदी साहित्य

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Tuesday, 3 January 2017

अपने से सवाल

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माँ

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हारें नहीं

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