Tuesday 26 September 2017

jindagi

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कौन apna

अनजान चेहरे अपने से लगते हैं
खास अपने अनजान से रहते हैं
दुःख हो तो मुहं  फेर लेते हैं
सुख देख कर जलते रहते हैं 

Saturday 23 September 2017

छुट्टी ही chutti

भारत मैं अनेक धर्म हैं अंक रंग हैं वर्ण हैं सम्रदाय हैं उनके अपने अपने त्यौहार हैं  अपने अपने पूज्य हैं हर धर्म हर वर्ग हर जाति  चाहती है कि  वह भी  समाज मैं जाने जय यदि एक हिन्दू धर्म की छुट्टी है  एक हिन्दू संत की जयंती है उनके भी गुरुओं की भी छुट्टी मिले राष्ट्रीय त्योहारों के आलावा भी भारत मैं पर्व और त्योहारों की छुट्टी कॉलेज दफ्तरों मैं की जाती है और धीरे दीरे संह्क्य बढ़ रही है एक के बाद एक नै मांग बढती है कि उनके मान्य के नाम की भी छुट्टी की जाये। छुट्टी करने से तात्पर्य क्या है यह समझ नहीं आता है कि तात्पर्य क्या है बड़े पर्व और त्यौहार पर छुट्टी समझ आती है कि हंसी ख़ुशी से परिवार के साथ पर्व मनाया जाये होली दिवाली ईद क्रिसमस आदि पर धीरे धीरे बढती जयंतियों पर  कहाँ तक उचित है इन पर छुट्टी मांगने वाले बता सकते हैं उससे किसका भला होगा देश का बच्चों का व्यापार का इंडस्ट्री का या सरकारी कामकाज का बैंकों आदि का छुट्टी के नाम पर घर पर बैठना किसी को यह भी न पता लग सके कि किस बात की छुट्टी है एक आलस्य भरा दिन और बच्चो की पढाई से मुक्ति पर देश का बच्चों के भविष्य का अहित साथ ही यह नहीं मालूम जिस की जयंती के लिए छुट्टी की जा रही है वह कौन था
क्या इससे अच्छा यह नहीं है कि बाकायदा कॉलेज दफ्तरों मैं अंतिम दो घंटे मैं उस व्यक्ति के जीवन चरित्र से सम्बंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाये जिससे उनकी पढाई का भी हर्ज न होय और उनके ज्ञान की भी वृधी  होगी साथ ही प्रचार होगा साथ ही प्रचार भी होगा कि हमारे देश मैं इसे भी व्यक्ति हुए हैं।
बैंक दफ्तरों के प्रारंभ होने से पहले कुछ समय उस व्यक्ति विशेष के  विषय मैं बताया जाये जयंती यह सार्थक होगी या छुट्टियाँ बढाकर हम अपने देश को बर्बाद करने मैं सहायक हो रहे हैं एक दिन शीघ्र आएगा की ३६५ दिन छुट्टी के हो जायेंगे वैसे तो अफ़सोस है की हमारे यहाँ कितने कम हैं कितनी कम छुट्टी के योग्य हैं सभी जातियां अपने अपने धर्म गुरुओं के नाम पर छुट्टी लें बाकि तो लूटपाट उधम दंगा जुलूस तो है हिन् जब काम करना ही नहीं है तो कुछ तो करेगा  तोड़फोड़ ही सही सोचते हैं की सररकार का नुक्सान कर रहे हैं पर यह नहीं जानते सरकार के पास पैसा किसका है  जनता का ही है उसका ही नुक्सान है 

education valueless

you need power only when you want to do something harmful otherwise smile is enough to get everything done
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welcome to the 21 century
our phones wireless
cooking                fireless
cars                      keyless
food                      fatless
tyres                     tubeless
dress                     sleevless
youth                              jobless
leaders                  shamless
relations               meaningless
Attitude                careless
feeling                   heartless
education              valueless

mobile aya camera khatam
mobile aya wristwatch khatam
mobile aya radio khatam
mobile aya mp3 khatam
mobile aya calcutater khatam
mobile aya sakoon khatam
aur agar apke mobile apki biwi ke hath aya toh maa kasam aap katam
badalti dunia ka esa asarhamo

Once upon a time when window was just a square hole in a room and application was something written on a paper when key board was piano and mouse just an animal .when file was an important office material and hard drive just an uncomfortable road trip the cut was done with knife and paste with glue when web was a spider”s home and blackberry were just fruits . when we had a lot of time for friends and family. -----


Saturday 2 September 2017

आनंद अपने अन्दर है

आनंद प्राप्त करने  के लिए बहार के साधनों  मैं भटकने वाला आनंद के बदले दुःख ही प्राप्त करता है
 निर्मल आनंद प्राप्त  लिए तो अंदर झांकना आवश्यक है ा इन्द्रियां अंतर्मुखी हों तो आनंद प्राप्त होगा  और यदि वे बहिर्मुखी होगी तो सुख दुःख मैं पड़ेंगी
अर्थात बहार के साधनों मैं आनंद है ही नहीं इतना निश्चित है मन जब अंतर्मुखी होता है तभी वह चैतन्य परमात्मा का स्पर्श कर सकता है  और जब चेतन प्रभु का स्पर्श होता है तभी अनिर्वचनीय  आनंद प्राप्त होता है