Wednesday 4 July 2012

मेरे  जीवन  की  कथा  लिख  दी है  ईश्वर  ने ' इस  दुनिया  का पल पल  बांधा  है ईश्वर ने
हम  ढूंढ़ रहे  उसको  है कहाँ  चितेरा  है  किस द्वारे पर  उसके पाएगा बसेरा  है
मौन है बस भाषा  अंतर  मैं  समाया  है  उसकी बोली को  अन्दर  ही पाया है
घने  अँधेरे मैं मंजिल  को ढून्ढ  रहे रेतीले अंधड़ मैं कदमो  को खोज रहे
ईश्वर यदि मिल जाये  फिर  कैसा ईश्वर है  वह अनंत  की  छाया तब  ही तो ईश्वर है  

jindagi

दरकी  सी जिंदगी  रिसती  रहती है
 जिंदगी भर  सिल  घिसती  रहती  है
जब  टूटी जाकर के जमुना   मैं सिराया है
तब  कुछ  भी  किया  सब  कुछ  पराया  है
 बचपन  चंचल  नटखट  अन्दर  बस  जाता  है
योवन अकार  तेजी  से  सरक  जाता  है
पर वृधापन  कैसे धीरे से चलता  है
जब  कुछ   काम  नहीं  तब भी  वह पलता  है
फैन्के  जाने  का  जब अह्सास  बड़ा  होता
काया मैं सूखा पण और कड़ा  होता 

Monday 2 July 2012

joke

he   I am a photographer I have been looking a face like yours
she   : I am a plastic surgeon.I"hv been looking a face like yours.