Saturday 29 December 2012

ek beti ka ant

माँ  चिड़िया ने   धूप  ताप से बचा  आसमान ढका  था पंखों  से
पाला  था  नन्ही  चिड़िया  को दुलारा था  नन्ही  चिड़िया  को
कोमल  पंखों  मैं छिपाया था  नन्ही चिड़िया को
बासंती  हवा  से जूमती डालों  को  जुला बनाया  नन्ही चिड़िया ने
छोटा सा आसमान  चाह था  नन्ही चिड़िया ने
अपने छोटे  पंखों को  फैलाया  था नन्ही चिड़िया ने
बाज  की उसपर नजर  पड़  गई
शिकारी  पंजों  मैं  नन्ही जान  जकड़  गई
 नुचे खुचे पंख  धरती पर  छितरा गए
ची ची  चीत्कारती माँ  चिड़िया पथरा  गई
का हे को जन्मी काहे  को पाली
नन्ही चिरइया  तू कहे को आली 

Saraswati vandana

दे दे तू  माँ  ज्ञान शारदे  दे दे माँ वरदान
 अंधकार मैं एक रौशनी तेरी कृपा  महान
मिल जाये वरदान  तेरा तो खुल जाये  तकदीर
पाकर तेरी कृपा  बने ये तुलसी  सूर कबीर
बड़े बड़े राजे महाराजे  शासन करने  आये
तेरी रही कृपा तभी सिंहासन पर टिक पाए
 अमर कीर्ति पा ई  ऋषियों ने पाकर तुझसे ज्ञान
जिसे दिया वरदान बना वो जग मैं परम महान
सागर मैं कितने ही मोती कैसे  कोई पाए
तेरा साथ रहे तो  सागर रास्ता  देता  जाये
व्यास न होते कैसे मिलता गीता का वो ज्ञान
ज्ञान नहीं तो अंधकार  है सारा जगत महान
बिन तेरे सारा जीवन ही पशुओं का संसार
इस धरती की तू ही तारणी  तू ही जगत अधार .

Thursday 27 December 2012

महिलाओं  के लिए अभद्रता  से बोलना  उनका मजाक उड़ाना  पुरुषों का शौक  बन गया है  क्यों कि  गैंग   रेप
हो  रेप  यह पुरुषों से  सम्बंधित  है  इसलिए सब बचाब  करने मैं लगे हैं  इसे हल्का करने मैं  अपनी जुवान  हल्का करने मैं  संकोच नहीं है क्योकि महिलाओं को  रेप के बाद  डूब मरने के लिए  प्रेरित किया जाता  है और पुरुष वर्ग  अपनी मर्दानगी पर  मूंछ मरोड़ता  घूमता है जबकि शर्म से उन्हें  डूब मरना  चाहिए  एसा  बोलने  वालों को तो अपनी जुवान काट कर फेंक देनी  चाहिए  कम से कम  खुद देखें  अपने घर की महिलाओं को देखें  अपनी  जेड  सुरक्षा हटा कर  अपनी बेटी को सड़क पर भेज कर देंखें  जिन्हें फोकट  का जनता की  मेहनत का पैसा  खर्चने को  मिल रहा है उन्हें जबान  हिलाने मैं क्या जाता है  कुछ भी बक लें क्लीन चिट  तो मिल ही जाएगी सत्ता  मैं  जो बैठे हैं  उनका कोई दोष  नहीं समरथ को नहीं  दोष गुसाई . जो डेंट  पेंट  की बात करते  हैं  देख लें कि किसको  तैयार  होने मैं अधिक  समय  लगता  है  पुरुषों के ब्यूटी पार्लर भी  धड़ल्ले  से चल रहे  हैं  बाल काटने वाली  दुकानों पर पुरुष मालिश करते दिख  जायेंगे . कोई भी कुछ कहने से पहले  अपनी माँ बहन बीबी की ओर अवश्य देख ले  सत्ता के गुरूर मैं  कुछ  कहने से पहले  यह सोच लें जब सत्ता नहीं रहेगी  तब एक साधारण जन बन कर जीना होगा 

Wednesday 26 December 2012


एक  बेटी  का प्रश्न 

माँ  तूने जब जन्म दिया तो तुझे  देख  मुस्काई 
पर तेरी आंखे  मुझको पा   ऐसे  क्यों भर आई 
ममता भरे हाथ हैं तेरे  है बेहद नरमाई 
पर  उस ममता  मैं भी मैंने  एक कपकपी पाई 
मैं तो  तेरी छाया  पर  तू क्यों  न हरषाई 
फेर लिया क्यों मुझसे चेहरा  दूर मुझे  सरकाई 
तेरे रक्त मांस से  बनकर  तुझसे सांसें  पाई 
तेरी  अनुकृति  बनकर ही मैं इस धरती  पर आई 
समझ गई मैं तुझको भी थी  पुत्र जनम  की आशा 
सूखा तेरा आंचल  मन मैं  तुझको हुई  निराशा 
माँ की ममता फर्क न जाने  बात यही मशहूर 
बेटी शब्द  जुड़ा  तो क्यों मैं हो गई तुझ से  दूर 
माँ तेरा अंचल  मिल जाये  तो कर जाऊ  कुछ काम 
आसमान  मैं जाकर मैं  लिख दूँगी तेरा नाम 









Monday 24 December 2012

ना  जाने  कब वक्त  खिड़की  पर  आ  बैठता  है
और दस्तक देकर उड़  जाता है
 उसकी  आहट भी नहीं  सुन पाते है
 कब बालों  मैं  सवेरा कर जाता है
हम समझतें हैं  भोर  हो गई
टांग कर  दोपहरी  को अलगनी पर
 रात की सियाही भर  जाता है
जब  घोर अँधेरा  हो जाता है
लगता है वक्त की  सांसें थमी थमी सी
बीत जाएगी  ऐसे  ही जिंदगी
 दीवाल पर  टंगे कैलेंडर  की तरह
तारीखें वही  रहेंगी
तस्वीर  बदल जाएगी
 काल बांधे  वक्त को
लादकर    कन्धे  चला
वक्त  के  टुकड़ों  को  छितरा
मुस्करा  कर चल  दिया
जागते  सपनों  को बुनकर
चाँद  तारे  टांग  दिए
वक्त ने   तारे  नोच दिए
चाँद को झपट कर
खोंस लिया बालों मैं
वक्त भी क्या गुल खिलाता है
बच्चों की तरह पांव दबा कर
बगल से  निकल जाता है 

Tuesday 18 December 2012

had ke par

बलात्कार हो गया है खेल
चौपड़ बनी है नारी
जो चाहे जब  चाहे  खेले
और रॉद  दे  और  फेंक दे
 कचरे की माफिक 

Sunday 16 December 2012

हो जाओ  सावधान  अपनी अपनी  जड़ें  खोजना  शुरू  कर दो  फिर बहुत  सारे  पाकिस्तान  बनने  वाले हैं .पहले  तो घूम घूम कर देखो किसके घर पर कब्ज़ा  करना  अच्छा रहेगा  अपने दडवे से बहार नहीं  जाओ बिहारी  बिहार  मैं विहार  करेंगे  बच्चे  बहार पढने  नहीं  जायेंगे  और नोकरी  बिहार  मैं  ही करेंगे  यूपी  वाले
यूपी  मैं  रहेंगे  सिमट  जायेगा भारत न  ट्रेन  की  जरूरत  न  हवाई जहाज  की  जरूरत  कितना आसान  हल  है  जिंदगी का  क्यों नहीं  किसी  की समझ आता  है