Monday 11 November 2013

bhagwan hum banaatey hain

एक  अदृश्य  सत्ता के सामने हम  नत  मस्तक है  हर धर्म मानता है कि कोई शक्ति है  जो कण कण  मैं  व्याप्त है  हिन्दू धर्म मैं हम उस सत्ता को भगवान  कहते हैं  क्या भगवान  है  प्रश्न उठता है हमारा अस्तित्व भगवन  से है  या भगवान् का आस्तित्व  है  भगवान है यह हमने कहा है  भगवान्  ने तो कभी आकर नहीं कहा कि वह है  इसलिए भगवान्  के निर्माता हम हैं  और इसीलिए हम रोज एक भगवान् का निर्माण कर रहे हैं  कभी वो भगवान् हमें  जेल  के अंदर मिलता है  कभी कलकत्ते मैं ढूढ़ने  जाते  हैं पता लगता है वह कहीं मैदान मैं है  और अगर कभी जरा कम देर के लिए मैदान मैं टिकता है  तो हम तुरंत भगवान् के पद से उतार देते हैं   कुर्सी खिसकाने मैं हम  माहिर हैं। हिन्दू धर्म के भगवान् अगर अजन्मे हैं तो  अमर भी हैं  एक भगवान् चन्द्रमा कि कलाओं के  साथ आये मस्त मस्त आश्रम बनवाये  लेकिन  अब इस दुनिया को छोड़ गए प्रवचन  मिल जायेंगे  एक भगवान् पुट्टपर्थी मैं थे  कहा जाता था कि उनकी उम्र किसी को नहीं मालुम लेकिन हमारे देखते देखते वो  बूढ़े हुए और मर गए  छोड़ गए अरबों रुपये लूटते  सेवकों को  भगवान् निर्लिप्त है तभी सोने पर सोता है  एक लम्बी सूची  है भगवानों कि  हिन्दू धर्म मैं वैसे  भी ३३ करोड़  देवी देवता हैं अपने अपने भगवान्  अलग अलग  धर्म के अलग भगवान्  इस हिसाब से औसत प्रति दो व्यक्ति एक भगवान् है  तो रोज हम भगवान् बनाते हैं नए भगवान् का निर्माण करते हैं  फिर उसका कुछ दिन बाद नाम मिटा देते हैं।  अजर अमर अनादि अनन्त के आस्तित्व का  एक अदना सा आदमी निर्माता है।

Thursday 7 November 2013

samaj seva

एक भव्य कार्यक्रम हुआ और सम्पन्न हो गया  बड़े पुण्य के कार्य के लिए कार्यक्रम हुआ  शहर के प्रसिद्ध  समाजसेवी उपस्थित  थे बड़े धार्मिक  गुरु भी उपस्थित थे क्योंकि  अभिनेत्री  नृत्यांगना  उनकी प्रिय शिष्या  है भव्य मंच भव्य साज  सज्जा  और इतना भव्य कार्यक्रम तो सारा प्रशासन तो होगा ही शहर की  सभी नामचीन  हस्तियां तो  उपस्थित होंगी ही  पास से एंट्री थी तो यदि  पास नहीं तो शहर का नामी  व्यक्तित्व  नहीं  इसलिए उनको अपनी उपिस्थिति  दिखाना जरूरी है  काम भी तो बहुत नेक  था  सुदूर अशिक्षित अविकसित सभ्य समाज से दूर  इंसानो के भले के लिए . सबने नृत्यांगना  की  कला को देखा और सराहा और धन्य हुए और ध न्य  हुए  वे दूरस्थ प्राणी  नयनसुख  मिला आत्मा बाग़  बाग  हुई तो  लहरें सुदूर् वासियों को  जरूर पहुंची होंगी कवि  निदा फाजली ने कहा तो माँ के लिए है पर सटीक बैठती है
मैं रोया परदेस मैं भीगा (माँ ) समाजसेवियों का प्यार
दिल ने दिल से बात की  बिन चिट्ठी बिन तार
राम ने अपने साथ जंगल वासियों को जोड़ा था  तो स्वाभाविक है कार्यक्रम  भी राम को ही समर्पित होगा वैसे भी  संस्था उनके हित मैं कभी रामकथा आदि कराती रहती है  यह सब उनके हित मैं यहीं शहर मैं होता है कि उन्हें शिक्षा मिल जायेगी  हाँ अपने शहर की  बस्तियों मैं उससे बुरा हाल है। एक घटना याद आती है विदेश मैं बसे बच्चो ने ने माँ का जन्मदिन मनाया बड़ा सा केक कटा और  स्वदेश मैं  अकेली बैठी माँ को फोन किया माँ हम तुम्हारा जन्मदिन मन रहे हैं फोन पर माँ को सुनाया माँ हैप्पी बर्थ  डे टू  यू सबने मिल कर गया  सुन सुन कर कल्पना कर रही माँ प्रस्सन्न थी आशीर्वाद दे रही थी कितना ख्याल रखते हैं बच्चे  और बच्चे केक के साथ स्वादिष्ट  खाना खाते  कह रहे थे माँ बहुत बढ़िया खाना है  और माँ  सुबह कि राखी रोटी एक सब्जी से खा आशीष देती अकेली सो गई

Friday 1 November 2013

de de hai bhagwaan

मुझ पर दया करो इंसान,मुझ पर दया करो इंसान
मंदिर मैं घंटे बजते  हैं ,मस्जिद मैं  हो रही अजान
चारो और पुकारे हा हा ,दे दे दे दे हे भगवान्
कोई कहता  लक्ष्मी दे दे ,कोई मांगे आसन
कोई मांगे छाया दे दे ,कोई कष्ट निवारण

सागर  पर है मेरा आसान ,दिखते हाथ अनेकों
अपने सब हाथों से दाता ,किरपा अपनी फेंको
लेकिन इससे ज्यादा  दुविधा  लक्ष्मी की है आई
दे दो दे दो लक्ष्मी दे दो करते यही दुहाई
अपनी पत्नी कैसे देदूं कैसा तू नादान
अपने घर को सूना कर लूं सोच जरा इंसान
दर्शन से यदि हो जाये तो  घर घर लक्ष्मी जाए
सौ सौ  ताले  लगा लगा कर करते अंतर्ध्यान
मुझ पर दया करो इंसान मुझ पर दया करो इंसान

Monday 21 October 2013

safai

दीपावली की सफाई हो रही है सब अपने अपने घरों  से कूड़ा निकाल रहे हैं पूरे साल भर का एकत्रित कूड़ा  जो कुछ जमा किया था अब निष्प्रयोजन लग रहा है  वह कूड़े मैं फिक रहा है  रद्दी वाले ठेल भरकर ले जा रहे हैं  उनमें  सबसे ज्यादा होती हैं किताबें  जिनके लिए घर मैं न स्थान है न जरूरत  फिर बढ़ रहा है कूड़े का अम्बार  जरा भी चौड़ी  सड़क है वाही रखा है नगर पालिका का कूड़ेदान जोखाली है और सड़क पर हथठेला  आता है कूड़े की ढेरी  लगा जाता है  कूड़े पर नहीं उसके पास इस प्रकार सड़क घिरती जाती है है और उन मैं दिख रही हैं विगतवर्ष की टूटी हत्री  गुजरिया आदि  साथ ही पिछली दीपावली के ग्रीटिंग कार्ड्स शादी के कार्ड्स  सब पर छपे हैं लक्ष्मी गणेश  या गणपति जो अब कूड़े के ढेर पर थे वैसे यदि किसी हिन्दू से जमीन पर भगवन की तस्वीर रखने या उस पर पैर रखने के लिए कह तो दो आपके पुरखे टार जायेंगे  पर अब गाय आकर हटा हटा कर  मुह मार कर खाने  योग्य अयोग्य चीज ढूढ़ रही थी कुत्ते भी बार बार आकर  टांग उठा रहे  थे  शायद हमारी आस्था केवल पूजा घर तक सीमित है  यही दुर्दशा नवदेवी  पर देखी  मंदिर मैं अष्टमी नवमी  के दिन हलुआ पूरी चने देवी के आगे ढेर लगे थे  उन पर फूल  सिन्दूर अगरबत्ती की राख  सब गिर रहा था पुजारी सबकी  ढेरी  कोने मैं लगा रहा था पुजारी के लिए तो अलग थाल था जो  बड़े बड़े भगोने भर रहे थे  अकेले देवीजी को कैसे  खिल दे हर मंदिर मैं सभी देवी देवता रहते हैं अच्छा दूकानदार हर वैराइटी  का माल रखता है  जिसे कोई दिन कोई पर्व खाली न जाये लिहाजा हलुआ पूरी उनके लिए भी है इतने अन्न की बर्बादी  जहाँ जिस देश मैं भूख के लिए चूहे खाने पडें  उसी देश मैं असली घी की पूरी हलुआ  कूड़े पर हो क्योंकि प्रातकाल  सब को  बोरी मैं भरार कर जमुना मैं विसर्जन के लिए भेज दिया  इसे कहते हैं अन्न  धन और आस्था का कूड़ा होना।

Thursday 17 October 2013

kala yeh bhi hai

हमारे घर के पीछे बस्ती है , बस्ती  जो हर एक की आवश्यकता है  फ्लैट दुकान  कोठी फैक्ट्री कुछ भी आपका हो लेकिन  प्रारंभ वहीं से होता है उनके जागने के साथ शहर जगता है  और पूरे शहर मे  हलचल  शुरू होती है  वहां देश का भविष्य भी कूदता  फादता  रहता है  उन पर समय ही समय है  क्योंकि सरकारी स्कूल  सबको नहीं कुछ को जाना  होता है और  वह भी केवल मिड डे मील  के समय  बाकी  समय क्या करें पर कला उनके पास भी होती है  . बस्ती है तो मंदिर होगा ही  मंदिर है तो उसमें प्रति दिन उत्सव भी होंगे ही  इन छोटे छोटे  बच्चों को हर उत्सव मैं भाग लेते देखा है  टीवी मैं देख देख कर   अभिनेता अभिनेत्र्यों को मात करते  डांस करते देखा है  लेकिन साथ ही देखा  है कल्पना को साकार करते। पान  मसाले के डिब्बों  बना झाड़  पाउच  से बने पंखे मंदिर की सजावट  के लिए  पन्नियों और  बड़े पाउच  क़तर क़तर कर  डोरी पर चिपका कर  पूरी बस्ती  झालरों से झिल मिल कर दी पहले सजाया देवी का दरबार  फिर जलाया  रावण  धूमधाम से।  दो दिन इन बच्चों की कला देखी  किस तरीके से चार वर्ष से लेकर दस बारह वर्ष  तक के लड़के लड़कियां  रावण  का निर्माण कर रहे थे  फलों की पेटियों  को पीट कर  फंटिया  बने उनमे से ही कीलें निकाल कर ईंट  से कीले सीधी  की फिर अख़बारों को लपेट कर फटीयों को  जोड़ जोड़ कर सात फुट  ऊँचा रावण  बना लिया  सूखी टहनियों और  फलों की  पेटियों में  काम  मैं  ली जाने  फूस  लपेट कर  हाथ बनाये बांस चीर चीर कर चेरा बनाया  कितने प्रसन्न थे बच्चे  न हाथ काटने का दर  न ईंट लगाने का दर न सड़क का इन्फेक्शन का डर  न कूड़े का संक्रमण  केवल उत्साह उत्साह और उत्साह  और उल्लास जलते हुए रावन की अग्नि की दहक मैं दमकते चेहरे थाली लोटे को बजा कर संगीत की धुन निकालते चेहरे कला का अप्रतिम रूप थे वे कहते छोटे छोटे  चेहरे

Wednesday 9 October 2013

Nari kya

औरत  नरक का द्वार  होती है  सुनकर पढ़कर  जैसे आंख जल उठती है  और क्रोध  से हाथ पैर मैं कम्पन सा होता है  औरत  भगवन के बाद का दर्ज प्राप्त है  सच भी है भगवन  निर्माता है  नारी भी  निर्माता  है  और उसे द्वार  कहा जाये  पर जब सबसे आगे महिलाओं को बिलख बिलख  कर रोते  देखते हैं  की  उनके भगवन  पर आरोप लगाया  गया है तब वास्तव मैं समझ आता है औरत ही औरत  को नरक की ओर धकेलने  वाली है। औरतों ने अपने को इतना  सस्ता और बिकाऊ  बना लिया है पुरुष की हैवानियत का पर्दा खुद बन जाती है  और उस परदे पर पहरेदारी करके  स्वयं  लड़कियों को परोसती हैं  इसी क्या मजबूरी थी शिल्पी की कि  वह हरम की रखवाली कर रही थी  क्या मजबूरी है  देला दस्सा   डोसा   की   कि  वे  दलाल बन  बैठी  उनके लिए पैसा ही शायद  सब कुछ है  पर कितना पैसा चाहिए  किसी को वहां  रोटी के साथ एस क्या मिल जाता था जो इतना नीचे गिर जाती थीं।
अधिकांश देखा गया है  कथित संतों की  सेवायत  खूबसूरत जवान  लड़कियां होती हैं  कोई बड़ी  उम्र की  कुरूप  औरत कभी  नहीं मिलेगी  कुछ दिन बाद  देखोगे तो  दूसरी  कमसिन लड़की  खड़ी पंखा  झलती रहेगी चाहे शीशे के पीछे एसी  चल रहे होंगे  क्या इन्हें संत  कहा जा सकता है  इन संतों को नीचे गिराने मैं प्रमुख  रूप से  किसका हाथ है  आदम को हव्वा ने  ही स्वर्ग से निकाल  दिया  जब औरत भगवान् मानकर  जवान  बेइयोन को  प्रसाद हेतु  संतों  के पास भेजने मैं नहीं हिचकिचाते  बेटी भोग्य हुई यह सोचकर धन्य होते रहेंगे तो  यह संतों का दोष नहीं महिलाओं का स्वयं का दोष  है

Saturday 5 October 2013

awaj suni kya

क्यों  भाई  फटका , हाँ भाई  झटका  कुछ सुना , हाँ  सुना , सुना  सब सुना  सब बकवास है  फाड़  कर फेंको , अरे ! यह कैसे  सुना  . हाँ हाँ ले  ले  सुनाउ किर्र किर्र  किर्र  हुई आवाज गूंजी चारो  ओर.… अन्दर की भी अपनी आवाज होती है  सब सुन लेते हैं सो मैंने सुनी  अब जब बड़े बड़े बोले मैं बहुत कुछ करना चाहता  था नहीं कर पाया तो समझ जाओ  वह साफ़ कह रहा है मेरी कुर्सी तो गई  . मैंने भी ड्रामों  मैं काम किया है खूब किरदार निभाए हैं  बहुत चेहरे लगाये हैं  पहले लटका  फिर फटका  फिर झटका  और ले पटका  और हो गए हीरो   समझे  क्या
राजनीती  के खेल  निराले
कुछ उजले  कुछ काले काले
अरबों के होते घोटाले
आधे खोले आधे  टाले
सहयोगी  जो आँख  दिखाए
वो जेलों मैं हैं  भिजवाये 
थोड़ी खाई जिसने रेल
बलि के तो कुछ होंगे बैल
बड़े बड़े जो माल  बनाए
या घुडशाला  ही खा जाये
घोडा उनका जाकी  उनका
पर्ची उनकी परचा उनका

Friday 20 September 2013

Akhbaron main hum

रोज रोज अख़बारों मैं छपते हैं लोग
ख़बरों की सुर्खी बनते हैं लोग
हम भी उठाएंगे समाज सेवा का बीड़ा
हरेंगे हम भी समाज की पीड़ा
पोलिथिन  हटाने का अभियान अच्छा
पर्यावरण बचाने का इंतजाम सच्चा
बाजार मैं जाके  थैले  सिलाये
दरजी के दस बारह चक्कर लगाए
अखबारों के दफ्तर तक दौड़ लगाई
अच्छा काम है खबर छाप  देना भाई
चौराहे पर खड़े होकर भाषण शुरू किया
अखबार वाले न आये घंटा भर बीत गया
लोगों की गर्दन उचकी सरक गई
मोहल्ले की एक औरत पागल हो बहक गई
जैसे तैसे एक अखबार का रिपोर्टर आया
कैमरा मैन  उसका न फिर भी साथ आया
थैले फ़ोकट मैं मिल रहे है भीड़ लग गई
 सोई थी जनता एकदम जग गई
धक्के पर धक्का खाकर किनारे खड़े थे
कुछ थैले टूटे कुछ फटे पड़े थे
न जाने कहाँ से अखबार वाले आगये
दनादन दनादन कैमरे चमका गए
दुसरे दिन अखबार मैं छोटी सी खबर आई
भरे बाजार मैं थैलों की वजह से हुई हाथापाई
फोटो तो छापी नहीं पैसे जरूर झटक गए
दूसरे दिन बाजार मैं फिर प्लास्टिक के थैले लटक गए

Thursday 19 September 2013

apna nash kar rahe hain hum

इतिहास गवाह है सबसे अधिक युद्ध  धर्म के नाम पर हुए हैं मानव ने अपने को बाँट तो अनेक धर्म मैं है  लेकिन सब धर्मों का स्वरुप एक  है कहीं भी विनष्टि की शिक्षा नहीं दी जाती है  पर मानव ने हर धर्म का अंत विनाश  मान लिया है हम देवी देवताओं को प्यार से घर लाते  उनकी पूजा करते हैं फिर विसर्जन कर देते हैं  अब भगवन बहुत  हुआ अब अप मिलो मिटटी मैं हमे मुक्त करो अब पूरे साल  हम मनमानी कर  फिर आप  को मन लेंगे आप हमारे को माफ़ कर देना  साथ ही विनाश की ओर  एक कदम और बढ़ा देते है नदियों को प्रदूषित करके  मेरे गणपति तुझसे छोटे नहीं हो सकते  तरह तरह के चमकदार रंगों से  रंग कर  अपने पीने वाले  मैं मिला देते हैं  जिसकी हमने पूजा की है उसे  पानी मैं विसर्जन कैसे किया जा सकता है  हर कदम हमारा विसश की ओर ही है स्वयं अपने विनाश की ओर.बृज मैं बहुत उत्सव हैं  देवी  देवता भी रखे जाते थे लेकिन केवल छोटी सी मति की डली  के रूप मैं  और उसे घर मैं तुलसी के पोधे  से उठाया जाता और वहीँ मिला दिया जाता था  यमुना मैं जहर नहीं घोला  जाता था
रहती थी मैं मस्त गगन मैं खेल कराती थी  पेड़ों से
अब तो एसी  की गर्मी मैं जलाता रहता है  मेरा तन
जब तक बह पाऊँगी बह लूंगी जीलो जीलो जीलो
कालिदी  थी स्याम रंग की मन से रंगी हुई थी
देख देख कर अपने जल को दुःख से भरी  हुई थी
कहती है  जब तक मुझमें जल पीलो पीलो पीलो
गंगा जल तो बात दूर की  अब पानी भी भूलो
फिर तो है बस काली  कीचड  पीलो पीलो पीलो

Monday 16 September 2013

nanhi kali

मैं एक नन्ही कली
तुमने मुझे लगाया
मुझे सहेजा
मैं अभी खिली भी न थी
तुमने तोड़ लिया
खोंस दिया  प्रेमिका के बालों मैं
तकिये पर कुचली गई मैं
तुमने मुझे माला मैं पिरोया
पहना दिया नेता को
वह मुस्कराया
उतारकर रख दिया
भागती भीड़ के
जूतों के नीचे कुचली गई मैं
तुमने मुझे देवता पर चढ़ाया
देवता के प्रति श्रद्धा
अर्पित भी न कर पाई
फेंक दी गई उतर कर
भक्तों के पैरों तले  कुचली गई मैं
मेरी माँ ने फिर भी न छोड़ी उम्मीद
वह हारी नहीं  जुट गई बनाने मैं एक नन्ही कली

Sunday 15 September 2013

beti dari hui hai

आजकल प्तातिदीन  लड़कियों के प्रति होते अपराध इतने बढ़ गए हैं की समझ नहीं आता की क्या मनुष्य हैवान हो गया है।  कभी लड़कियां इतनी असुरक्षित नहीं रहीं एक छोटी सी लड़की माँ से कह रही थी माँ क्या मैं भी ऐसे ही मर जाउंगी माँ तू बचा लेगी न मुझको
माँ नहीं छोड़ना मेरी ऊँगली हर पल डर लगता है
दुनिया रिश्तों को है भूली चलते चलते रुक जाती है
हर आहट पर डर जाती है जैसे जैसे बढती काया
घर भी अपना हुआ पराया  विश्वास किसी पर मत करना
हर पल साथ मुझे रखना  चाचा मेरे पिता समान
कभी कभी लगते शैतान छोटी झिरियो से झाकती
भाई की आँखे लेती पहचान
सोते सोते अनजाने हाथों से डरती हूँ ,हसना और खेलना भूली हर पल मैं मरती हूँ
मेरे हित क्यों आसमान ने अपने पंख समेटे
क्यों क्रूर काल  बन कर आते है  सूरज के ही बेटे
तेरी राजदुलारी बेटी को जीने की आशा
अपने पंखों में ताकत भर उड़ने की अभिलाषा
काँप रहे हैं पैर ह्रदय मैं बढती घोर निराशा
माँ नहीं छोडना मेरी ऊँगली

safal

आज वह  सफल है जिसने सर्वाधिक घोटाले किये हैं और हेराफेरी कर अरबों रुपये जमा किये है  घोटाले करने के साथ उनके सीने चौड़े  ही हैं और उन पर किसी प्रकार की आंच नहीं आई है  वे सफलतम व्यक्ति हैं। पहले धन कमाने के लिए व्यापारिक बुद्धि  दूरदर्शिता चाहिए थी पुराने औद्योगिक  घराने व्यापारिक बुद्धि की वजह से देश के सर्वाधिक धनीमानी  व्यक्ति  हुए मणि से तात्पर्य  माननीय है  क्योंकि धन  कपट से नहीं कमाया होता था  वे असली धनि होते थे  तो सबका आदर भी प्राप्त करते थे  अब सफल वाही है जो सबसे अधिक छल  कपट से धन एकत्रित कर सकता है  पर वे माननीय नहीं होते  अब धन सर्वोपरि हो गया है  तो हम पुरने कुछ नेताओं को या शहीदों को माननीय नहीं मानेगे क्योंकि उन्होंने धन नहीं जमा  किया देश  को बेचा  नहीं उनके घर वाले बड़े बड़े पदों पर न होकर साधारण जिंदगी जी रहे है  उनके बैंको मैं कागज की गड्डिया  नहीं हैं  उनका परिवार कहाँ है कैसा है किसी को नहीं मालूम  हाँ पैसा वाला  तरणताल मैं कितनी लड़कियों के साथ है यह सबको मालूम है उनको छींक भी आती है तो सारे देश मैं उसकी आवाज गूँज उठती है  अब्सफल वो जिनके कुर्सी पर बैठते ही कुर्सी सोने की हो जाती है और घर महल
देश हमारा  हमको प्यारा खालो खालो खालो
बीस बीस पैसे करके तुम रूपया एक बचालो
हम महलों की बात करें  ,तुम कुटिया एक छ्वालो देश --
सौ रुपये जब हो जाएँ तो हमको देदो दान
अनशन और उपवास करो  यह करता है कल्याण
लेकर के खडताल हाथ मैं गलो गालो गालो
घोटालों की बात न पूछो खालो खालो खालो

Sunday 8 September 2013

braj ki mati

ब्रज की माटी  उठाई जो हाथों मैं अपने
लगा हाथ मैं राधा का तन महकने
नाची होंगी यहाँ  कृष्ण के साथ सखियाँ
माटी  बनके मिली होंगी  गोकुल की गलियां

सरयू के जल  ने तन को लिया  राम के
सींचा होगा धरा को उसी धार ने
बालू नदियों की सब राममय हो गई
सीता के त्याग से मुट्ठी नम  हो गई

बादलों ने लिया  द्वारका से जो जल
बूँद बन के मिली आके बरसात मैं
कान्हा की बांसुरी बज उठी हाथ मैं
ब्रज की आँखों के आंसू मिले साथ मैं

मीरा के प्रेम की उठ रही है गमक
जोहरों की जली राख  की है दहक
सूरा  गाँधी के तन की बसी गंध है
देश भक्ति भरा केसरी रंग है

ब्रज की माटी  मैं  आये थे कुछ अंग सती  के
मेरा यह तन भी उन ही मैं  मिल जायेगा
यमुना गंगा के जल संग बह जायेगा
त्रण सा यह तन भी ईश्वर  मैं मिल जायेगा

Saturday 7 September 2013

salah aur salahkaar

एक से एक तर्कपूर्ण बुद्धिमत्ता पूर्ण सलाहें हमारे देश के कर्णधार खिवैया देते  रहते हैं  कभी कभी अद्भुत  सलाह हमारे सामने आती की हम नतमस्तक होने के लिए हम मजबूर हो जाते हैं  जब सर्वोच्च पद पर बैठे सलाह देते है प्याज महँगी है तो मत खाओ  तो एक अद्भुत सलाह आजाती है की कीड़े मकोड़े खाओ वास्तव मैं अद्भुत सलाह है  बहुत कीड़े हैं हमारे घरों मैं और अपने अपने क्षेत्र मैं।  अगर गटर खोलोगे  तो एक बार मैं आधा किलो  कॉकरोच  मिल जायेंगे  छिपकलियाँ मिल जाएँगी  मच्छर पकड़ने  के जाल  सारे  शहर मैं बिछा  दिए जायेंगे  कितना अच्छा हैं सफाई भी हो जाएगी सुबह ही सुबह  कूड़े के ढेर पर बैठे कीड़े बीनते सब नजर आयेंगे  एक खोज के विषय मैं पढ़ा  जितना वजन धरती पर आदमियों का है उतना ही वजन  चींटियों  का है  चलो धरती का बोझ आधा रह जायेगा  क्या बात है अच्छी सलाह है  सफाई कर्मचारियों के पैसे बचेंगे  दो रुपये किलो चावल  भी नहीं देने पड़ेंगे  वैसे सारा भारत केवल दिल्ली मैं बसता है  उन्हें सुविधाएँ देदो हो गया काम  सस्ती प्याज  पचास रुपये किलो यह सस्ती की परिभाषा है  दिल्ली मैं बिकेगी अब सारा हिन्दुस्तान दिल्ली जाकर तो खरीदेगा  नहीं अब सलाह आइ  है मोइली साहब की  की रात मैं  पेट्रोल पंप बंद करदो क्या बचत है लम्बे रस्ते से आने वाले जगह जगह कार बस सड़क पर ट्रक तो चलते ही रात मैं हैं  चोर डकैतों का फायदा  वसे भी हिन्दुस्तानियों पर समय ही समय  है  जेट युग मैं बैलगाड़ी पर चले तो पट्रोल डीजल बिलकुल बच  जायेगा  क्या बात है मोली साहब दिल्ली से मुंबई उद्घाटन करने जायेंगे एक महीने मैं तो शायद पहुच ही जायेंगे नहीं  कुछ ज्यादा  समय लगेगा वैसे देश तो  भगवान  भरोसे चल  रहा है चलता रहेगा  आधे से ज्यादा कार्यक्रम शहर मैं कथा भागवत  देवी जागरण के मिलेंगे लोग भगवान से मांगते ही रहते हैं आज रोटी मिल गई  दिन बीत गया कल का दिन भी गुजार देना

naye naye naam

फत्ते जल्दी जल्दी नामों की शब्दाबली बना एक नाम डायरेक्टरी  छाप देते हैं कमाई का अच्छा मौका है  चुनाव आने वाले हैं एक दुसरे को पार्टी वाले नए नए नामों से संबोधित करेंगे , छांट छांट  कुछ अच्छे  छांट।  नए अर्थ भी बनाता  चल।   पढ़ा और सुना न मेंढक  अर्थात मोदी काक्रोच अर्थात खुर्शीद ऐसे ही हांकू फेकू  फट्टो चोर सबके आगे कुछ भी लिख दे  सब पर सब फिट होता है  लोगों को बोलने मैं सहायता मिलेगी  बना धन्धू  फुत्तू  दल्लो चालू  इसे नामों की विशेषता लिख किस किस को कहे जा सकते हैं  संभावित लिख दोड़ेगी  किताब  लिख मिस्टर क्लीन। " पर सुरती इसे नाम हम लायेंगे कहाँ से "
"चिंता मत कर दो जगह बहुत अच्छी हैं नई नई  फ़िल्में और संसद की कार्यवाही सब कुछ मिलता है जो   चलता है " मिस्टर क्लीन  नाम हमारी डायरेक्टरी मैं क्षेपक सा हो जायेगा
अरे सुरती क्लीन के आगे लिख अपने देश का नाम बहुत  जल्दी देश का सफाया हो जायेगा साफ बिलकुल साफ  अभी तो ट्रिलियन डोलर क्लब से बहार हुआ है  यही स्थिति रही तो नक़्शे से गायब होगा  बड़े बड़े अर्थ शास्त्री और वकीलों के कब्जे मैं है देश  जल्दी उसकी वकालात करके  दुसरे का साथ निभाते जायेंगे

Friday 6 September 2013

hindi meri hindi

हिंदी तो घर वाली  है सबको लगती बहुत सयानी
पत्नी बाहरवाली है हिंदी तो घरवाली है
फूलों की सी डाली है
 मर्यादा मैं बंधी हुई' करती घर  की रखवाली है
चन्द्र बिंदु सम सजी हुई 'वह सुहाग की लाली है
घर की  सुन्दर शोभा है ,बगिया की हरियाली है
 सबको प्यारी प्यारी लगती,अपनी अपनी साली है
अंग्रेजी  बाहरवाली है ,भरी हुई रस प्याली है
संग साथ अच्छा लगता,उसकी शान निराली है
मस्त मस्त सबका मन हरती काले चश्मे वाली है
जींस टॉप मैं छम्मक छल्लो  ऊँची सैंडल वाली है
हिंदी साड़ी  सूट  बांधती ,लगती ढीली ढाली  है  
लगती सबको  प्यारी प्यारी गोरे गालों वाली है
हिंदी शांत सोम्य निर्झरणी ,अंग्रेजी हंटर वाली है
बहार से है टी न टपेरा   अन्दर बोतल  खाली  है
केक पेस्ट्री ललचाती है ,मगर पेट रहता खाली है
हिंदी करती तृप्त भूख  को  वह रोटी की थाली है
हिंदी तो है मधुर तान  कूके कोयलिया काली  है
गिटिर पिटिर अंग्रेजी करती ,हडिया  कंकड़ वाली है
सबको लगाती बहुत सुहानी बीबी बाहर  वाली है           

Friday 30 August 2013

bada kaun

चुनाब आगये  राम नाम का  जिन्न  फिर बाहर  आ गया  तरस आता है  एक दिन  एसा  था बेचारे राम जी अच्छे खासे  छत के नीचे थे एसा  झगडा पड़ा उनकी छत भी गई  करें भी क्या छत देने वाले बार बार  परदे  के कोने पकड़ कर खड़े हो जाते हैं कोई कहता है  मैं जो कह रहा हूँ वही सचमैं सबसे ताकतवर दूसरा ताली बजाता है  राम को एक  तरफ  रखो  मुझसे  भिडो मैं ताकतवर  और उन्हें जनता एक तरफ रख देती है  पहले तय कर लो  इससे तो  लाला  को ही बुलालो  लड़ेंगे तो नहीं  तो फिर   सब मिल कर  राम जी को बुलाने लगते है  एक बार  सबसे ताकतवर कौन यह सवाल उठा  समुन्दर ने कहा 'मुझसे ताकतवर कौन है  जहाँ चाहे फ़ैल जाऊ  सुनामी मचा  दूं  इस पर पहाड़ ने कहा 'नहीं मुझसे ज्यादा ताकतवर  कौन है  समुन्दर को मेरे आगे झुकना से बाहर कर देते हैं पड़ता है  पहाड़ों का समुन्दर कुछ नहीं कर पाटा  मैं समुन्दर को  कहो तो लाशों  से पात दूं  देखा नहीं  अभी  उत्तराखंड मैं  जरा सा कुल्ला  ही किया था।  इस पर हवा ने कहा  शट अप मझसे ज्यादा पावरफुल  कैसे  सुनामी तूफ़ान मेरी वजह से  असर छोड़ते हैं इस पर पवनपुत्र हनुमान ने कहा आज के दौर मैं  हर बाप अपने बेटे से खौफ  खता है  सो आप से ज्यादा पावरफुल मैं  . इस पर सबने कहा , हे हनुमान तुम सबसे ज्यादा पावरफुल  कैसे हो सकते हो तुम तो खुद राम के सेवक हो सबसे ज्यादा पावरफुल तो राम हुए न  . हनुमान जी ने मुस्कराते हुए कहा , चलो राम जी  से पूछ लेते हैं  , रामजी ने  बताया , ब्रह्माण्ड मैं सबसे ज्यादा  पावरफुल आप मुझे मानते हैं न  मुझसे ज्यादा पावरफुल भाजपा  है  सबने पुछा  , वो कैसे ?
"अरे उनकी ही पॉवर है जब चाहे  उनकी मर्जी होती है तो आपने एजेंडे  मैं शामिल कर लेते  जब मर्जी होती  है एजेंडे से बाहर  कर देते हैं
राम नाम लड्डू  अयोध्या नाम  घी
मंदिर नाम मिश्री तो घोरिघोरी पी      

Saturday 24 August 2013

swaron ki hatya

एफ ऍम रेडियो टीवी कंप्यूटर की दुनिया  के साथ तरह तरह  के गजेट  की दुनिया मैं पुराने गाने और  कहीं खो गए हैं  सगीत की मधुर धुन अब कभी कभी सुनने को मिलाती है  पुराने गाने पुराने रिकॉर्ड  पुरानी   पीढ़ी ही सुनना पसंद कराती है  उनके लिए नए गाने कान फोड़ो संगीत है  पुराने गानों को रीमिक्स करके उनमें भी  तेज  आवाज के वाद्यों की धुन भर दी गई है  सस्ते  कैसेट बनाने  के चक्कर मैं  नए गायक गायिकाओं से गाने गवा कर  गानों की आत्मा की हत्या कर दी गई है  अधिकतर आज भी मैं टेप लगा कर  या सीडी लगा कर पुराने गाने सुनना पसंद करती हूँ    पुराने  टेप ख़राब होने के बाद  नई  सीडी आकार उनके गाने वाले बदलते गए हर जगह  नकली कैसेट ही मिलते हैं  एक दिन लता मंगेशकर और रफ़ी के गए असली गानों की कसेट  मिल गई  एक एक कर असली और नकली दोनों गानों को बजा बजा कर  देखा  नकली गानों मैं जैसे गाने की आत्मा ही मर गई हो  वास्तव मैं हम ने संगीत की ही नहीं  गायक गायिकाओं की भी हत्या कर दी है  जिस समय  लता द्वारा गया गया असली ज्योति कलश छलके  सुना तो लगा  सैंकड़ों  दीप जल गए हैं  लम्बी साधना कर साढ़े हुए  स्वरों की  तुलना  फटे हुए केवल गाना गाना है इसे गायक गायिका गलती हो गई उन्हें गायक गायिका नहीं कहा जा सकता  उनसे की जा सकती है यह तो एस ही है  घर के मालिक को मार कर चोर  खुद मालिक बन जाये। मुकेश के एल सहगल के गानों को सुनते हैं  तो उनमे गाने की आत्मा झलकती है  नए गायक उनका मुकाबला कैसे कर सकते हैं  कैसे लता की मधुरता आशा की मस्ती रफ़ी की गहराई  और मकेश की खनक आ  सकती है  सस्ते के चक्कर मैं हमने गानों को सस्ता बना दिया है  नवीनता लेन के लिए उनमे धाड धाड करती बीट्स अन्गीत से दूर कर एक शोर मैं  तब्दील कर दिया है  

Tuesday 20 August 2013

aur kitna giroge

गिरने  का  दौर जारी है रोज रिकॉर्ड टूट रहे हैं गिरने  के  ऱेकार्ड  तो होते ही हैं टूटने के लिए  अब चिंता रोज रोज रिकॉर्ड टूटने की है तो रिकॉर्ड  बनाओ ही नहीं उसे बिलकुल शून्य पर पहुंचा दो।  अब लो कर लो बात  रुपये को गिरा  हुआ क्यों बता रहे हो यहाँ तो हर बात मर्जी पर चलती है बोलने पर चलती है  अगर नेता कह रहे हैं महंगाई गिर रही है तो गिर रही है उसे उठी कैसे मान लोगे।  रही रुपये की बात तो गिर कहाँ रहा है  ऊपर उठ रहा है गिर तो डालर रहा है  अपन तो ऊपर जा रहें है  जनता को समझना चाहिए  हम रिकॉर्ड स्टार पर चमक रहे हैं  ६४ ६५  बढ़ रहे हैं  अब नेता समझायेंगे पर्यटन बढ़ रहा है  विदेशियों को भारत अब सस्ता लग रहा है न बल्ले बल्ले तो उठाना हुआ न  . नेता संसद मैं उठ रहे हैं मुक्के लहराते हैं  तो कितनी टी आर पी  टीवी की बढ़ रही है मुफ्त का तमाशा देश विदेश को मिल रहा  है कितना उठ गए हैं हम नई नई  गालियाँ आरोप प्रत्यारोप  लगा कर बोलने की क्षमता  उठ रही है।  पहले अखबार मैं ,फिल्मों मैं हम आदर्श पाते थे और अपने गिरने का दुख होता था हम भी ऐसे बनेंगे  अब हमारा कितना मनोबल उठ गया है  की नित्य गालियाँ सुनते हैं और सुनाने  वाला अपना  कॉलर ऊँचा  करता है वह देश का हीरो है। महिलाएं कितना उठ गई हैं  दुर्गाबाई लक्ष्मीबाई अहल्या बाई से मुन्नीबाई चमेलीबाई बन गई हैं  छम्मक छल्लो कहलवाने पर खुश  हैं छल्ले सी ड्रेस पहन कर इठलाती हैं हैं और हम कह रहे हैं गिर रहा है  सब कुछ उठ रहा  हमारी बेईमानी का  स्तर  उठ रहा है  गिर रहा है तो देश गिर रहा है  हमारी संस्कृति गिर रही है  हमारा ईमान  हमारा चरित्र गिर रहा है पर इससे कुछ जोटा नहीं हैं इसे गिर कर हमारा  बैंक बैलेंस  उठ रहा है  अब बस इंतजार है तो
तुमने कुचले हैं  मिटटी के घरोंदे
कितने सपनों को उसके नीचे दबाया होगा 
कोई कथित कीड़ा ही दफ़न मिटटी से
पाके मिटटी की ताकत सरमाया होगा 

Saturday 17 August 2013

naye naam

फत्ते जल्दी जल्दी  नामों की शब्दावली  बनाएँ  एक नवीन नाम डिक्शनरी  छाप  देते है  कमाई  का मौका  है  एक दूसरी पार्टी के लोगों को नए नए  संबोधन करने होते हैं  चलो  अच्छे अच्छे  छांट  लेते हैं  उनके नए अर्थ भी बनाता चल मेंढक  बनाम मोदी  कॉकरोच बनाम खुर्शीद  ऐसे  ही हांकू  फेकू  सब नए नामों के आगे लिखता जा  नए नाम भी बनाकर लिखते हैं बोलने मैं सहायता रहेगी। फूटू ,जोंकू  दल्लू  धंदू  चालू  इन नामों के आगे इनकी विशेषता लिख किस किस को कहे  जा सकते हैं  संभावित लिख देख दोडेगी  किताब  पर सुरती  किताब के लिए नाम तो बहुत इक्कठे  करने पड़ेंगे  …. कहाँ से लायेंगे।  घबरा नहीं दो जगह बहुत बढ़िया है  नइ  नइ  फिल्मे और  संसद सुना तूने
एक भाषा विज्ञानी
अपनी नई  पुस्तक के लिए
शब्द भण्डारण  कर रहे थे
गली गली शहर शहर
लोगों से मिल रहे थे
शब्दों का अच्छा सा
जखीरा था  हो गया
लेकिन यह तो गाना
बिन ढोल मंजीरा हो गया
गली गुप्ता तो आइ  नहीं
शब्दों की सीमा भाई नहीं
कुंजड़ों की बस्ती के चक्कर लगा आये
दस पांच  शब्दों से ज्यादा  न बढ़ा  पाए
सबसे कहते कुछ तो बोलो
अपने शब्दों का पिटारा  खोलो
कुजडे धकियाते मुस्काते बोले
हमारे असली बोलने वाले
संसद मैं पहुच गए
सीखनी हमारी भाषा है तो
संसद मैं सीख लो
पुस्तक के कुछ पन्ने क्या
पुस्तक ही भर लो
एक से अच्छी  उपमाएं  मिलेंगी
शब्दों के वाक्यों की मालाये  मिलेंगी
पहन कर जिन्हें मुस्कराते हैं    

Thursday 15 August 2013

esh

चल  भैये  आज ऐश करते हैं। फटी कमीज  और गंधाते शरीर  से एक हाथ  से खुजाते  फत्ते   लाल  बोले ,' आज   सत्ताईस  की  जगह तीस  रुपये कमा  लिए हैं  आज हम अमीर हो गए हैं  चल  नमक से प्याज  खाई  जाये  फत्ते  और   सुर्ती  सब्जी वाले  को तीन रुपये देकर बोले 'लाला तीन रुपये हैं तीन रुपये  ला  प्याज तोल दे * प्याज को  ढकते  लाला बोला ,"  जा  जा  प्याज खाएगा एसे आगया  तीन रुपये का सोना  तोल  दे ' फत्ते चल  जामा  मस्जिद ही चलते हैं  वहीँ टिन  डाल  लेंगे  नहीं तो  सोने की जगह तो मिल ही जाएगी ,पांच  रुपये का खाना  खायेंगे भर पेट  पञ्च सुबह पांच  शाम  दस रुपये  बाकी  बैंक  मैं  जमा कर देंगे हो  जायेंगे हाल लखपति  जब सात  साल मैं फटेलाल  अरबों पति  बन सकता है तो हम लखपति तो बन ही सकते हैं ""अरे  नहीं सुरती  दिल्ली नहीं मुंबई  चलते हैं  बारह रुपये मैं राजबब्बर के साथ खायेंगे  " " हाँ हाँ  यही ठीक है  पर  बूढ़े मां बाप और बच्चों  का  क्या करें ""सुरती तू रहेगा  घोंचू , उनकी क्या  फिकर  मां  बाप  को  वृद्ध आश्रम  मैं  और बच्चों  को  अनाथालय  मैं  डाल  देंगे वहां कम से कम  नहाने को और  चाय तो मिल जाएगी नहाने को साबुन पानी  चाहिए पहले तो जमुना मैं नहा  लेते थे अब तो वहा  भी पानी नहीं है  नल लगवायेगे  तो पैसे  लगेंगे  पैसा  क्या   पेड़  पर उगता है   मंत्रियों  के खर्चे चाहिए भय्ये।  "फत्ते जनता रुपी पेड़ है तो  हिला लो  चल  मंदिर के आगे  कटोरा लेकर बैठेंगे  वहां खाने के साथ  और भी कुछ न कुछ मिल जायेगा  सोमवार शिव,मंगल हनुमान बुध  गणपति ब्रहस्पति  साईं  शुक्र  देवीजी  शनिवार शनि देवता  रविवार को तो  बहुत जगह मिलता है नहीं तो  गुरुद्वारा  तो है ही " "सुरती  गोगी  साहब ने एक  खाना और सुझाया है कीड़े मकोड़े का  चल  वही पकड़ेंगे बैठे बैठे।  बोलो धरम करम  की जय        

Tuesday 13 August 2013

bolo bolo

बस  ट्रक  के पीछे लिखा  रहता है हाथ दो  हाथ दो अरे तुम्हे  हाथ दे देंगे तो  तुम्हारा दूसरा आदेश कैसे पालन करेंगे,  लिखा रहता है हॉर्न दो अब हॉर्न देदेंगे हम क्या बजायेंगे वैसे ही यहाँ सड़क सबके बाप की है जैसे  संसदबाप की फिर बाप के बाप की है कोई हटना ही नहीं चाहता है।  हॉर्न चाहिए तो अपना खरीदो खरीदो  और बजाते रहो वैसे बजने से फरक नहीं पड़ेगा  क्योकि कोई सुनेगा भी नहीं सुब बोलना चाहते हैं।
टीवी पर परिचर्चा सुनो  पञ्च हो या छ  सुब बोलते जायेंगे  कोई किसी की नहीं सुनता है लगता है काक सम्मेलन  हो रहा है  कोवे कांय  कांय  कर रहे हो जनता भी नहीं समझ पाती  और फैसला हो जाता है  बेचारा  संयोजक  चीखता रहता  है गले साफ़ की दवाई खाता होगा विज्ञापन का ज़माना है  पता नहीं करोड़ों देकर  कम्पनियाँ अपना ब्रांड अम्बेसडर  बड़े बड़े  स्टारों को  क्यों बनाती है जो उद्घाटन के दिन दीखते है फिर पहेलियों मैं या दिमागी उलझनों मैं मिलते है  की  फलां कंपनी का  ब्रांड एम्बेसडर कोन  है नेता तो चेहरा चमकाने के लिए बोलते हैं कुछ न कुछ  तो बोलना है  बोल दो दो कुछ भी बोल  दो  दुसरे दिन फिर चेहरा चमका देंगे की हम यह नहीं  यह कह रहे  थे जनता गलत समझ रही है। जनता बेचारी उसमे अकाल ही होती तो क्या बात थी  उनका दोहरा फायदा ,चर्चा मैं बने रहने का अच्छा तरीका है। एक तरीका और है दुनिया ऊपर से नीचे हो  जाये चुप रहो  एक चुप सो को हरावे  बोल बोल कर रह  जायेंगे  इसके लिए कुछ नहीं कहा उसके लिए  कुछ नहीं कहा।  आदमी  की याददाश्त बहुत खराब है  हल भूल जाते है। कहा तो चर्चा मैं न कहा तो चर्चा मैं। लड्डू तो दोनों हाथ मैं हैं      

Tuesday 2 July 2013

rahat kise

११६ करोड़  सहायता के लिए स्वीकृत  फिर भी जैसे सब कुछ गवां  कर भूखे प्यासे  जितने आ पारहे हैं आ रहे हैं जो गए सो गए  उनका कोई प्रयास भी नहीं पहले जिन्दा तो बच  जाएँ .केदारनाथ यात्रा या चारो धाम यात्रा  सबसे प्रमुख यात्रा और चरम समय पहले दिन उसी समय केदार नाथ मैं हजारों की भीड़ थी तो उस दिन भी होगी देश के कोने कोने से यात्री गया हुआ  मोहल्ला पड़ोस सब के चेहरे  अपनों को खोज रहे हैं  उनकी नजर टीवी के हर चॅनल  पर है  जहाँ पर से किसी प्रकार की कोई खबर मिले  किसी भी तस्वीर मैं उनके अपने दिख जाएँ  फ़ोन पर व्यस्त हैं  सरे देश की आंखे उन चैनलों पर लगी हैं  इसे मैं क्या  ग्यारह लोगों की टपटप  पर जीत पर जशन  मनाया जा सकता है कैसे कोई लाफ्टर शो पर हंस सकता है पर एक दिन के लिए भी उन चैनलों ने  कुछ दुःख भी व्यक्त नहीं किया  यह एक प्रदेश की आपदा नहीं थी और है क्योंकि अभी सब कुछ  सामान्य  नहीं हुआ है  छोटे बच्चों के मन मैं  सम्बेदनाये  उतनी जाग्रत नहीं होती वो तो पटाखे छोड़ेंगे  वह उनके मन की चीज है  पर जिनके  घर के सदस्य गए होंगे  उनके लिए तो ये अग्नि वाण  ही है 
ऊपर से होती राजनीति  ये मेरा  घर  ये तेरा  घर  ये तेरा दर ये मेरा दर न जाने कितने मुखोटे  निकल आयेंगे .
एक कक्षा मैं टीचर जे ने बच्चों से गाय  घास खा रही है तस्वीर बनवाई  एक बच्चे ने खली कागज जमा  कर दिया  मास्टरजी ने बच्चे से पूछा '; क्यों गाय  कहाँ है? बच्चा बोल घर गई  ' " और घास कहाँ है ?" " वह गाय  चार गई  इसलिए सब खत्म  इसे ही अब आपदा रहत बंद करने की बार बार  बात अ रही है  हो गया बस सब निकल लिए गए जो खो गए वो रास्ता  भटक गए पहुँच जायेंगे यहाँ भी टीचर जी ने गणित का एक सवाल दाग दिया  ७o  हजार यात्री गए  एक लाख दस हजार बचाए गए एक हजार मर गए  सात हजार लापता हैं  7२ ६  गाँव तबाह हुए बुत से गावों का निशान भी गायब हुआ  प्रति गाँव ओसत जनहानि सॊ  मान  लो  चलो कुछ कम मान लो पचास मान लो जन संक्या  नियंत्रण अभियान भी तो चलाया गया होगा  अब बताना ये है ...एक बच्चा चीखा पूछने वाला आगरे का तो बताने वाला कहाँ का ? विशेषग्य  आंकड़े निकलते है बनाते है  वे हर हालत मैं सही होंगे इसी ढंग से पढना और समझना सीखो  बच्चो जिंदगी आंकड़ों का खेल है हल ढूढो तो जाने     

Friday 28 June 2013

desh ki ankhen nam thi

उस दिन सूर्य  पश्चिम  से निकला था
सूरज की आंख  झुकी  झुकी  सी थी
धूप भी ढली ढली सी थी
साथ लेकर जो जा रही थी  कांधे  पर
  किसी  की आंख का नूर किसी का श्रृंगार
एक हाथ  से छीना  था बचपन का  प्यार
दूजे हाथ में  थी  बहन की मनुहार
माँ के आँचल को भिगोया था उसने
इसलिए धुप की आंख जली जली सी थी
पूरब से ढले चाँद ने देखा
सारे शहर की आंख नाम थी
सूरज के कंधे पर इतना बोझ  था
 मौत को मिली थी इतनी बद दुआएं
जितनी उठा सके  वो कम थी
इसलिए उसकी बाहें गली गली सी थी
उस  दिन सूर्य 

Thursday 27 June 2013

rain hui chahun des

हिमालय फिर क्रोध से कांप रहा है .उसकी धरती पर निरंतर वार .वह सहता रहा सहता रहा  जब सहन शक्ति ख़तम होगी तो उसने बस एक बार  पलक टेढ़ी की है  मात्र एक पलक  . न जाने कितनी झीलें हैं जो शीतल  थी उबलने लगी हैं  सूखने लगी है  इन्सान के लालच ने शिव के निवास को पिघला दिया  उसकी बदहाली  पर ही तो आसमान रोया .हिमालय भी तो पूरे देश का है लेकिन उसके  हिस्से कर इंसान  जुट गया उसे ही काटने  उसे ही बाँट लिया  ये तेरा हिस्सा ये मेरा हिस्सा  तेरे हिस्से में  मैं नहीं बोलूँगा मेरे हिस्से मैं तू पैर भी नहीं रखेगा  अब यदि अख़बार टीवी वाले न्यूज़ देना बंद कर दें  तो देश को पता भी नहीं चलेगा की क्या हो गया उसके परिजन कहाँ गायब हो गए  कोई हलचल नहीं  होगी और अपनों को रो कर चुप हो बैठ जायेंगे  पर मानवीय  संवेदनाये आम आदमी से नहीं जा सकती  पहले यदि किसी प्रदेश मैं विपत्ति  आती थी तो पूरा देश एक हो जाता था  ये धाम तो पूरे भारतवर्ष को संजोये हुए था  तब भी वह केवल उत्तराखंड का है और कोई  कुछ नही  करेगा जो करेगा उत्तराखंड की अनुमति से करेगा  अब यह तो है ही अगर मेरी पार्टी का है तो वह सब कर सकता है  चाहे राहत शिविर के भूखे प्यासे लोगों को कांपते हुए  बहार रात  बितानी पड़े  हाँ  दुसरे पार्टी का  देखे भी नहीं  कहीं लोग  उससे कुछ बुरे न कर दें या उनका पर्दा फाश न हो जाये  हम चाहे डूब जायेंगे और जनता को डुबो देंगे पर तुझे बचने नहीं देंगे . सैलाब की क्या है  अच्छा है लाखों की जनता कम हुई  सरकार के ह्रदय मैं कोई हलचल नहीं हुई  गाद केदारनाथ पर नहीं पड़ी  गाद पूरे देश पर स्वार्थ की पड  गई है  गृहमंत्री जिन के हा थो मैं पूरा देश सोंप दिया आठ दिन बाद गर्दन हिलाते कह रहे हैं  आपस मैं तालमेल मैं समय लग गया  केवल गर्दन हिल देना कितना आसन है पर अपनों को खोने से जो पत्थर पड़ता है उस बोझ को उठाना आसान नहीं है यह दर्द दिल वाला ही जनता है  हाँ इस बात पर ज्यादा परिचर्चा है  की लाश कौन उठाये  टांग तेरी सीमा मैं है धड दुसरे की सीमा मैं  पड़ा रहने दो  चार आंखे दूर आसमान से  सुरम्य हिमालय की कल कल बहती नदियों को देख गई कितना सुन्दर हिमाच्छादित स्थान है  रोद्र रूप तो उन्होंने झेल जो उसके साथ बह गए  समझ नहीं आया क्या बिगाड़ा नदी हैं पेड़ हैं पहाड़ है  इतनी ऊंचाई से जंगलो मैं झाड़ियों मैं चींटी की तरह दिखेंगी नहीं नहीं तो विपत्ति की भयावहता कहाँ समझ आएगी .चलो भी  सैर कर दुनिया  की  जानिब  दो चार बांध और बन जायेंगे  तो इन इलाकों पर भी कब्ज़ा  हो जायेगा .चल खुसरो घर आपने रेन (रैन नहीं )हुई चंहु देस अच्छी फसल होगी  

Tuesday 18 June 2013

bhartiya sanskrati

अगस्त क्रांति मथुरा से  पकडनी थी , जरा सा आगे बढ़ते ही जाम की स्थिति उतर कर देखा दूर दूर तक वाहनों की  लम्बी कतार  ड्राईवर  ने तुरंत मोड़ कर सर्विस लेन पर  गाड़ी उतार ली  जैसे जैसे गाड़ी बढती रहत की सांस आती जा रही थी  नहीं तो निश्चित था ट्रेन निकल जाएगी आगे एक ट्रक पलट गया था  ड्राईवर और क्लीनर  घायल थे उन्हें पटरी पर लेटा  दिया गया था ट्रक हटा कर रास्ता चालू करने का प्रयत्न  किया जा रहा था एक मिनट रुक कर स्थिति देखी  अरे  घायल    इन्हें  पहले कोई  हॉस्पिटल क्यों नहीं पहुंचा  रहा  चलो  आगे  हॉस्पिटल है इन्हें छोड़  देते हैं  कर्त्तव्य का भाव जग  उठा  . पागल हो अभी  अगर ट्रेन नहीं पकडनी है तो  पडो चक्कर मैं  पहले तो पुलिस मैं मामला दर्ज होगा  तुम लेकर गयी  तो तुम्हारा बयां होगा तुम्हे पुलिस इतनी आसानी से जाने नहीं देगी हो सकता है तुमने ही मारा  हो  पता लगा अम्बुलेंस के लिए फोन  कर दिया है पर वह भी जाम खुलेगा तब ही तो आएगी  और अस्पताल  वाले भी  भारती नहीं करेंगे  आसानी से  मैं और शायद सभी जल्दी मैं थे लाख लाख शुक्र है गाड़ी मिल गई  रस्ते मैं एक स्थान पर फालसे लिए  पता नहीं कौन जमाने का  ठेलेवाला  था  जो कागज मैं फालसे दे रहा था प्लास्टिक थैले नहीं थे  उस अखबार मैं एक पुरानी खबर और चित्र था एक ट्रेन दुर्घटना का  एक महिला सीट से दबी थी और एक आदमी  उसकी चूड़ी उतर रहा थाखबर मैं था  चूड़ी उतार कर वह भाग गया महिला को नहीं निकला . बस कांड तो हो कर ही चूका है  आधी दुनिया चीख कर रह गई कुछ  नहीं हुआ  रोज खबरें रहती है  बैखोफ हैं यौन  अपराधी  यह सब भारतीय संस्कृति का हिस्सा है जिसका गौरवमय अतीत है एक भब्य आयोजन से  बापस आते ही खबर मिली अमेरिका मैं बेटी दामाद  व् धेवती की कार  दुर्घटना ग्रस्त  हो गई  कार ने पांच  छ पलते खाए बेटी बेहोश दामाद ने गाड़ी से निकल कर देखा एक गाड़ी सहायता के लिए रुक गई  उन्होंने उससे प्रार्थना की एम्बुलेंस के लिए तो उस व्यक्ति ने बताया  मेरी पत्नी कर रही है तब तक गाड़ी के सेंसर  से भी आवाज आने लगी अम्बुलेंस  से डॉ  हिदायत दे रहे थे उन्हें क्या  उपचार करना है दो मिनट मैं  अम्बुलेस  वहां थी  पाच मिनट मैं पुलिस पहुच गई  अम्बुलेंस उन्हें लेकर हॉस्पिटल चली और पुलिस ने उनका एक एक सामान  बटोर कर यहाँ तक की चिल्लर भी उन तक सुरक्षित  पहुँच दिया  इश्वर  का बहुत बहुत धन्यबाद  जो इसी भीषण दुर्घटना से सब उबार गए  .किस सभ्यता संस्कृति को हम मानवीय  कहेंगे  हाँ धन्यबाद के समय भारतीय ईश्वर  ही मेरे सामने थे    

Tuesday 11 June 2013

aazaadi

साढ़े तीन साल बाद  अग्रवाल दंपत्ति  अमेरिका से वापस  आये  पांच  वर्षा पहले पुत्र  अमेरिका चला गया था  वहीं  पढ़ाई  करके वहीँ नौकरी  कर ली  अब  दो वर्ष पूर्व  उसने  अपना निवास बना लिया था  और पत्नी को लेकर चला गया था  .पहले बच्चे के जन्म के  समय  उसे माँ की आवश्यकता  हुई तो  माँ बाप को टिकेट  भेज कर बुला लिया ' छ  माह रह सकेंगे बच्चों के  संग  अच्छा  लगेगा
एअरपोर्ट से बाहर आते ही उनकी नाक सिकुड़  उठी ," अमेरिका की सड़कें  हैं क्या फर्राटा  भारती हैं  एक दम चिकनी ' क्या मजाल जरा भी जाम लग जाए  जाम  जैसी चीज तो वहां है ही नहीं  ट्रेफिक  जैम  था किसी ने युटर्न  ले लिया उसमें देर  लग गयी  और जाम की स्थिति आगई  पुलिस  वाले से झिकझिक चल रही थी
अरे क्या कर रहा है बगल से लेले  'उन्होंने ड्राईवर से कहा
'नहीं और जाम लग जाएगा  सिंगल  रोड है  न मित्र जो लेने आये थे उन्होंने कहा
अरे यार  क्या करें  घर की जल्दी पड़ी  है  निकाल तू 'उन्होंने बेताबी से कहा 'और किसी पान वाले पर  रोकियो पान मसाला तम्बाकू खाए जुग  बीत  गया    बस वहां यही खराबी है  पान मसाला नहीं मिलता  ले गया था सब झपट लिया  पर प्रदूषण नाम का भी नहीं है कोई हॉर्न भी नहीं बजा सकता  यहाँ देखो कैसी चिल्ल  पों  मची है  एक टुकड़ा भी सड़क पर डाल  दो न जाने जुर्माना लेने प्रगट हो जाते हैं  आप पुलिस  वाले को कुछ दे भी नहीं सकते  देने का प्रयास किया तो  अन्दर  ' अमेरिका  की बातें बताते उनकी छाती  गर्व  से  फूल  रही थी।
 अरे  ड्राईवर रुकना गरम मूगफली  मिल रही है दस रुपये की लाना ' और लेकर छील छील कर सबको देने लगी  साथ ही बोली 'अरे भाईसाहब  वहां तो कुकर  मैं सीटी भी नहीं लगा  सकते  कुछ तल  नहीं सकते जरा कुछ  तलने लगती बहू  कहती अलार्म बज जायेगा  कभी कभी  खिड़कियाँ बंद कर  तला भुनी जरा सी करते  ब्रेड खा कर थक गए पर हवा  एकदम शुध है  वहां सांस लेने  मैं आनंद  तो था  यहाँ तो ऐसा  लग रहा है चारो ओर     धुआं ही  धुआं  है  . सुनो वो गरम कचौरी  बन रहीं है  लेलो
अब आते ही एकदम मत खाओ पेट खराब हो जायेगा  जरा यहाँ के खाने की  आदत पड़ने दो  वहां शुद्ध  खाया है न
'पर आप तो  छ  माह के लिए गए  थे  मित्र हो हो कर  हसते बोले बहू ने निकाल दिया या  उनका काम पूरा हो गया .'अरे नहीं बहू बेटा तो बहुत कह रहे थे  पर अकेले  बॊर  हो जाते बच्चे तो सुबह ही चले जाते  ' अरे भाई साहब  सब काम अपने हाथ से करने पड़ते  मैं तो बर्तन माजते  तंग आगइ   पत्नी ने शीशा खोल और  छिल्के  का  थैला बाहर फैंक दिया  अरे  यहाँ  आजादी  है यार वहां तो बंदिशे  बहुत हैं यह कहते हुए  दरवाजा खोल और पिच्च  से थूक दिया 

Sunday 2 June 2013

sarkaari naukari

ए बहूजी  तुम तो इत्ती जगह  जात होई  मेरे लाला के लिए नौकरी लगवाव  दो ' मेरी मनुहार कराती काम वालीबाई बोली
कितना पढ़ा  है क्या काम कर सकता है ,' किसी के लिए कुछ करने का जज्वा  तुरंत बोला  
 बाय दसई  को  सटिफिकेट बनबाय  दियो है  एक हजार लगे वैसे  स्कूल मैं सातवी तो पढो हतो  पास  कर ली  है
तब क्या  नौकरी  लगेगी पास मैं गोदाम है  लगवा दूं  मेहनत का काम  है  कार्टून  उठा उठा  कर रखने होते हैं' अरे  वापे  काम  ही तो ने होत कछु करे  न चाहत  जय लिए कह  रही कि  सरकारी लगवाय दो '
 ये  दसवीं के कागज़ कहाँ  से बनवाये '
चों बन जात हैं  हजार रूपया लगत है  सरकारी नौकरी मैं  दसवीं पास  चाहिए न
सरकारी सरकारी नौकरी  क्या इतनी आसानी  से लग जायेगी
खच  कर दूंगी  वाकी  चिंता मत करो  कई भी जगे  फिट करा दो  अब का करूँ  बिलकुल हर्रम्मा  है  बसे काम ही तो ने हॉत  पिरैवेट  मैं तो काम कारणों पड़ेगो  काम नाय करेगो  तो कल निकार देंगे सरकारी मैं तो एक बार  परमानेंट  है जय  फिर कोई  मई को लाल न  निकार सकत 'नहीं मालुम फिर उसका  क्या हुआ  क्योंकि मैंने मन कर दिया की मैं नहीं  कर पाउंगी तो वह काम छोड़  गई  फिर दिखी भी नहीं
सच है सरकार कई डिब्बे  वाली ट्रेन है  जिसके फर्स्ट सेकंड  थर्ड पर तो ऊपरी  तंत्र  टांग पसार कर सो रहा है  अगर एक भी सीट  खाली  तो मौजूदा व्यक्ति  के परिवार  का बच्चा  ही सही स्टेशन  से चढ़ जायेगा 'स्लीपर पर अफसर बैठे हैं  सो रहे हैं कुछ  डिब्बे जनता के इसमें  ठुस्सम ठुस्सा  हो रही है और सरक यार  सरक यार  दुसरे दरवाजे से गिर जाये  कोशिश करते हैं  और खुद लटक  कर ही सही चढ़  जाते हैं  फिर क्या बस  ठूसना  चाहिए  रेल तो अपने आप  चल रही है  चलती  जायेगी
आराम बड़ी चीज है  मुंह ढक के सोइये
किस किस को याद कीजिये किस किस को रॊयिये

अजगर करे न चाकरी  पंछी  करे न काम
दास  मलूका  कह गए सब के दाता  राम 

Monday 27 May 2013

apraadh aur apraadhi

प्रतिदिन अनेकों अपराध होते हैं और अपराधी पकडे  जाते हैं  चाहे कैसा भी  अपराध करे उन्हें चंद रुपयों  के बदले जमानत मिल जाती है फिर वह खुले आम अगला अपराध करने के लिए तैयार हो जाता है  एक अपराध की सजा चन्द दिन की जेल है तो दुसरे  अपराध की सजा  चंद  दिन की जेल ही तो होगी और वैसे भी  जेल अपराधियों का  प्रशिक्षण शिविर  ही तो है वहां अपराधी प्रवरर्ती के व्यक्ति  और चतुरता से अपराध करना सिखाते  है अपनी कमी व  दुसरे  की कमियों  को दूर करके और भी वीभत्स  अपराध  करने के लिए तैयार हो जाते है  नादानी मैं किये अपराधों मैं लम्बी जेल होती है लेकिन महिलाओं  के साथ कैसा भी कांड करले चाँद दिन मैं छूट  जाते है . मौज करले फिर बार बार जिंदगी तो मिलेगी नहीं  दूसरे  की परवाह  मत कर अपने मजे को आँख कान बंद कर लूट .
 बीस बीस  पैसे करके  तुम
रुपया एक बचालो
हम महलों की बात करें
तुम कुटिया  एक छ्वालो
देश हमारा हमको  प्यारा
खालो खालो  खालो
सौ  रूपये जब हो जाये तो
हमको देदो दान
अनशन और उपवास करो
वह करता है कल्याण
लेकर के खडताल हाथ मैं
गालो गालो गालो
भूखे नंगों की टोली है
भारत की पहचान
देश हमारा हमको  प्यारा
खालो खालो  खालो 

fandoos

बुद्धिजीवी  समस्याओं  का  समाधान करते हैं  और बुद्धिमान उन्हें रोकते हैं

जंगल मैं शेरों  से भिड़ने की तुलना मैं उनका समर्थन करना कहीं ज्यादा आसान  होता है  बस इतनी ही वजह है है जो सारे बुद्धिजीवी  सरकार का समर्थन करते हैं

हमारे यहाँ  इसे तमाम बुद्धिजीवी  हैं जो कॉमन सेंस का इस्तेमाल करने से डरते हैं

किसी चीज के बिलकुल दुरुस्त होने पर संदेह करना  तो बुद्धिजीवियों  और लेखकों का  काम ही है




Monday 20 May 2013

lash bolti nahin

जवान  लड़की  चीखती रहती है  दस पंद्रह दुर्योधन सीत्कार लेते  चीरहरण  करते है और सब रस ले ले कर उसके शरीर पर हाथ फेरते हैं कोई कृष्ण तो क्या आता हजारों की भीड़ आँख फेर कर चली जाती है कान भी बंद नहीं करती  आवारा किस्म के लड़के अपनी विकृत मानसिकता को प्रदर्शित करते हैं और  भीड़ यह देखती है मानव कैसे बर्बर हो जाता है मानव जंगली था परन्तु शायद जंगल में ऐसी घटक मानवता देखने को नहीं  मिली होगी .मानवता मैं सडांध  फ़ैल  गई है पडौस  मैं पूरा परिवार चार पांच दिन सड़ता  रहता है मालुम तब पड़ता  हैजब खड़ा  होना मुश्किल हो जाता है  ये मानव शरीर नहीं सम्बन्ध सड़ते हैन.लद्कि सन्नाटे मैं बड़े अपार्टमेंट मे चीखती है चिल्लाती है पर किसी की आँख नहीं खुलती  या खुली आंख बंद कर लेते है कसकर  साथ ही कान भी
तड़प तड़प कर  वहां से टकराकर व्यक्ति दम तोड़ देता है पर सब जल्दी मैं हैं या कौन झंझट मोल ले निकल चलो जो बोले सो कुण्डी खोले यदि रुकता है  या अस्पताल ले जाता है तो रुकने वाला  जेल की हवा खाए या  कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाए क्योकि पुलिस वाले उसी को धर लेंगे वो भी क्या करें करें उन्हें भी गूद्वार्क के लिए कोई चाहिए चल तू आया तू ही सही  इंसानियत क्या करेगी जब इंसानियत भगवान् समझे जाने वाले  के दर पर काम नहीं करती है तो पुलिसवालों  की तस्वीर तो वैसे ही धूमिल है .अस्पताल के गेट पर बुखार से बीमारी से  भर जाता है पर उसे एक गोली दवा  की डॉक्टर  नहीं देने को तैयार कौन दे अस्पताल मैं आता है  पैसे सब मिलकर खाते  हैं तो खर्च भी सब मिल कर करें  .इंसानियत तो मर चुकी है उसकी लाश  धो रहे हैं लाश पर कोई असर नहीं होता . 

Sunday 19 May 2013

hasna bhi kala hai

कहते हैं न हँसी शरीर को स्वस्थ रखती है  और आजकल स्वस्थ रहने के लिए जब हमारे पास  घी दूध  दही फल सब्जी  हवा पानी कुछ भी नहीं है  यदि जरा बहुत अभी है  अगर सरकार की ऐसी  ही मेहरबानी चलती रही तो जल्द वह  भी खत्म हो जाएगी  और जो है वह नकली मिलावटी  या इतना महंगा  की उसकी मात्र  खुशबू  रंग देख सुन कर खुश हो लें  इसे मैं अगर हसने  से स्वास्थ  मिलता हो तो तो क्या बुरा है कहीं फ़ोकट मैं आजकल कुछ मिलता है  जबतक इस पर टैक्स  न लगे  इतना हँसो  की हसते  हसते  आँखों में आंसू  आ जाएँये आंसू भी  सांत्वना दे देंगे .
हँसी  भी कई प्रकार की होती है .आँख से हँसा  जाता है कटाक्ष हंसी ,होंट  से हंसा जाता है तिर्यक हंसी ,दांत  से हंसा जाता है  दंत् फटा  हंसी  गालों और गले से हंसा जाता है गल फाड़  हंसी , फिक फिक करे हंसा जाता है फिटकार  हंसी  हाथपैर पटल पटक कर हंसा जाता है वह है जबर हंसी  ,
जिस प्रकार इंसानियत  का अर्थ बदल गया है आजादी का अर्थ बदल गया है  हंसी का भी अंदाज बदल गया है . अब अपने लिए नहीं दुसरे के लिए हंसा जाता है . आँखों से तब हंसा जाता  है जब आपकी वजह से दुसरे का काम बिगड़ जाता है . होंठ तब तिरछे होते हैं जब बताना होता है फन्नेखान तुम नहीं  हम हैं  दांत  से तब हंसा जाता है  जब सामने वाले का  बिगाड़ करके उसे सहलाना भी होता है .गालों से गले से से सामने वाले को प्रसन्न  किया जाता है हो ..हो हो  चिंता  मत करो  हा हा हा   ऐसी पटखनी लगायेंगे की चारो खाने चित होगा [तुम] फिक फिक हंसी फँकने  वाले की बातों  पर आती है फंकाना बंद कर क्यों अपनी  बजाये जा रहा है  पेट  दबा कर तब हंसा  जाता है जब विरोधी कोई गलती कर देता है  बस मिल गया हसने का मसाला .पर जनता  माथा ठोक कर हाथ पैर पीट  कर नेताओं की बातों  को सुन सुन कर हँसती है जब नेता भ्रस्टाचार  हटाने की बात करते हैं तब जनता छाती पीट पीट कर हां हा कर स्वास्थ  लाभ करती है  अब फिर कोई नै योजना  हमारे लिए बनेगी  और उससे जुड़े सारे तंत्र का पेट मोटा हो जाएगा जनता को दुबला होते देख वह  पेट  हिलेगा  की जनता स्वास्थ  लाभ कर रही है .जनता दोनों हाथ उपर उठा कर हा हा  चिल्ला कर बैठ जायेगी अगली सुबह का इन्तजार करने .

Saturday 18 May 2013

ऱात  दिन आन्दोलन  प्रदर्शन कैंडल मार्च ,आधी  दुनिया सड़क पर लेकिन कोई असर नहीं  वरन मामले बढ़ रहे हैं रेप  गैंग रेप  बालिकाओं  से रेप  के मामले  और भी प्रकाश मैं आ रहे हैं  क्या कारण है  क्या अपराधी इतने बैखोफ हैं  की उन्हें मालुम है सरकार इतनी ढीली है कानून कुछ नहीं बिगड़ पायेगा  कुछ दिन मैं मामला ठंडा  पड़ जायेगा  जो अपराधी हैं उन्हें क्लीन चिट  मिलनी ही है  किसी न किसी रसूखदार की औलाद ही ऐसे  काम करती  कोई न कोई रिश्तेदार ऊँची गद्दी पर बैठा होगा  फिर क्या डर जब सैयां भये कोतवाल फिर डर काहे का .यदि पकड़ा गया अपराधी जनता के हवाले कर दिया जाये  और जनता को उससे निबटने दिया जाये तो खौफ पैदा होगा  लेकिन लड़की या महिला की कोई कीमत नहीं हैं उसके साथ कैसा भी सलूक  हो  हल्केपन से लिया जाता है  लड़कियों को इतने प्यार से शायद इन हरामियों के लिए जन्म दिया जाता है  एक बार इन लुचों से पुछा जाये क्या अपनी बहन बेटी को  इसे वहशियों के सामने फेंक  सकते हैं  उससे ज्यादा वो कसूरवार हैं जो उन्हें बचाने के लिए मानवता की बात करने लगते है तब बस उससे गलती ही होती है  वैसे तो तो जो यह काम करता है जनता है की पकडे गए तो हाल  छूट जायेंगे और दबंग का लेबल और लग जायेगा तो भविष्य  और भी खुला हो जायेगा  कोई फिर दबंग के खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत नहीं करेगा  ऊपर से शिकायत करने वाले को पुलिस अधिक परेशान  करती  है  मानवता के संकुचन का कारण पीड़ित की प्रताड़ना है  जानते हुए भी की कौन अपराधी है  मुह  सिल जाते हैं  क्योकि यह जानते हैं की एक भी शब्द  मुंह  से निकल  की फंसेहर तरफ से घेराबंदी  ऊपर से कोर्ट कचहरी के चक्कर काम प्रभावित होता है दबंगों की पहुँच की वजह से नौकरी से और जान से भी हाथ धोना  पड़  जाता है इसलिए मानवता अपने आप भारतीय संस्कृति को छोड़ कर  किसी गुफा मैं तपस्या हेतु चली जा रही  है  

Wednesday 1 May 2013

juta

भारत  का राष्ट्रीय  व्यंजन क्या है यदि यह प्रश्न किया जाये  तो इसका उत्तर  आएगा आलू का पराठा .अरे चौकिये  मत यदि किसी भी प्रकार के खाने का प्रलोभन   दिया जाता  है  तो यही कहा जाता  है 'आओ आओ  गरम गरम  आलू के  परांठे  बनाए हैं और आने वाला खानेवाला  प्रलोभन छोड़ नहीं पाता .कोई फिल्म देखिये कोई सीरियल यदि खाने का  प्रसंग होगा तो होगा वाह आलू  का परांठा मजा आगया .अब अगर कृष्णलीला  लिखी जाएगी तो कृष्ण गोपियों के  घर जाकर आलू का परांठा चुरायेंगे 'नइ  रामायण मैं शबरी  वन मैं जब गरम करारे आलू के परांठे खिलाएगी तो राम की  आँखों  मैं उसकी निष्ठा के  प्रति स्नेह का दरिया स्वत: बहने लगेगा .बीबी को मिया को रिझाना है रिझाने  से मतलब  कोई काम निकलवाना है वह कहेगी आज आलू के परांठे बनाए है  जैसे दुनिया  का सबसे लजीज  व्यंजन बनाया हो .वाह मजा  आ  गया और उसकी लार टपक जाती है मियां का पेट भरा है तो जहन्नुम  मैं भी ले चलो .पर ये ही परांठे  दुसरे रूप मैं भी प्रचलित हैं है अगर गरम गर्म  तपा  तपा  कर किसी को लगाने  है तो वह है  जूता  जो आजकल सभाऑं  मैं खूब चलते हैं  और खाए भी खूब जाते हैं चुराए भी जाते हैं  कुछ का तो खर्च  भी इसी से चलता है ये मंदिर के आगे  या उठावनियों  मैं मुर्दानियों  मैं गयब हुआ जूतों के मालिकों से पूछो .
वैसे बहुत समय से जूतों की राजनीति चली आरही है  तभी तो भरतजी रामजी की चरण पादुका ले आये . जूता सिंघासन पर ,तब ही से जुटे की राजनीति  चली आरही है .मानेगा बात कैसे नहीं मानेगा जुटे के दम पर मानेगा .तेरी बात तो जुटे की नोक पर है फिर दस नम्बरी हो तो बात ही क्या है  किसी ने सच ही कहा है
बूट दसों ने बनाया ]मैंने एक मजमून लिखा
मुल्क मैं मजमून  न फैला ,और जूता चल गया
अब लो मुशर्रफ तो रिकॉर्ड बनाने जा रहे है  जूते  खाने का .आधुनिक काल मैं  यह अमेरिका के राष्ट्र पति  से प्रारंभ मन जायेगा  और विश्व के सर्वशक्तिमान पर जूता फेंकने की हिम्मत  की उसके सहस का  सम्मान करते हुए उसे विश्व वीरता पदक प्रदान किया जाना चाहिए  जूता खाने से ज्यादा  जूता चलाना मुश्किल है .जूता चप्पल टमाटर अंडे  छुटभैये  नेता  गायक  सबसे ज्यादा  कवि  अपने प्रदर्शन से बटोरते रहे हैं पर पहला जूता फैकने  का असली श्रेय उसी पत्रकार को जाता है उसके बाद तो जूता  फेंकना प्रचलन मैं आ गया  , अब जूता फेंकना  वीरता नहीं प्रचार प्रसार का  माध्यम बन गया है जिस नेता को भाव मिलाना बंद हो जाये  जूता फिकवा दो एकदम मीडिया द्वारा प्रसिद्ध हो जायेगा  यह भी एक नीति है चाणक्य  नीति .

Tuesday 30 April 2013

jugad

जुगाड़ है जिंदगी
गरीबी  की आड़ है जिंदगी
कर कर कर मर जाओ
मरना भी जुगाड़  है जिंदगी .

आवश्यकता आविष्कार  की जननी है ,यह निश्चित है और आविष्कार का दूसरा नाम है जुगाड़ .जो आजकल  सडकों पर तो दौड़ ही रहा है असल जिंदगी मैं भी दौड़  रहा है यह भी किसी ने रोजी रोटी का जुगाड़ किया  किसी के पहिये  किसी की बॉडी और ठोक  दिए तख्ते  और चल दी सवारी भर कर गाडी .पिन भी तो जुगाड़ है  बटन टूट गया  तार जोड़ कर फटे को  सीने का जुगाड़ कर लिया  हो गई व्यवस्था .ऐसे  ही करते जाओ  जुगाड़ गरीब की  जिंदगी  तो जुगाड़ ही है  दो रोटी का जुगाड़ करने के लिए बच्चे  हर चौराहे पर  देवी देवता  की तस्वीर  रखकर  अपने आकाओं  की शराब और एश की जुगाड़ करते हैं उन्हें तो धुप मैं ताप मैं गंदे कपडे पहन कर बिना नहाए हुए  पवित्र देवता की तस्वीर  घुमानी है  वहीँ नाली के पास उसे रख देते है जहाँ  उनकी पवित्रता का इतना ख्याल रखा जाता है की मंदिर मैं भी हर कोई नहीं घुस सकता वहां  देवी देवता की अवमानना का ख्यालकिसी को भी नहीं आता कि इस को बंद करा दे .पर बात जुगाड़ की हो रहो थी जिनकी ऊपर पहुँच है वो  सरकारी योजनाओं पर हाथ साफ़ करते है यानि अपनी जुगाड़ फिट करते है बेकार लड़के जो यहाँ तादाद मैं हैं अपनी प्रेमिकाओं को पटाने  के लिए पाकेटमारी चेन तोड़ना करतें है  प्रेमिका पटती कम बेवकूफ बना कर  अपना जेब खर्च चलाने का जुगाड़ करती है .कोई बैंकों से से सरकारी रूपया क्योंकि सरकार का माल तो अपना माल पहले लोन  लेता है फिर जुगाड़ बिठा माफ़ करा लेता है  और भी न जाने कितनी जुगाड़ है ये जिंदगी जुगाड़ है ठोक ठोक  कर बनायी हुई .  

Wednesday 24 April 2013

insan se achha bandar

श्रद्धेय  नीरज जी से खेद सहित -
मानव होना पाप है गरीब होना अभिशाप
बन्दर होना  भाग्य है चिम्पांजी होना सौभाग्य .
एक टीवी ऐड  मैं चिम्पेंजी  को च्यवनप्राश खिलाया जाता देख कर तो यही लगता है .वेसे  श्री राम जी  दूरदर्शी थे  उन्हें मालूम था एक बार  आदमी फिर बन्दर बनेगा  फिर चिम्पेंजी  वाही उसका लक्ष्य होगा  कम से कम च्यवनप्राश तो खाने को मिलेगा .आदमी को तो सूखी रोटी नसीब नहीं है कुछ दिन मैं तो महाराणा प्रताप की तरह घास पर ही जिन्दा रहेगा बहुत हुआ तो इधर उधर उगे जंगली  फल ही खा लेगा  .न लकड़ी न बिजली न कोयल न तेल काये  पर पकाए क्या खाए सत्ताईस रुपये मैं एश करनेवाला परिवार परिवार एक आदमी के कमाने से तो चलनेवाला है नहीं उसे खाने की तेयारी के लिए  वसे ही एक क्रिकेट टीम चाहिए  एक जायेगा घास कूड़ा  लकड़ी बीनने  एक जायेगा राशन  की दूकान पर चक्कर लगाने उसका   भाग्य चेत तो खुला मिल जायेगा फिर किलो मैं सातसो  गेहूं लायेगा दूसरा दूसरी जगह आटा लेने  जायेगा एक जन एक बार मैं ढाई सौ ग्राम खा लेता है  तीन ने खाया चौथा  भूखा रहा गया अब हिसाब लगाओ  बीस रुपये का आटा  हो गया नमक तेल  लगाया तो दस रुपये का हो गया  जलावन लाना ही पड़ेगा किसी से लगा कर तो खायेगा बेचारा  अब बूढ़े मां बाप  वे कहाँ जाये  अब  सोचती हूँ कपडे कहाँ से लायेगा बच्चों को कहाँ से खिलायेगा  साबुन तेल  अरे बाप रे ये क्या खर्चे तो सुरसा के मुख की तरह बढ़ते जा रहे हैं बीपीएल कार्ड तो अमीरों के लिए बनता है  क्योंकि गरीब के पास पैसा खिलने के लिए है ही नहीं  जहाँ मरने की सनद के लिए पैसे  देने पदेन की हाँ मर गया है हाँ अमीरों के लिए जिन्दा रहेगा क्योंकि उसके जिन्दा रहने पर ही तो उसकी पेंशन खायेंगे मरेगा कैसे  उसे मरना है पर किताबों मैं जिन्दा रहना है 

Monday 8 April 2013

modi vs gandhi

मैं एक आम  भारतीय हूँ  जो भारत मैं रहकर  नेता गिरी से दूर आम  जीवन जी रही हूँ जिसका  न दिल्ली से कोई नाता है गुजरात से हाँ भारत से हिंदुस्तान से  नाता है .मैं किसी पार्टी से संबध नहीं हूँ  न किसी व्यक्ति विशेष  की  प्रशंशा  अनुशंषा  या वंचना  करती हूँ हाँ जो बात अखरती है वाही बात कहना चाहती हूँ  जब पार्टी से  सम्बंधित  नेता दूसरी पार्टी  के दोष निकलना चाहता है तो बचकानी बातें सुनकर लगता है  ये हैं जिन्हें हमने सर पर चढ़ा  रखा  है जो केवल पार्टी या ब्यक्ति देख रहें हैं देश से इन्हें कोई मतलब नहीं है .
आजकल मोदी बनाम  राहुल पर जोर शोर से बहस चल रही है .जहाँ तक मैं समझती हूँ यह स्पष्ट है कि  किसके प्रति नम्र  रूख अपना कर उसे बढ़ा  चढ़ा कर मसीहा बनाया जा रहा है की जैसे व्ही देश का उद्धार  कर के रातो रात बदल कर रख देगा  परन्तु मैं नरेन्द्र मोदी और राहुल गाँधी के भाषणों की तुलना  क्या दोनों की तुलना करने के पक्ष मैं ही नहीं हूँ . मोदी का एक  सीमित दायरा है एक प्रदेश गुजरात जिसके लिए उन्होंने काम  करके दिखाया  है  अन्य उसे नकारने मैं लगे रहते है मैं  जानना चाहती क्याअन्य प्रदेश अधिक तरक्की कर रहे हैं क्या कर के दिखा  रहें हैं  ठीक है मोदी ने कुछ नहीं किया  सब अपने आप  हो गया पर अन्य प्रदेश क्यों नहीं बढ़ रहे क्यों दिल्ली अपराध मैं नाम कमा रही हैं यदि सभी प्रदेश इतना भी  कर दिखाएँ तो  शायद देश वासियों का बहुत हित हो जायेगा .एक व्यक्ति अपने दम पर है तो दुसरे के पीछे पूरी सरकार  है  पूरा  प्रशासन  है इसलिए  कोई मुकाबला ही नहीं है  अगर गाँधी का लेबल न हो तो  राहुल क्या है  क्या खाली  भाषण
दे देना वह भी चाँद कॉर्पोरेट  व्यक्तियों के लिए क्योंकि कम से कम जिस भाषा मैं राहुल ने भाषण दिया वह आम  जनता के लिए नहीं हो सकता क्यों की जो व्यक्ति देश की भाषा मैं बात नहीं कर सकता  वह आम  जनता के दर्द  को नहीं समझ सकता न समझा सकता है कॉर्पोरेट जगत के लोगो ने उसकी तारीफ की  अधिकांश कॉर्पोरेट जगत के लोग एन आर आइ  का ठप्पा लिए घूम रहे हैं  वे अधिक समय विदेशों मैं रहते है विदेशी भाषा बोलते हैं उन्हें अपने विकास से मतलब है  जनता की समस्याओं  से कोई लेना देना नहीं है चार्टर प्लेन मैं घूमने वाले जनता रेल मैं जाकर देख लें जनता कहाँ है  भूख क्या होती है नहीं जानते की  उनके हित मैं था भाषण इसलिए उन्हें बुत पसंद आया .मैं दावे से कह सकती हूँ शायद अच्छे  अच्छे  अंग्रेजी  जानने वाले ( मैं बोलने वल्र नहीं कह रहीं हूँ ) उस भाषण को  नहीं समझ पाए होंगे समझने के लिए पूरे आंख नाक  कान  खुले रख कर भी दूसरे दिन के अखबार का सहारा लेना पड़ा होगा हाँ यह स्वीकारने के लिए उन मैं हिम्मत नहीं होगी नक् का सवाल है जो चनद  हैं उनकी समझ मैं क्या आया  होगा  देश की जनता को अपनी बात समझाने के लिए जन भाषा का प्रयोग करना होगा भारतीय होना पड़ेगा .तभी भारतियों को समझाया जा सकता है .

Saturday 23 March 2013

bhades

महिलाओं के लिए अभद्रता से बोलना उनका मजाक उड़ाना  पुरुषों का शौक  बन  गया है  क्योंकि गैंग रेप  हो  या रेप  यह पुरुषों से सम्बंधित  है उन्हें यह कहते शर्म महसूस नहीं होती कि बीबी पुरानी है या एक एसएसपी यह कहते नहीं डूबता की इतनी पुरानी  से कौन रेप करेगा जब छह  महीने की बच्ची से बलात्कार होता है तो वह बहुत नई होती है वह बहुत अच्छी बात है.पुरुशोन का बचाव करते  रहते हैं उनके अपराध को कम करने के लिए अपनी जुवान को हल्का करने मैं संकोच नहीं है .महिलाओं को रेप के बाद मरने के लिए प्रेरित किया जाता  है या उसे यूज़ एंड थ्रो  के सामान मार दिया जाता है उसकी  कोई कीमत नहीं है पुरुष वर्ग अपनी मर्दानगी पर मूँछ मरोड़ता घूमता है  जब की शर्म से उसे डूब मरना चाहिए  एस बोलने वालों को अपनी जुवान  कट कर  फैक  देना चाहिए  कम से  कम खुद देखे  अपने घर की महिलाओं को देखे अपनी जेड सुरक्षा  हटा  कर अपनी बेटी को सड़क पर भेज कर देखें जिन्हें फ़ोकट का  खाने को मिल रहा है वह क्या जाने  की अस्मत क्या होती है  जिस डेट पेंट  की बात करते है पुरुष अपने ऊपर लगाने वाले समय को देख ले सुबह ही सुबह पुरुष अधिक  समय लगता है तैयार होने मैं  ब्यूटी पार्लर पुरुषों के भी उतने ही चल रहें हैं  इनमे पुरुष  मालिश करते दिख  जायेंगे .अपने अपने घरों मैं झांक कर बोले  यदि अभद्रता से बोलना  उनकी शान है बड़प्पन  है तो जीने के बहाने तो बहुत है 

Wednesday 6 March 2013

mahila divas

फिर  आ गया  आठ  मार्च ,प्रसन्न हैं हम महिलाऐं .हमारा दिवस आ  गया  .आधी आबादी का दिन पर हिम्मत भी अभी आधी  है  हमें बचाओ ] हमारी बेटियों को बचाओ ,हम चीख रहें हैं पुकार रहे हैं  तुम हमारे रहनुमा हो  हमे बचाओ ,हम तुम्हारी सत्ता स्वीकारते हैं  हमे कृतार्थ किया जो हमारा दिवस मनाने दिया हमे हाड़  मांस का  समझो रबर की गुडिया नहीं .पीड़ित होने पर न जाने कितने नाम अपना मन समझाने को रख लेंगे पर असली नाम उजागर करने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं .उसके नाम पर सुविधाएँ पाने मैं हमें शर्म नहीं है उसकी शख्सियत उजागर करने मैं शर्म है क्योकि बदनामी हो जाएगी परिवार शर्म से गड़ गया जैसे लड़की ने पाप किया हो .सरकारी उम्र से पहले जवान होकर वह अपनी क्रूरता पर, उग आइ मूंछो पर ताव  देगा  और हम  महिलाये अपने को दोषी मानती रहेंगी ,हर पुरुष द्वारा किये कुकर्म के लिए दोषी हम खुद को मानते है ,नन्ही नन्ही बच्चियों से दुष्कर्म होता है उनकी हत्या होती है हम दोषी हैं क्योकि  वह हमारी बेटी है ,इस संसार की जन्मदात्री है ,पुरुष तो पुरुष है उसके न माँ होती है न बहन न बेटी ,क्या इन हत्यारों का दिल अपनी बहन बेटी को देख कर कापेगा नहीं ,इस हालत मैं अपनी बेटी को देख कर क्या इतना ही प्रसन्न होगा ,क्या सहज जिंदगी जी पायेगा इस हालत मैं इनकी माँ बहन बेटी का चेहरा लगा कर दिखाया जाये क्या अपनी विजय गाथा गा पाएंगे .संसार मैं से आधी आबादी को हटा दो दूसरी शताब्दी नहीं आयेगी दुनिया समाप्त हो जाएगी  न प्रलय की जरूरत  न हिम युग की .
हम अपने लिए न जाने कितने उपमान लगा लेते हैं  हमसे सूरज रोशन है ,इसमें कोई शक नहीं भारत ही नहीं  विश्व मैं स्त्री ही शक्ति है  वह हर देश को दशा और दिशा देकर उसे सम्रद्ध कर  रही है  क्योंकि वह अपने कर्णधारों को  आधार  दे रही है स्वकर्म के साथ स्वधर्म मैं भी जी जान से जुटी है .लेकिन उसके बलिदान को नाम  क्या एक दिन महिला दिवस मनाने से मिल जायेगा .घर बहार सब देख रही है उसकी कर्मठता को क्या इ नाम मिल  जायेगा .
स्त्री के माथे का  दिपदिपाता  सिन्दूर उसके चेहरे  को देदीप्यमान बनाता है यह उज्वलता स्त्री के सुहागन होने की वजह से नहीं  यह है अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने का गॊरव .उसने समाज को सम्पूर्णता प्रदान की है  देश्देश को सक्षम कर्णधार दिए है जिससे देश विश्व मैं परचम लहराए  चूड़ी  की झंकार उसके ह्रदय का संगीत है  जिससे जन जीवन गुनगुनाता है ,हँसता मुस्कराता है .
एक नई  मांग उठी है घरेलू काम  कने का वेतन  अर्थात वह घर का कम करने के लिए ही ली गई है वह घरेलू कर्मचारी है यह पट्टा  अपने गले मैं लटकाने को महिलाए तैयार है वह घर की मालकिन नहीं है  कर्मचारी है जिसे पूर्ण आमदनी को पाने का हक़ है  वह और गिरने को तैयार है  अभी दोयम दर्ज है तब चतुर्थ श्रेणी  का कर्मचारी नियुक्त होने को तैयार है जब चाहो कम पसंद न ए निकल दो  अपने स्वाभिमान को उठाना नहीं और कुचले जाने को तैयार है  

Monday 25 February 2013

गैस का राशन  शुरू हुआ आम  आदमी  के लिए .छ सिलेंडर  एक साल मैं  और नेताओं के लिए  क्या यह जारी किया  जायेगा .सब्सिडी का सबसे ज्यादा लाभ  नेता उठा रहे हैं .पूरे देश की जेब से निकल कर सब्सिडी नेताओं के ऊपर खर्च हो जाती है नेता इतना  खाना खाते हैं दो दिन मैं एक सिलेंडर  खर्च करते हैं . उन्हें एक बार सोचना  चाहिए भूखे नंगे देश मैं जनता के लिए दो रोटी तो छोड़े सत्ताईस  रुपये की कमाई  मैं कैसे  अपने परिवार को पाले  जो एक दिन मैं हजारों का खाकर डकार भी नहीं लेते हैं . पहले हजार रुपये की रिशवत  लेने मैं आत्मा  हिल जाती  थी अब हजारों करोड़  हजम करके एक बाल  भी नहीं हिलता .नेता बनते ही टूटे फूटे  घर किले बन जाते हैं   रुपये का   

Sunday 3 February 2013

हम कभी कभी  अपने को कितना कमतर  समझने लगते हैं की एक हीन भावना सी भर जाती है  उसके एक प्रयास से यह हो गया  वह हो गया हमारे इतना करने पर भी क्यों नहीं हुआ  डॉ मिथलेश दीक्षित  ने बताया
की उन्होंने महरषि  अरविन्द रचित सावित्री खरीदी  उस रात कमरे मैं एक प्रकाश सा छाया  रहा .सावित्री मेरे पास भी है पर मुझ पर यह कृपा  क्यों नहीं हुई मैंने कोई प्रकाश क्यों नहीं देखा , इसका अर्थ है मुझ मै  श्रद्धा  नहीं है  .प्रकाशक भी इस  से  वंचित होगा .








बराक ओबामा  से वाइट हाउस की  रिसेप्शनिष्ट 'सर, किसी ने आपको  बधाई  देने  के  लिए फोन  किया  है  पर  कुछ  बोल नहीं  रहे हैं .'
ओबामा ,'उनको नमस्ते  बोलो जरूर  मनमोहनसिंह  होंगे '


एक अरसे  तक रंग मैं न रहने  के बाद  दिग्विजयसिंह आखिरकार ,'हाफिज सईद  साहब के साथ लॉट आए  है  इससे पता चलता है फार्म तो आती  जाती  रहती है  लेकिन स्तर  बरक़रार  है


हाफिज सईद ने सुशीलकुमार शिंदे  और दिग्विजय सिंह को फेसबुक  फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है  

Wednesday 23 January 2013

ओ  काली कमली वाले
तेरे सारे खेल निराले
अब बात समझ मैं आई
क्यों तूने ड्रेस काली  बनाई
गंगा तो तूने  बहाई
लाइन पालिका से डलवाई
जब पानी ही नलों  मैं नहीं  आता
कपडे कहाँ से धुलवाता

ओ काली कमली वाले
अब बात समझ मैं आई
क्यों तूने भस्मी रमाई
पार्वती के नहाने की तो बात आती है
पर तू कभी नहाया यह नहीं बताती
भस्मी से वो तन को साफ़ करते
जो ठन्डे पानी से नहाने से डरते
गैस पर तेरे यहाँ भी कंट्रोल  होगा
गरम पानी कंहाँ  से करते भाई

ओ काली कमली वाले
तेरे काम निराले
अब समझ मैं आया
क्यों तूने चाँद सर पर लगाया
तेरे सारे दोस्त ही निशाचर हैं
काट लें तो मर जाएँ संगी विषधर हैं
तेरे कैलाश पर भी बिजली नहीं आती होगी
लगता है तूने भी टोरेंट का मीटर लगवाया

ओ काली  कमली वाले
तुझसे सीखेंगे  सब नीचे वाले
तूने क्यों नदिया को बनाया सवारी
समझ गए तेरी भी होगी लाचारी
तेरी सरकार भी गणो   के आधीन  होगी
जिन्हें दियें होंगे अधिकार हेराफेरी की होगी
घटा जोड़ गुणा करते रहे होगे
जोड़ गुणा  उनके घटा तुझे दिखाते होंगे
पेट्रोल डीजल गैस की सब्सिडी उनकी कारों की
तेरे पास तो भूसा होगा खिलाने को
यहाँ तो वह भी है लाचारी
यहाँ तो भूसा भी कर देते हैं बिहारी 

Monday 7 January 2013

क्या आज  का युवा  विद्रोही  हो गया  है   ?

आज  का युवा  विद्रोही  नहीं यथार्थ  के धरातल  पर है  पुरातन पीढ़ी  समाज  और  परिवार से बंधी है  वह जो  कुछ भी  करती है परिवार और समाज के  लिए  करती है  उसकी नजर मैं परिवार  सर्वोपरि है  लेकिन अब  सीमित परिवार  और व्यापक वैश्विकता  ने मानदंड  बदल  दिये  हैं .एक तरह से परिवार  खत्म  हो गए  हैं  ज्यों  ज्यों  विश्व स्तरीय  नोकरियाँ  बढती  जा रहीं  है  आर्थिक  सम्पन्नता  भी उसी मैं  युवा पीढ़ी  को दिखाई 
देती है  और है भी  क्योंकि  या तो कॉर्पोरेट  घराने  संपन्न हैं या नेता  या फिर विश्वस्तरीय  नोकरियां  पंख  पसारने  के लिए खुला  आसमान  देती हैं . इसे विद्रोह  नहीं युग की मांग  कहेंगे  जो  प्रोढ़  पीढ़ी  ने दिया हैं  उसी  का देय है  यह .
मध्यवर्गीय परिवार जहाँ आज भी सबसे  अधिक पिस रहा है  पहले  भी परेशान था  उसे समाज के साथ  चलना है  जबकि चलने मैं समर्थ नहीं  होता .अब मध्यवर्गीय परिवार का  बच्चा  कुए  से बाहर  कूद  गया  है  उसने सारे दरिद्र  काट  दिए हैं  युवा  पीढी  अब एक एक  पैसा  नहीं  एकदम सौ  पैसा  चाहती है  तो बुरा क्या  है परिवार  के  प्रति कर्त्तव्य  अब यही है कि  वह आर्थिक  सहायता  कर पाता   है . अब युवा पीढ़ी  जीने मैं विश्वाश  करती है  जोड़ने  मैं नहीं ,'पूत कपूत  तो  का धन संचै ,पूत सपूत तो का धन  संचे ' वाली उक्ति चरितार्थ  करती है  और यही  प्रौढ़  पीढ़ी  को विद्रोह लगता है  कि  युवा अपने मैं सीमित  हो गया है . यह युग क़ी  मांग है  युग परिवर्तन  है .

Thursday 3 January 2013

nav varsha ki badhai

नये वर्ष  की आप  सबको  बधाई
आती  रहे आपकी काम वाली  बाई
न उसको नए नए  बहाने बंनाने पड़े
जूडी  बुखार  न ताप चढ़े
डॉक्टर के न लगाने  पड़े आपको चक्कर
अस्पताल  के बिल न बनायें घनचक्कर
 कृपा अपनी बनाये रखे भगवान
न भेजे इस महगाई  मैं  कोई  मेहमान
पडोसी का चूल्हा रोज रोज जले
उसका खाली  सिलेंडर  देख ठंडक  मिले
गैस पर दूध  रख कर न भूलें
दाल  न सब्जी  आपकी जले
आपका सिलेंडर  दो महिना  चले
देख कर सारी  महिलांए  जलें
ईश्वर से है  प्रार्थना  वर्ष मंगलमय  हो
चाहे  सारे  अख़बारों  की ख़बरें दंगालमय  हों