Thursday 15 August 2013

esh

चल  भैये  आज ऐश करते हैं। फटी कमीज  और गंधाते शरीर  से एक हाथ  से खुजाते  फत्ते   लाल  बोले ,' आज   सत्ताईस  की  जगह तीस  रुपये कमा  लिए हैं  आज हम अमीर हो गए हैं  चल  नमक से प्याज  खाई  जाये  फत्ते  और   सुर्ती  सब्जी वाले  को तीन रुपये देकर बोले 'लाला तीन रुपये हैं तीन रुपये  ला  प्याज तोल दे * प्याज को  ढकते  लाला बोला ,"  जा  जा  प्याज खाएगा एसे आगया  तीन रुपये का सोना  तोल  दे ' फत्ते चल  जामा  मस्जिद ही चलते हैं  वहीँ टिन  डाल  लेंगे  नहीं तो  सोने की जगह तो मिल ही जाएगी ,पांच  रुपये का खाना  खायेंगे भर पेट  पञ्च सुबह पांच  शाम  दस रुपये  बाकी  बैंक  मैं  जमा कर देंगे हो  जायेंगे हाल लखपति  जब सात  साल मैं फटेलाल  अरबों पति  बन सकता है तो हम लखपति तो बन ही सकते हैं ""अरे  नहीं सुरती  दिल्ली नहीं मुंबई  चलते हैं  बारह रुपये मैं राजबब्बर के साथ खायेंगे  " " हाँ हाँ  यही ठीक है  पर  बूढ़े मां बाप और बच्चों  का  क्या करें ""सुरती तू रहेगा  घोंचू , उनकी क्या  फिकर  मां  बाप  को  वृद्ध आश्रम  मैं  और बच्चों  को  अनाथालय  मैं  डाल  देंगे वहां कम से कम  नहाने को और  चाय तो मिल जाएगी नहाने को साबुन पानी  चाहिए पहले तो जमुना मैं नहा  लेते थे अब तो वहा  भी पानी नहीं है  नल लगवायेगे  तो पैसे  लगेंगे  पैसा  क्या   पेड़  पर उगता है   मंत्रियों  के खर्चे चाहिए भय्ये।  "फत्ते जनता रुपी पेड़ है तो  हिला लो  चल  मंदिर के आगे  कटोरा लेकर बैठेंगे  वहां खाने के साथ  और भी कुछ न कुछ मिल जायेगा  सोमवार शिव,मंगल हनुमान बुध  गणपति ब्रहस्पति  साईं  शुक्र  देवीजी  शनिवार शनि देवता  रविवार को तो  बहुत जगह मिलता है नहीं तो  गुरुद्वारा  तो है ही " "सुरती  गोगी  साहब ने एक  खाना और सुझाया है कीड़े मकोड़े का  चल  वही पकड़ेंगे बैठे बैठे।  बोलो धरम करम  की जय        

No comments:

Post a Comment