Friday 30 August 2013

bada kaun

चुनाब आगये  राम नाम का  जिन्न  फिर बाहर  आ गया  तरस आता है  एक दिन  एसा  था बेचारे राम जी अच्छे खासे  छत के नीचे थे एसा  झगडा पड़ा उनकी छत भी गई  करें भी क्या छत देने वाले बार बार  परदे  के कोने पकड़ कर खड़े हो जाते हैं कोई कहता है  मैं जो कह रहा हूँ वही सचमैं सबसे ताकतवर दूसरा ताली बजाता है  राम को एक  तरफ  रखो  मुझसे  भिडो मैं ताकतवर  और उन्हें जनता एक तरफ रख देती है  पहले तय कर लो  इससे तो  लाला  को ही बुलालो  लड़ेंगे तो नहीं  तो फिर   सब मिल कर  राम जी को बुलाने लगते है  एक बार  सबसे ताकतवर कौन यह सवाल उठा  समुन्दर ने कहा 'मुझसे ताकतवर कौन है  जहाँ चाहे फ़ैल जाऊ  सुनामी मचा  दूं  इस पर पहाड़ ने कहा 'नहीं मुझसे ज्यादा ताकतवर  कौन है  समुन्दर को मेरे आगे झुकना से बाहर कर देते हैं पड़ता है  पहाड़ों का समुन्दर कुछ नहीं कर पाटा  मैं समुन्दर को  कहो तो लाशों  से पात दूं  देखा नहीं  अभी  उत्तराखंड मैं  जरा सा कुल्ला  ही किया था।  इस पर हवा ने कहा  शट अप मझसे ज्यादा पावरफुल  कैसे  सुनामी तूफ़ान मेरी वजह से  असर छोड़ते हैं इस पर पवनपुत्र हनुमान ने कहा आज के दौर मैं  हर बाप अपने बेटे से खौफ  खता है  सो आप से ज्यादा पावरफुल मैं  . इस पर सबने कहा , हे हनुमान तुम सबसे ज्यादा पावरफुल  कैसे हो सकते हो तुम तो खुद राम के सेवक हो सबसे ज्यादा पावरफुल तो राम हुए न  . हनुमान जी ने मुस्कराते हुए कहा , चलो राम जी  से पूछ लेते हैं  , रामजी ने  बताया , ब्रह्माण्ड मैं सबसे ज्यादा  पावरफुल आप मुझे मानते हैं न  मुझसे ज्यादा पावरफुल भाजपा  है  सबने पुछा  , वो कैसे ?
"अरे उनकी ही पॉवर है जब चाहे  उनकी मर्जी होती है तो आपने एजेंडे  मैं शामिल कर लेते  जब मर्जी होती  है एजेंडे से बाहर  कर देते हैं
राम नाम लड्डू  अयोध्या नाम  घी
मंदिर नाम मिश्री तो घोरिघोरी पी      

Saturday 24 August 2013

swaron ki hatya

एफ ऍम रेडियो टीवी कंप्यूटर की दुनिया  के साथ तरह तरह  के गजेट  की दुनिया मैं पुराने गाने और  कहीं खो गए हैं  सगीत की मधुर धुन अब कभी कभी सुनने को मिलाती है  पुराने गाने पुराने रिकॉर्ड  पुरानी   पीढ़ी ही सुनना पसंद कराती है  उनके लिए नए गाने कान फोड़ो संगीत है  पुराने गानों को रीमिक्स करके उनमें भी  तेज  आवाज के वाद्यों की धुन भर दी गई है  सस्ते  कैसेट बनाने  के चक्कर मैं  नए गायक गायिकाओं से गाने गवा कर  गानों की आत्मा की हत्या कर दी गई है  अधिकतर आज भी मैं टेप लगा कर  या सीडी लगा कर पुराने गाने सुनना पसंद करती हूँ    पुराने  टेप ख़राब होने के बाद  नई  सीडी आकार उनके गाने वाले बदलते गए हर जगह  नकली कैसेट ही मिलते हैं  एक दिन लता मंगेशकर और रफ़ी के गए असली गानों की कसेट  मिल गई  एक एक कर असली और नकली दोनों गानों को बजा बजा कर  देखा  नकली गानों मैं जैसे गाने की आत्मा ही मर गई हो  वास्तव मैं हम ने संगीत की ही नहीं  गायक गायिकाओं की भी हत्या कर दी है  जिस समय  लता द्वारा गया गया असली ज्योति कलश छलके  सुना तो लगा  सैंकड़ों  दीप जल गए हैं  लम्बी साधना कर साढ़े हुए  स्वरों की  तुलना  फटे हुए केवल गाना गाना है इसे गायक गायिका गलती हो गई उन्हें गायक गायिका नहीं कहा जा सकता  उनसे की जा सकती है यह तो एस ही है  घर के मालिक को मार कर चोर  खुद मालिक बन जाये। मुकेश के एल सहगल के गानों को सुनते हैं  तो उनमे गाने की आत्मा झलकती है  नए गायक उनका मुकाबला कैसे कर सकते हैं  कैसे लता की मधुरता आशा की मस्ती रफ़ी की गहराई  और मकेश की खनक आ  सकती है  सस्ते के चक्कर मैं हमने गानों को सस्ता बना दिया है  नवीनता लेन के लिए उनमे धाड धाड करती बीट्स अन्गीत से दूर कर एक शोर मैं  तब्दील कर दिया है  

Tuesday 20 August 2013

aur kitna giroge

गिरने  का  दौर जारी है रोज रिकॉर्ड टूट रहे हैं गिरने  के  ऱेकार्ड  तो होते ही हैं टूटने के लिए  अब चिंता रोज रोज रिकॉर्ड टूटने की है तो रिकॉर्ड  बनाओ ही नहीं उसे बिलकुल शून्य पर पहुंचा दो।  अब लो कर लो बात  रुपये को गिरा  हुआ क्यों बता रहे हो यहाँ तो हर बात मर्जी पर चलती है बोलने पर चलती है  अगर नेता कह रहे हैं महंगाई गिर रही है तो गिर रही है उसे उठी कैसे मान लोगे।  रही रुपये की बात तो गिर कहाँ रहा है  ऊपर उठ रहा है गिर तो डालर रहा है  अपन तो ऊपर जा रहें है  जनता को समझना चाहिए  हम रिकॉर्ड स्टार पर चमक रहे हैं  ६४ ६५  बढ़ रहे हैं  अब नेता समझायेंगे पर्यटन बढ़ रहा है  विदेशियों को भारत अब सस्ता लग रहा है न बल्ले बल्ले तो उठाना हुआ न  . नेता संसद मैं उठ रहे हैं मुक्के लहराते हैं  तो कितनी टी आर पी  टीवी की बढ़ रही है मुफ्त का तमाशा देश विदेश को मिल रहा  है कितना उठ गए हैं हम नई नई  गालियाँ आरोप प्रत्यारोप  लगा कर बोलने की क्षमता  उठ रही है।  पहले अखबार मैं ,फिल्मों मैं हम आदर्श पाते थे और अपने गिरने का दुख होता था हम भी ऐसे बनेंगे  अब हमारा कितना मनोबल उठ गया है  की नित्य गालियाँ सुनते हैं और सुनाने  वाला अपना  कॉलर ऊँचा  करता है वह देश का हीरो है। महिलाएं कितना उठ गई हैं  दुर्गाबाई लक्ष्मीबाई अहल्या बाई से मुन्नीबाई चमेलीबाई बन गई हैं  छम्मक छल्लो कहलवाने पर खुश  हैं छल्ले सी ड्रेस पहन कर इठलाती हैं हैं और हम कह रहे हैं गिर रहा है  सब कुछ उठ रहा  हमारी बेईमानी का  स्तर  उठ रहा है  गिर रहा है तो देश गिर रहा है  हमारी संस्कृति गिर रही है  हमारा ईमान  हमारा चरित्र गिर रहा है पर इससे कुछ जोटा नहीं हैं इसे गिर कर हमारा  बैंक बैलेंस  उठ रहा है  अब बस इंतजार है तो
तुमने कुचले हैं  मिटटी के घरोंदे
कितने सपनों को उसके नीचे दबाया होगा 
कोई कथित कीड़ा ही दफ़न मिटटी से
पाके मिटटी की ताकत सरमाया होगा 

Saturday 17 August 2013

naye naam

फत्ते जल्दी जल्दी  नामों की शब्दावली  बनाएँ  एक नवीन नाम डिक्शनरी  छाप  देते है  कमाई  का मौका  है  एक दूसरी पार्टी के लोगों को नए नए  संबोधन करने होते हैं  चलो  अच्छे अच्छे  छांट  लेते हैं  उनके नए अर्थ भी बनाता चल मेंढक  बनाम मोदी  कॉकरोच बनाम खुर्शीद  ऐसे  ही हांकू  फेकू  सब नए नामों के आगे लिखता जा  नए नाम भी बनाकर लिखते हैं बोलने मैं सहायता रहेगी। फूटू ,जोंकू  दल्लू  धंदू  चालू  इन नामों के आगे इनकी विशेषता लिख किस किस को कहे  जा सकते हैं  संभावित लिख देख दोडेगी  किताब  पर सुरती  किताब के लिए नाम तो बहुत इक्कठे  करने पड़ेंगे  …. कहाँ से लायेंगे।  घबरा नहीं दो जगह बहुत बढ़िया है  नइ  नइ  फिल्मे और  संसद सुना तूने
एक भाषा विज्ञानी
अपनी नई  पुस्तक के लिए
शब्द भण्डारण  कर रहे थे
गली गली शहर शहर
लोगों से मिल रहे थे
शब्दों का अच्छा सा
जखीरा था  हो गया
लेकिन यह तो गाना
बिन ढोल मंजीरा हो गया
गली गुप्ता तो आइ  नहीं
शब्दों की सीमा भाई नहीं
कुंजड़ों की बस्ती के चक्कर लगा आये
दस पांच  शब्दों से ज्यादा  न बढ़ा  पाए
सबसे कहते कुछ तो बोलो
अपने शब्दों का पिटारा  खोलो
कुजडे धकियाते मुस्काते बोले
हमारे असली बोलने वाले
संसद मैं पहुच गए
सीखनी हमारी भाषा है तो
संसद मैं सीख लो
पुस्तक के कुछ पन्ने क्या
पुस्तक ही भर लो
एक से अच्छी  उपमाएं  मिलेंगी
शब्दों के वाक्यों की मालाये  मिलेंगी
पहन कर जिन्हें मुस्कराते हैं    

Thursday 15 August 2013

esh

चल  भैये  आज ऐश करते हैं। फटी कमीज  और गंधाते शरीर  से एक हाथ  से खुजाते  फत्ते   लाल  बोले ,' आज   सत्ताईस  की  जगह तीस  रुपये कमा  लिए हैं  आज हम अमीर हो गए हैं  चल  नमक से प्याज  खाई  जाये  फत्ते  और   सुर्ती  सब्जी वाले  को तीन रुपये देकर बोले 'लाला तीन रुपये हैं तीन रुपये  ला  प्याज तोल दे * प्याज को  ढकते  लाला बोला ,"  जा  जा  प्याज खाएगा एसे आगया  तीन रुपये का सोना  तोल  दे ' फत्ते चल  जामा  मस्जिद ही चलते हैं  वहीँ टिन  डाल  लेंगे  नहीं तो  सोने की जगह तो मिल ही जाएगी ,पांच  रुपये का खाना  खायेंगे भर पेट  पञ्च सुबह पांच  शाम  दस रुपये  बाकी  बैंक  मैं  जमा कर देंगे हो  जायेंगे हाल लखपति  जब सात  साल मैं फटेलाल  अरबों पति  बन सकता है तो हम लखपति तो बन ही सकते हैं ""अरे  नहीं सुरती  दिल्ली नहीं मुंबई  चलते हैं  बारह रुपये मैं राजबब्बर के साथ खायेंगे  " " हाँ हाँ  यही ठीक है  पर  बूढ़े मां बाप और बच्चों  का  क्या करें ""सुरती तू रहेगा  घोंचू , उनकी क्या  फिकर  मां  बाप  को  वृद्ध आश्रम  मैं  और बच्चों  को  अनाथालय  मैं  डाल  देंगे वहां कम से कम  नहाने को और  चाय तो मिल जाएगी नहाने को साबुन पानी  चाहिए पहले तो जमुना मैं नहा  लेते थे अब तो वहा  भी पानी नहीं है  नल लगवायेगे  तो पैसे  लगेंगे  पैसा  क्या   पेड़  पर उगता है   मंत्रियों  के खर्चे चाहिए भय्ये।  "फत्ते जनता रुपी पेड़ है तो  हिला लो  चल  मंदिर के आगे  कटोरा लेकर बैठेंगे  वहां खाने के साथ  और भी कुछ न कुछ मिल जायेगा  सोमवार शिव,मंगल हनुमान बुध  गणपति ब्रहस्पति  साईं  शुक्र  देवीजी  शनिवार शनि देवता  रविवार को तो  बहुत जगह मिलता है नहीं तो  गुरुद्वारा  तो है ही " "सुरती  गोगी  साहब ने एक  खाना और सुझाया है कीड़े मकोड़े का  चल  वही पकड़ेंगे बैठे बैठे।  बोलो धरम करम  की जय        

Tuesday 13 August 2013

bolo bolo

बस  ट्रक  के पीछे लिखा  रहता है हाथ दो  हाथ दो अरे तुम्हे  हाथ दे देंगे तो  तुम्हारा दूसरा आदेश कैसे पालन करेंगे,  लिखा रहता है हॉर्न दो अब हॉर्न देदेंगे हम क्या बजायेंगे वैसे ही यहाँ सड़क सबके बाप की है जैसे  संसदबाप की फिर बाप के बाप की है कोई हटना ही नहीं चाहता है।  हॉर्न चाहिए तो अपना खरीदो खरीदो  और बजाते रहो वैसे बजने से फरक नहीं पड़ेगा  क्योकि कोई सुनेगा भी नहीं सुब बोलना चाहते हैं।
टीवी पर परिचर्चा सुनो  पञ्च हो या छ  सुब बोलते जायेंगे  कोई किसी की नहीं सुनता है लगता है काक सम्मेलन  हो रहा है  कोवे कांय  कांय  कर रहे हो जनता भी नहीं समझ पाती  और फैसला हो जाता है  बेचारा  संयोजक  चीखता रहता  है गले साफ़ की दवाई खाता होगा विज्ञापन का ज़माना है  पता नहीं करोड़ों देकर  कम्पनियाँ अपना ब्रांड अम्बेसडर  बड़े बड़े  स्टारों को  क्यों बनाती है जो उद्घाटन के दिन दीखते है फिर पहेलियों मैं या दिमागी उलझनों मैं मिलते है  की  फलां कंपनी का  ब्रांड एम्बेसडर कोन  है नेता तो चेहरा चमकाने के लिए बोलते हैं कुछ न कुछ  तो बोलना है  बोल दो दो कुछ भी बोल  दो  दुसरे दिन फिर चेहरा चमका देंगे की हम यह नहीं  यह कह रहे  थे जनता गलत समझ रही है। जनता बेचारी उसमे अकाल ही होती तो क्या बात थी  उनका दोहरा फायदा ,चर्चा मैं बने रहने का अच्छा तरीका है। एक तरीका और है दुनिया ऊपर से नीचे हो  जाये चुप रहो  एक चुप सो को हरावे  बोल बोल कर रह  जायेंगे  इसके लिए कुछ नहीं कहा उसके लिए  कुछ नहीं कहा।  आदमी  की याददाश्त बहुत खराब है  हल भूल जाते है। कहा तो चर्चा मैं न कहा तो चर्चा मैं। लड्डू तो दोनों हाथ मैं हैं