जिस समय शादी की रस्म निभाई जाती है दुल्हन को लाल जोड़ा पहनाया जाता है अर्थात खतरा सामने है संम्भल जाओ लेकिन नहीं उस समय तो पति बनने के शौक मैं उस खतरे को लाँघ जाते हैं फिर भी घर वाले प्रयत्न मैं रहते हैं कि संभल जाओ और हाथ मैं हाथ देकर जोश आजमाइश का मौका देते हैं लगता यही है कि दो पहलवान दांव खेलने से पहले हाथ मिला रहे हैं लेकिन नहीं पति लोग ज़िद्दी किस्म के होते हैं सामने वाले को कमजोर समझ जुट जाते हैं दाव पेंच मैं। पर यह नहीं जानते बूढी बड़ी बलवान।
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