आज समाचार मैं प्रमुख खबर थी कि एम्बुलेंस को रास्ता न देना भारी पड़ सकता है। मानवीयता के नाते यह परम आवश्यक है हम एम्बुलेंस को रास्ता दें क्योंकि उस के अंदर मरीज अधिकतर गहन चिकित्सा के लिए शीघ्रता से ले जाया जाने वाला होता है एक एक पल की उसे जरूरत होतीहै न जाने किस एक पल की कमी की वजह से उसकी सांस डोर टूट जाये न जाने किस का सुहाग उजाड़ जाये किस का लाल खो जाये या किसके पिता का प्यार चला जाये और बच्चे अनाथ हो जाएँ . लेकिन यह भी आवश्यक है कि एम्बुलेंस मैं मरीज ही हो न कि बस अड्डे से स्टेशन से लायी सवारी हो अस्पताल वालों के रिश्तेदार इधर से इधर जाने के लिए सवारी के रूप मैं जाते है उसे गाड़ी की तरह प्रयोग लेकर हूटर बजा रास्ता साफ़ करवा कर पीछे वालों को चिढ़ाते भाग जाते हैं भारत मैं सुविधाओं का दुरूपयोग पहले होने लगता है ा
जैम मैं फंसी एम्बुलेंस लाख हूटर बजले कूद कर या उड़ कर तो जाएगी नहीं तब किस को सजा होगी एम्बुलेंस के आगे वाली गाड़ी या जाम के सबसे आगे वाली गाड़ी या अड़े टेड़े खड़े सड़क के वाहनों पर या बीच सड़क पर रुक कर बात करने वालों पर या किसी की भी लापरवाही हो चाहे स्वयं तेज गाड़ी चला कर मरने फिर उसके रिश्तेदार रास्ता रोक देते है और तब न जाने कितने बच्चे एग्जाम देने से रह जाते है कितने मरीज डैम तोड़ देते है और कितनो की ट्रैन निकल जाती है तब किसको सजा होगी
जैम मैं फंसी एम्बुलेंस लाख हूटर बजले कूद कर या उड़ कर तो जाएगी नहीं तब किस को सजा होगी एम्बुलेंस के आगे वाली गाड़ी या जाम के सबसे आगे वाली गाड़ी या अड़े टेड़े खड़े सड़क के वाहनों पर या बीच सड़क पर रुक कर बात करने वालों पर या किसी की भी लापरवाही हो चाहे स्वयं तेज गाड़ी चला कर मरने फिर उसके रिश्तेदार रास्ता रोक देते है और तब न जाने कितने बच्चे एग्जाम देने से रह जाते है कितने मरीज डैम तोड़ देते है और कितनो की ट्रैन निकल जाती है तब किसको सजा होगी
No comments:
Post a Comment