अपना काम बनता भाड मैं जाये जनता जहाँ यह प्रवृति है वहां लोग बंच्चों के प्रति अपनी सहानुभूती दिखाते हैं तो दोगले चेहरे पर क्रोध आता है किसी भी राजनीतिक पार्टी के समय कोई हादसा होता है अस्लिमुद्दे से ध्यान हटाने के लिए वर्तमान सरकार को कोसना प्रारम्भ कर दिया जाता है फिर उसके विरोध मैं जूलूस नारे और गुंडों द्वारा लूटपाट शुरू कर दी जाती है संवेदनाओं की बात करते हैं अगर अखबार उठायें तब देखें जब बलात्कार के बाद मर कर फांक दिया जाता है चाहे छ महीने की बच्ची हो या बीस साल की युवती क्या वे बच्चियां नहीं हैं उनमें जान नहीं होती है क्यों उन्हें रबर की बेजान गुडिया सम्ह्ग लिया जाता है तब क्यों अखबार को पलट कर रख दिया जाता है जेसे रोज की बात है भ्रूड हत्या करने वाले बच्चों के हत्यारे नहीं हैं बच्चों की म्रत्यु प्रकरण मैं सधे सरकार को दोषी कहा जरूर सरकार को दोषी ठहराने वाला असली हत्यारो को बचने की कोशिश मैं है क्योंकि असली दोषी कॉलेज प्रबंधक हैं अगर ओक्सिज़न नहीं मंगाई थी तो मरीज भारती क्यों किये उन्हें दुसरे स्थानों पर क्यों नहीं भेजा गया अन्य वार्डों मैं भी ओक्सिज़न होगी नहीं तो तुरंत मार्किट से क्यों नहीं खरीदी गई जब पैसा था तो क्यों दबा कर रखा जा रहा था क्यों नहीं स्थिति बच्चों के माता पिता को बताई गई सरासर कॉलेज प्रसाशन और वहां तैनात स्टाफ बच्चों का हत्यारा है अखबार बजी करके लोग अपनी सियासत की रोटी सेक लेंगे पर पूछो उनसे जिन्हें मन्नतों के बाद नहना जीवन मिला होगा सच दोलत बहुत से पापों का कारण है
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