नया वर्ष दस्तक दे रहा है नयी उमंग नै ऊर्जा नवीनता का एहसास कि नया साल आएगा नया संकल्प लेंगे कोई अच्छा काम करेंगे पुराने काम पूरे करेंगे पर क्या वास्तव मैं नया वर्ष है कुछ नहीं बदलता है बस कपडे निकले रखे जाते हैं जो बार बार तन पर चढ़ते उतारते हैं फिर वही पुराण ही चलता है समय नया नहीं आता है वह तो आगे बढ़ता है प्रकृति का कालचक्र है नियम से बंधी प्रकृति बढ़ती रहती है चक्र ऊपर चढ़ते जाते हैं वर्ष नया नहीं अत मन्वन्तर आते हैं हम सोचते हैं नया वर्ष आ रहा है और उमंग से भर उठते हैं अच्छा है नए वर्ष को नवजात बच्चे की खिली मुस्कान की तरह लेते हैं जीवन मैं उमंग उत्साह तो बना रहता है यदि वास्तविकता की ओर जायेंगे कि हम उम्रदराज हो रहे हैं तो निराशा आएगी आशा है तो जीवन है जीवन है तो जगत है
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