Saturday, 19 July 2025

kailash mansarover yatra 5

  पर भोले बाबा ने बुलाने की चिट्ठी भेजी थी माध्यम कुछ भी हो । फिरोजाबाद में एक दावत में मित्र मंडली के मध्य विचार हुआ कि कहीं चला जाय। कहॉं और नाम आया मान सरोवर चला  जाय । सोलह युगल में से चार ने  उसी समय मना कर दिया  वे पैरों से  लाचार हैं व सॉँस की भी तकलीफ है वे नहीं जा सकते । उनकी समस्या जायज थी वहीं एक  वकील साहब जो विगतवर्ष होकर आये थे मिल गये सब उन्हे घेर कर बैठ गये । कौन जा सकता है कौन नहीं  क्या क्या समस्याऐं सामने आयेंगी  तीन ने वहॉं के विषय में सुनकर मना कर दिया । दूसरे दिन तीसरे दिन तक एक एक कर अन्य पीछे हटते गये। किसी को समय नहीं सूट कर रहा था किसी के घर में परेषानी आदि आदि  जो उत्सुक थे उन में बचे हम व श्री एवम् श्रीमती महेन्द्र बंसल। हम चारों जाना तो चाह रहे थे पर अन्य  सबके पीछे हट जाने से हिचक रहे थे ।महेन्द्र भाई साहब के समधी श्री प्रेम पकाष जी नेपाल के  सुप्रतिष्ठित व्यवसायी व समाज सेवी हैं । उनसे महेन्द्र भाईसाहब ने बात की तो उन्होंने आष्वस्त किया आप आ जाओ आरक्षण ग्रुप में हम करा देंगे। निष्चय किया कोई नहीं जारहा तो न सही हम चारों चलते हैं एक साथी संबल के लिये बहुत है। तुरंत नेपाल तक के टिकिट दिल्ली से हवाई जहाज के बुक कराये गये। लेकिन मन कहीं कच्चा था महेन्द्र जी सोच रहे थे अन्य मित्रों के न चलने से हम कहीं मना न करदें इसलिये उन्हों ने टिकिट ब्लॉक करा दिये कन्फर्म नहीं कराये  । हमारे पास फोन आया ‘सोच लो और कोई नहीं जा रहा है दुर्गम यात्रा है मन कम हो रहा है ’।

हम निष्चय कर चुके थे हम को भय हुआ ये भी न मना करदें इसलिये फिरोजाबाद जाकर उन्हें आष्वस्त किया कि आप बुकिंग कराओ । सबसे पहले मान सरोवर यात्रा के लिये  रिचा ट्रेवल्स को अग्रिम राषि भेज दो ।

पर सब कुछ सहज नहीं होता ।नेपाल यात्रा के लिये ब्लॉक कराये टिकिट ट्रैवल एजेंट ने बेच दिये। पच्चीस जून को कैलाष मान सरोवर यात्र नेपाल से प्रारम्भ होनी थी । 23 जून तक नेपाल पहुॅचना था बाईस तक किसी भी फ्लाइट में टिकिट नहीं थे । दिल्ली बेटी अल्पना को फोन किया दामाद आदित्यविक्रम ने  ट्रैवल एजेंट से  संपर्क करके बताया कि टिकिट मिल जायेंगे । पर जब तक हाथ में टिकिट न आ जाय तब तक कैसे पूर्ण विष्वास हो नेपाल में भी कैसे आगे कहा जाय । महेन्द्र जी बोले न हो जुलाई में चला जाय पर चलेंगे 23 -24 जुलाई को ही क्योंकि 31 तारीख की पूर्णिमा होगी । जून में भी 30 तारीख की पूर्णिमा थी इसलिये 23 तारीख वाले ग्रुप में जाना चाह रहे थे ।

दिल्ली से बेटी दामाद बराबर आष्वासन दे रहे थे आप निष्चित रहो टिकिट मिल जायेंगे और कहकर बद्रीनाथ की यात्रा पर निकल गये। 19 जून को  हम स्वयं दिल्ली जाकर उनसे टिकिट ले आये । हाथ में टिकिट आते ही महेन्द्र जी को फोन किया आप नेपाल संपर्क कर रुपया भेज वहॉं सीट निष्चित करो ।अग्रिम पैसा  प्रेमप्रकाष जी ने भर दिया वहॉं पर भी जब निष्चित हो गया तब सामान की भागदौड़ हुई।एक एक चीज सूची के हिसाब से देखना और रखना प्रारम्भ हुआ । थरमस  टार्च वहॉं की यात्रा के लिये सर्वाधिक आवष्यक वस्तु हैं। पारिवारिक चिकित्सक डा0 कपूर से  चैकअप आदि करा कर दवाइयों का प्रबंध कर लिया ।

 1 जून को  आगरा के 88 व्यक्ति जो विजय कौषल जी के साथ यात्रा पर गये थे सकुषल वापस आ गये थे । उनमें से श्रीमती ममता बंसल व श्री प्रमोद बंसल से मुलाकात कर वहॉं की आवष्यकताओं के विषय में व उनके अनुभवों के विषय में जाना।‘वे वहॉं की यात्रा से गद्गद् थे। चमत्कारिक अनुभव हुए थे उन्हें । मन ही मन  भोले बाबा को प्रणाम किया कि जिस प्रकार उनकी यात्रा को सफल बनाया हमारी यात्रा भी सफल बनाना ।

    बंसल दम्पत्ति ने वहॉं पर उपयोग में आने वाली वस्तुऐं जो आवष्यक तो समझी जाती हैं पर काम नहीं आ पाईं थीं हमें दीं जैसे आक्सीजन सिलैंडर आदि । उन से मिलकर हमें विष्वास हो गया कि हम भी जा सकते हैं । उनके अनुसार हमें कुछ बातों का ध्यान रखना था । जैसे जैसे चढ़ाई पर जायें मुॅंह में टाफी ,चूरन आदि रहे तो उत्तम है । गाय के दूध का घी उन्होंने दिया और बताया समय समय पर नाक में लगाते रहने से  खुष्की दूर होती रहेगी । छोटी छोटी जिप लॉक थैलियों में एक दिन का  खाने का सामान हमेषा साथ रखें । कहॉं लेजाने योग्य नी कैप  मोजे आदि अच्छे मिलेंगे बताया । धूल भरी हवाओं से बचने के लिये जिस प्रकार डाक्टर ऑपरेषन के समय नाक मुॅह ढक लेते हैं वह रखें ममताजी ने बताया वे तो पल्ला ही मुॅह पर रख लेती थीं । उनके अनुसार सब तैयारी कर  ली थी । इन सबसे ऊपर उन्होंने हमारा मनोबल बढ़ाया  जरा सी हिचकिचाहट थी मन से हट गई ।हमेषा ठीक रहने वाला रक्तचाप  गड़बड़ा गया । कुछ चक्कर से महसूस हुए । चैकअप कराया तो  रक्तचाप बढ़ा हुआ निकला । उच्चरक्तचाप की दवाऐं डाक्टर साहब ने  प्रारम्भ कर दीं साथ ही कहा ‘देख लीजिये  कठिनाई हो सकती है ’चुपचाप सुनती रही फिर बोली ‘चाहे कुछ हो अब तो जाना ही है । मुझे तो आजतक ब्लडप्रैषर की षिकायत  हुई नहीं अब कैसे हुई अब जो भी होगा देखा जायेगा । मुझे तो भोले ष्शंकर ने बुलाया है मै तो जाउॅंगी ।’

         कह तो  बहुत आत्म विष्वास से दिया मैं तो जाउंगी बुलाने वाले परम पिता है वे जो  चाहेगे वही होगा  स्वयं जाने वाली कौन? कहीं वे रोक तो नहीं रहे हैं  नहीं तो उच्च रक्तचाप एकाएक कैसे । सारा कुछ स्वास्थ पर ही तो आधारित है और वही गड़बड़ा रहा है । लेकिन श्रीमती ममता बंसल और श्री प्रमोद बंसल ने बहुत  प्रोत्साहन दिया तो डगमगाता आत्मविष्वास लौट आया ।ममता जी बोली,‘बस भोले बाबा को याद करती रहना बेड़ा पार लग जायेगा । कहीं कोई  परेषानी नहीं होगी देखना यदि कहीं कोई दिक्कत आई भी तो स्वयं भोले बाबा आ जायेंगे । आप एक माला रोज ओम  नमः षिवाय की करना देखना काम  बनेगा । हाथ में जप माला तो नहीं ली हॉं जब भी  मन शांत होता ओम नमः षिवाय का जाप  चलने लगता ।


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