Wednesday, 2 July 2025

cheen ke ve das din 9

 

डिनर के डिब्बे रास्ते में एक इंडियन होटल से पैक कराये थे हमें मिल गये पर खाना इतना अधिक था कि पूरा खाया नहीं गया। पूरे पूरे डिब्बे नीचे सरका दिये । नींद आंखो से कोसों दूर थी । मन कर राि था बाहर देखा जाये पर जैसा ए सी रेल गाड़ियों में होता है चीन भी अलग नहीं है महंगा टिकिट लेकर आदमी अपने को कोटर में बंद कर लेता है ।प्रातः 7.30 पर ट्रेन बीजिंग स्टेशन पर पहुँच गई। वहाँ हमारा स्वागत सैफरीना नामक लड़की ने किया आगे बीजिंग यात्रा की गाइड यही सैफरीना थी। 

रेलवे स्टेशन से बाहर आये। बाहर आते ही लगा जैसे फूलों की नगरी में आ गये हों।   सौंदर्य का अदभुत उदाहरण दिख रहा था। देखकर आश्चर्य लग रहा था। पूरा बीजिंग फूलों के गमलों से पटा पड़ा था। उनमें पानी देने की व्यवस्था हर सड़क पर थी सड़क के किनारे-किनारे पाइप जा रहे थे। बीच-बीच में नीचे ही नल थे वहाँ पाइप लगा कर गमलों में पानी पहुँचाया जा रहा था। मालियांे की डेªस पीले   रंग की थी उस पर बैंगनी पट्टी थी।सूखे पत्ते उठाने के लिये डंडे में खुलने वाला डिब्बा लगा था उसमें पंजे जैसे यंत्र से कूड़ा उठाते जाते थे। वे बराबर काम में लगे हुए थे।पूरा रास्ता कलात्मक ढंग से सजे हुए फूलों से पूर्ण था। जैसे फूलों की दुनिया में आ गये हैं। जो अनेक रूप लेकर सामने था।  कहीं भी पौधों में सूखा-मुरझाया फूल पत्ती नहीं दिख रहे थे। ये फूल छः इंच के छोटे-छोटे गमलों मेें थे पता नहीं एक माह बाद भी उनका वही रूप रहा होगा। इनकी दोनों ओर चादर सी बनाई गई थी बीच में डिवाइडर के दोनों तरफ पन्द्रह इंच के गमलों में बड़े संुदर फूल वाले पौधे लगाये गये थे।सड़क पर एक तरफ फूलों से संुदर चित्रकारी की गई थी। चित्रकारी से मतलब फूलों के छोटे-छोटे गमलों को सड़क के किनारे कलात्मक अलग-अलग आकृति से सजाये थे जैसे परी, झरना, थाल कमल, का फूल, गुलाब के फूल उनके आकार के सांचों में छोटे-छोटे गमलों को सैट किया गया था देखने पर लग ही नहीं रहा था कि छोटे गमले सैट कियेे गये हैं लग रहा था उसी ढंग से फूल उगाये गये हैं।इसके लिये चीन ने चार करोड़ पौधे आयातित किये थे, आयात करना अलग है उनका उपयोग दूसरी बात है। डिवाइडर के दोनों ओर पतले लोहे के पाइप लगे थे उनके द्वारा रबर पाइप लगाकर रात्रि में सड़कें धुलती हैं। फूलों की यह व्यवस्था हर जगह मिली चाहे स्वर्ण मंदिर हो या निषि( नगर या पूरा शहर। यहाँ तक कि सीढ़ियों को या शहर के किनारे को रंग बिरंगे फूलों से सजाकर भित्ति चित्र का सा आभास दिया गया था।

चीन में सौंदर्यबोध हर जगह दिखाई देता है यहाँ तक कि ट्रांसफारमर तक ऐसा लग रहा था कोई मीनार खड़ी है। अगर खाली दीवार है तो उस पर तैल चित्र बने हुए है। संभवतः आने वाले ओलम्पिक की तैयारी में बीजिंग दुल्हन सा सजा तैयार था।

होटल कम्युनिकेशन पहुँच कर वहाँ हम फ्रैश हुए  बीजिंग दर्शन के लिए फिर बस में सवार होकर निकल पड़े और थ्येन आन मान चौक पहुँचे। यह चौक बहुत बड़ा था। यहाँ पर सम्राट यु( में जाने के लिये तैयार सैनिकों को उत्साहित करने के लिये भाषण देते थे लेकिन अब वह सभा आदि के काम आता है। पूरा चौक छोटी-छोटी ग्लेज्ड टाइल्स से बना हुआ था। उसे जंजीरों से घेरा हुआ था कभी इसे लाल चौक के नाम से भी जाना जाता था।  चीन की लोक सभा भी वहीं थी। एक तरफ रिवोल्यूशनरी संग्रहालय बना था। इसकी दीवार पर लिखा था ‘ए मोर ओपन चाइना वेट्स टु थाउजैंड ओलम्पिक्स’ दीवारों पर हर तरफ किसी न किसी जानवर का चेहरा बना हुआ था। यहीं से 1 अक्टूबर 1949 को माओत्से तुंग ने चीन में लोकतंत्र की घोषणा की थी।यह करीब 50 हेक्टेयर जमीन में फैला हुआ है।जूते-चप्पल एक तरफ उतार कर वहाँ जा सकते थे। हजारों आदमी दिन भर वहाँ घूमता होगा लेकिन टाइल्स एक दम चमक रही थी।इसके सभी स्मारक और संग्रहालयों पर देशप्रेम झलकता है।साम्राज्य विरोधी संघर्षों का प्रभाव है ।1989 का संघर्ष स्कवायर में विशाल रैलियों के साथ पहुॅंचा और

नजदीकी सड़कों पर विद्यार्थियों और मजदूरों के जन संहार के साथ खत्म हुआ, ये युवा सरकार विरोधी संघर्ष कर रहे थे ।

थ्येन आन मन स्वर्गिक शांति द्वार, आवाम के चीन का प्रतीक, राष्ट्र का हृदय कहा जाता है, इसके चौक के इर्द-गिर्द चीन की संसद, चीन का संग्रहालय चीनी क्रांति का संग्रहालय है।पहले टिनहैन मैन केवल सम्राट के लिये था इस को स्वर्गिक शांति द्वार कहा जाता था टिनहैन मान तीन शब्दों का समूह है टिन हैवन ;स्वर्गद्ध हैन पीस ;शांतिद्ध मान गेट ;द्वारद्ध द गेट ऑफ हेवनली पीस।1987 में आम जनता इस चौक पर पैर रख पाई थी।

       ‘हम घेरते रहे घेरते रहे जब तक कि हमारे लोहे के जूते टूट नहीं गये और तब बिना देखे हमें वह मिल गया जिसे चाह रहे थे’                                                                                   वाटर मारीजन मिंग डायनेस्टी उपन्यास

वहीं पर ग्रेट हाल आफ चीन था यह थ्येन मान चौक या टिनहैनमान स्क्वायर के पश्चिम में है ग्रेट हॉल का निर्माण केवल दस माह में अक्टूबर 1958 और सितम्बर 1959 में हो गया था इस भवन का एरिया 171,800 स्क्वायर मीटर है अर्थात् निषि( नगरी से भी बड़ा यह विश्व का सबसे बड़ा हाल है और दस विशाल निर्माण में से एक है।चौक पर ही पर लांग मार्च 


के शहीदों का स्मारक मध्य में बना है। शहीद स्तम्भ 1 अगस्त 1952 को बनना प्रारम्भ हुआ और अप्रैल 1958 को तैयार हुआ इसमें 1700 ग्रेनाइट की टाइल लगी हैं। यह स्तम्भ सफेद संगमरमर से बना है। 3794 मीटर लंबा है 50.44 मीटर चौड़ी पूर्व से पश्चिम ओर 61.59 मीटर लंबी उत्तर से दक्षिण है यह चीन का सबसे ऊँचा मोनूमेंट है यहाँ पर शहीदों को सुबह-शाम गार्ड आफ आनर दिया जाता है।उस पर लिखा है चाउएन लाई उद्गार ,‘यह उन शहीदों की स्मृति में है जिन्होंने स्वतन्त्रता के लिये यु( में अपनी जान निछावर की।’

उसके दोनों ओर दो स्मारक स्तम्भ बने हैं। ये उन हजारों छात्रों ओैर नागरिकांे की स्मृति में बने हैं जिनकी हत्या 4 जून 1989 को थ्येन आन मान चौक में आंदोलन के दौरान हुई। 1966 में जो दमन का महादौर चला और महान सांस्कृतिक क्रांति में बदला उसकी परिणति थी आंदोलन।


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