चौक पार करके माओ त्से तुंग का स्मारक था विशाल लकड़ी का लाल रंग का द्वार था। उस पर बैंगनी और सुनहरे रंग से चित्रकारी थी । एक बड़ा बैनर उस स्मारक पर लगा था।उस पर लिखा था चेअरमैन माओ स्मृति हॉल’ उस पर माओ का चित्र था।माओ के चित्र के एक तरफ लिखा है ‘लांगलिव प्यूपिल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और दूसरी तरफ लिखा है ‘लॉग लिव द ग्रेट यूनिटी ऑफ द वर्ल्डस प्यूपिल’ बड़े कक्ष के बीच में माओत्से तुंग की ममी संगमरमर के चबूतरे पर क्रिस्टल केस में रखी है। चारों ओर मोटी जंजीरों से जनता से दूरी बनाई हुई है।
इसका निर्माण माओ की मृत्यु ;दिसम्बर 1976द्ध के तुरंत बाद प्रारम्भ हो गया था। और 1 मई 1978 को इसे जनता के लिये खोल दिया गया। माओ का शव उनके चिरपिरचित वस्त्रों में था विशेष रसायन से चेहरे को जीवंत बनाया गया था लेकिन उस पर गुलाबी तैलीय आभा झलक रही थी। वहीं अन्य बड़े कक्षों में क्यू शाओ छी, चू , चाओ एन लाई और माओत्से तंुग की मूर्तिया लगी थी। दीवारों पर सूक्ति वाक्य लिखे थे जो हमारे लिये महज चित्रकारी थी।
एक विशाल हाल में समय-समय पर चीन द्वारा किये गये यु( उसके नायकों-शहीदों का इतिहास अंकित था तथा उसकी वीडिया क्लिपिंग लगातार चल रही थी।
यह स्थान निषि( नगरी ;फॉरबिडिन सिटीद्ध का ही दक्षिणी हिस्सा है यहाँ से निषि( नगरी के लिये जाने का मार्ग बंद कर दिया गया है। यह दरवाजा थ्येन आन मान गेट या शांति द्वार कहलाता है इस दरवाजे के ऊपर बनी छतरी पर ही से थ्येन आन मान चौक में एकत्रिक भीड़ को संबोधित कर लोकतांत्रिक चीन की घोषणा की गई थी।स्मृति हॉल के बाहर 5 पुल है बीच में बड़ा पुल सम्राट और साम्राज्ञी के लिये और छोटे पुल से सभी अधिकारी और मंत्रीगण के लिये, पुल से पहले द्वार पर दो विशाल शेर पहरा देते हुए हैं दो पुल के पास हैं। चाइनीज विश्वास करते हैं कि शेर बुरी आत्माओं से बचाता है।जिसे यह पता नगता यह पुल सम्राट साम्राज्ञी के लिये था तो उसी पुल से पार जाना चाहा ,अब तो सब अपने राजा हैं अपने देश में होता तो उस पर लिखा होता मंत्रियों के लिये केवल।
निषि( नगरी शहर का दिल है यह बीजिंग के केन्द्र में स्थित है इसे चाइनीज गू गौंग कहते हैं। क्योंकि कभी यह मिंग और ंिछंग वंश के सम्राटांे का निवास स्थान था।अब यह महलों का अजायबघर कहलाता है यह टिनामैन स्क्वायर के उत्तर में स्थित है यह विश्व का सबसे बड़ा महल समूह है। इसके चारों ओर छः मीटर गहरी खाई है और 10 मीटर ऊँचा परकोटा है इसमें 9,999 कमरे हैं। एक के बाद एक कई परकोटों से घिरे इन महलों में आम जनता का प्रवेश निषि( था। यह करीब सात लाख बीस हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ था। इसके निर्माण में चौदह साल लगे थे। उससे पूर्व राजधानी नानचिंग थी इसके निर्माण के बाद राजधानी यहाँ बनी ।
तृतीय सम्राट युंग ले के समय इसका निर्माण सन् 1407 में प्रारम्भ हुआ। इसकी छतें टाइल्स की व फर्श संगमरमर के बने हैं।चारों कोनो पर चार मीनारें है। एक लाख कारीगरों, दस लाख मजदूरों के 14 वर्ष के अथक श्रम के बाद 1420 में इनका निर्माण पूरा हुआ।यांग वंश की पांचवी पीढ़ी का समय था। कहा जाता है पत्थर फैंगशान से लाया गया है हर पचास मीटर के बाद सड़क किनारे एक कुँआ खोदा गया था। जिससे सड़क पर वर्फ पर पानी डालकर उस पर पत्थर सरकाया जा सके। निषि( नगरी कारीगरी का अद्भुत नमूना है। इसकी बाहरी दीवाल नीचे 8.6 मीटर है और ऊपर 6.66 मीटर चौड़ी है। इसका तिरछा आकार चढ़ने वाले के लिये बेहद थकाने वाला है। इसकी ईंटे सफेद चूने और चावल के माड़ से बनी है। सीमेंट, चावल के माड़ और अंडे की सफेदी , इन अद्भुत सामानों ने दीवार को अभेद्य बना दिया।चारों कोनों पर चार मीनारें हैं ।
इस महल में सर्वप्रथम मिंग सम्राट च्यांग चू ने सन् 1420 में रहना प्रारम्भ किया। इन महलों में 419 सालों तक एक के बाद एक कर चौबीस सम्राटों ने निवास किया।तब तक जब आखिरी सम्राट को भीतरी दरबार से खींच कर निकाला गया
था।
इसके चारों ओर खाई बनी हुई है। इसके अंदर आठ सौ महल बने हैं और नौ हजार कमरे हैं। चारों ओर चार दरवाजे हैं। हर प्रवेश द्वार पर पीशू की बैठी मूर्तियाँ बनी हैं। चारों दरवाजों के नाम हैं।दरवाजों के ऊपर खूबसूरत बुर्जियाँ बनी हैं जिनसे शहर और महलों को देखा जा सकता है।
1. थ्येन आनमन ;दक्षिणी द्वार शान्ति द्वारद्ध
2. शान वूमन ;उत्तर द्वार स्वर्गदारद्ध
3. तुंग-हा-मन ;पूर्वी दरवाजाद्ध
4. शी हा मन ;पश्चिमी दरवाजाद्ध
तिरस्कृत महलों और बाग बगीचों का विशाल परिसर कभी शाही परिवार और उसकी सेवा करने वाले हिजड़ों के लिये आरक्षित क्षेत्र था नाम इसका फॉरबिडिन अवश्य है परन्तु यह आश्चर्यजनक रूप से देश की संस्कृति का चरमोत्कर्ष दिखाता लाोकप्रिय पर्यटन स्थल है इसका कारण इसकी भव्यता और सुंदरता है । इसकी कलात्मकता और शिल्प सौंदर्य अदभुत् है ।निषि( नगरी दो भाग में विभक्त है दक्षिणी हिस्सा जहाँ से सम्राट राज्य कार्य किया करते थे। भीतरी हिस्सा जहाँ वे रानियों के साथ रहा करते थे। यह हमेशा रहस्यों के घेरे में और खजाने से भरपूर था।
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