Friday, 25 July 2025

Kailash mansarover yatra 11

  पूरी यात्रा में गर्मागर्म  बिभिन्न सूप लोकप्रिय रहे क्योंकि जैसे जैसे  ऊॅंचाई पर चढ़ते गये  भोजन से अरुचि होती गई हॉं पीने के लिये  जो कुछ भी मिलता बहुत अच्छा लगता । सूप से ऊर्जा बनी रहती  । चौदह दिन की यात्रा में सबका वजन पॉच पॉच छः छः किलो घट गया । ऊपर चढ़कर ज्ञात हुआ कि बीनू भाई का यह कहना कि  पानी बहुत पीना है क्यों  आवष्यक था क्योंकि पानी ष्शरीर का संतुलन बनाये हुए था । पानी गरम पीना था हर समय गरम पानी का थर्मस साथ रहता । प्रातः यात्रा प्रारम्भ होते ही दो थर्मस और दो दो लीटर पानी की बोतल साथ रख लेते थे। नाष्ते के साथ ही बड़ी टंकी में एक व्यक्ति हर एक को पानी भर भर कर देता जाता था आगे जब बोतल का पानी ठंडा हो जाता तो उसमें गर्म पानी मिला लेते थे ।

 कोदारी तक की बस यात्रा में पॉंच घंटे लगे । बारह बजे तक हम कोदारी पहुॅंचे  । कोदारी तक का  सफर बेहद सुरम्य और सुंदर है। ऊचाई से गिरते झरने  गहराई में और एकदम समीप कूदती  दौड़ती खिलखिलाती कोषी नदी। जगह जगह छोटे छोटे मंदिर पिकनिक स्पॉट आदि बने हैं । नेपाल से कोदारी तक का पर्वतीय क्षेत्र हरे भरे वृक्षों से भरा है यहॉं धरती मॉं हरी ओढ़नी ओढ़ कर नृत्य सा करती प्रतीत होती है ।

   बस के रुकते ही पचासियों महिलाऐॅं बच्चे बस को घेरकर खड़े हो गये ‘हम हम’ अरे भाई किसलिये हम हम कर रहे हैंपता लगा मैत्री पुल के लिये करीब एक किलो मीटर पैदल चलना पड़ेगा । डफल बैग तो सामान के लिये चलने वाले ट्रक में जायेगा पर हैंडबैग साथ रखना होगा हमारे पास दो हैंडबैग एक एक छोटा बैग पानी का थर्मस बोतल आदि सामान था ऐसा ही करीब करीब सबके पास था । एक किषोर झट से  मेरे पास आकर मेरा सामान थाम कर खड़ा हो गया मैडमजी आप नहीं चल पायेंगी मैडम जी इसे लेकर नहीं चल पायेंगी । 

      चारो ओर रुपये को युआन में बदलने के लिये दलाल खड़े थे लेकिन हमें अगाह कर दिया गया था रजिस्टर्ड व्यक्ति से ही बदला कराया जाये जिससे वापस करने में आसानी हो और नकली नोटों के चक्कर से बच जायेंगे । एक युआन पॉंच  रुपयों के बराबर था ।

      आधा किलोमीटर पर हमारे लिये होटल में कच्ची रसोई की व्यवस्था थी होटल यात्रियों से भरा हुआ था। एक हमारे आगे जाने वाला दल और दो  लौट कर आने वाले दल सभी को जल्दी। एक तरह से लपक लपक कर ही खाना खाया । खाना खाने के बाद आगे की यात्रा प्रारम्भ हुई अब हमें चीन की सीमा में प्रवेष करना था इसके लिये मैत्री पुल पार करना था नाम मैत्री पुल अवष्य था पर प्रवेष के समय एक असहजता का भाव था । मैत्री पुल से पहले जब हम बीजा की लाइन में अपने अपने नंबर  पासपोर्ट पहचान पत्र लेकर खड़े थे हमें विषेष रूप से निर्देष दिया गया था कि कोई भी मैत्री पुल की फोटो न खींचे । हमें बताया गया था कि पूर्व में चंडीगढ़ के किसी डाक्टर ने मैत्री पुल की फोटो खींच ली थी उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था उन्हें यात्रा तो स्थगित करनी ही पड़ी  छुटकारा भी बहुत मुष्किल से मिला था ।

            चैकपोस्ट पर सपाट और सख्त चेहरे वाले कहीं जरा सा भी मुस्कान न आ जाय ऐसे कई व्यक्ति खड़े थे । एक पासपोर्ट चैक कर रहा था एक ने माथे पर पिस्टल सी लगाकर क्लिक किया और आगे बढ़ा दिया ज्ञात हुआ वह तापमान नापने का लेजर यंत्र था कहीं बुखार आदि तो नहीं है विषेश हिदायत थी कोई बीमार व्यक्ति नहीं जा पायेगा ।

     हमारे साथ अहमदाबाद के मूलचंद भाई को रात में हल्का सा  बुखार आ गया था यद्यपि गुजराती भाई कह रहे थे कि जिन्दगी में आजतक उन्हें बुखार नहीं आया पर पता नहीं उस रात कैसे हरारत हो गई थी । उन्हें रोक लिया गया । उन्हें लाने के प्रयास बीनू भाई कर रहे थे तबतक हमें अगले चैक पोस्ट की ओर बढ़ने के लिये कहा गया। 11


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