Tuesday, 2 January 2018

आज के महंत

स्त्री की छटी इन्द्रिय  बहुत जाग्रत होती है आंख  छोटी सी होती है एक साधारण आंख पर वह आँख  न जाने कितने द्रष्टिकोण  से देखती है हर भाव उसमें  झलक जाता है और भाव को स्त्री तुरंत पकड़ लेती है तब कैसे नहीं धर्म के नाम पर चला रहे आश्रम संचालकों के मन  की बात महिलाएं नहीं पकड़ पाती क्या वे जान कर भी अनजान बनती हैं वे स्वयं फसना चाहती हैं क्योंकि एक पल की चमक भी  स्त्री पकड़ लेती है अनेकों प्रवचन देने वाले कुकुरमुत्ते  की तरह उग आये हैं पर कुछ प्रजाति ही असली होती हैं अधिकांश तो जहरीली  और जंगली होती हैं देश मैं दो ही धंदे अच्छे हैं नेतागिरी और दमदार आवाज के स्वामी प्रवचन करता विश्लेषण करने मैं सिद्ध कुछ भावो भरी कहानियां कुछ आंसू कुछ मुस्कान और लहरदार सुनाने का ढंग बस अनेक भक्तों की कतार जाओ बे हिचक उन्हें अपनी कन्याएं सोंप देते हैं 

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