Saturday, 20 January 2018

कन्याओं को वहशियों से बचाओ

भ्रूण हत्या रोको एक स्लोगन  बचाओ यदि कन्या नहीं होगी तो पृथ्वी कैसे चलेगी अर्थात पुरुष हेतु कन्या चाहिए ही स्वयं कन्या के अस्तित्व  लिए कन्या भ्रूण हत्या  करो यह उद्देश्य कटाई नहीं है यदि मात्र कन्या भ्रूण बचाने की बात होती तो कन्या को बुरी तरह पीड़ा देने वाले वहशियों को सरकार  अपना  बनाकर उसके ऊपर प्रतिदिन खर्चा नहीं करती उसको थाली परोस कर खाना खिलाना जेल मैं उनकी सुरक्षा करना क्या है अगर वहशी जनता के हाथ पद जाएँ तो शायद कंस की तरह उनके शरीर के टुकड़े भी न बचे जनता का पैसा इन अपराधियों की के लिए खर्च हो रहा है लम्बे लंबे  मुक़दमे चलते रहते है और जनता का पैसा खर्च होता रहता है जो इस प्रकार के  होते हैं वे समाज के तो वैसे भी नहीं होते वो  मानसिक  हैं कुछ दिन बहार रह कर पागल हो ही जायेंगे जेल मै रहकर वे पक्के खिलाडी हो जाते हैं दिन बीतने के साथ मुक़दमे कमजोर  हैं  साक्ष्य  मिट जाते हैं गवाह खरीद लिए जाते हैं क्योंकि पैसा लें दें का समय मिल जाता है  बलात्कारियों को तो चीखें सुनने मैं आनंद आता है इसलिए जेल मैं उनके साथ कैसा भी व्यवहार हो उनके  आनंद है 

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-01-2018) को "आरती उतार लो, आ गया बसन्त है" (चर्चा अंक-2856) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    बसन्तपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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