हम सैलून पहले के इतिहास को जिन्दा रखने के लिए जिंदगियों को इतिहास बना सकते हैं पद्मावती के मान के लिए हम स्वयं जोहर के लिए तैयार हैं परन्तु वर्तममान मैं कितनी प्रतिभाओं को हम कोख मैं मार रहे हैं इसके लिए न आवाज उठी न किसी का दिल कंपा न वंश कलंकित होते हैं जब फूल सी कोमल कन्याओं को मसल कुचल कर नर्भयाओं की लाशों का ढेर बना रहे होते हैं तब सब सेनायों का रोष कहाँ तिरोहित हो जाता है तब उन बदबख्तों की लाशों को संगीनों पर उछाल कर सेनाये अपनी ाँ को रखें तब तो सहानुभूति हो
क्या पद्मावती के खिलाफ आवाज उठाने वालों ने पद्मावती कौन थी यह भी जानकारी लेनी चाही कभी पढ़ा है इतिहास। जिस दिन किसी निर्भया की आबरू के लिए अपनी ाँ की आवाज उठाएंगे तब जरूर देश की सहानुभूति होगी जब जिन्दा के लिए सहानुभूति नहीं है तो फाटे पन्नों को कैसे इतिहास मन लिया मुझे सहानुभूति स्वयं पद्मावती से है जिसे पुरुष के ही अहम की वजह से अपनी जान देनी पड़ी आज पुरुषों को बहुत रहम आ रहा है पुरुषों को किसी से सहानुभूति नहीं है बस कोई बहाना उधम करने और नेतागिरी के लिए चाहिए
क्या पद्मावती के खिलाफ आवाज उठाने वालों ने पद्मावती कौन थी यह भी जानकारी लेनी चाही कभी पढ़ा है इतिहास। जिस दिन किसी निर्भया की आबरू के लिए अपनी ाँ की आवाज उठाएंगे तब जरूर देश की सहानुभूति होगी जब जिन्दा के लिए सहानुभूति नहीं है तो फाटे पन्नों को कैसे इतिहास मन लिया मुझे सहानुभूति स्वयं पद्मावती से है जिसे पुरुष के ही अहम की वजह से अपनी जान देनी पड़ी आज पुरुषों को बहुत रहम आ रहा है पुरुषों को किसी से सहानुभूति नहीं है बस कोई बहाना उधम करने और नेतागिरी के लिए चाहिए
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