धानी रंग की चुनरी [पीले पीले फूल
पवन बसंती बह उठी अपना रस्ता भूल। .
सूरज ने मुह खोलकर देखा धरती ओर
उमग उमग कर देखती हरियाली की कोर।
तितली सी उड़ कर चली शीतल मंद बयार
चूम चूम कर फूल को बरसाती है प्यार।
चुपके चुपके देखते शरद शिशिर कब जाएँ
चलो बाग़ मैं खेलने बालक फूल बुलाये।
झोली मैं भर पूल सब छिपकर खड़ा बसंत
पूलों से धप्पा किया निकला जब हेमंत।
पवन बसंती बह उठी अपना रस्ता भूल। .
सूरज ने मुह खोलकर देखा धरती ओर
उमग उमग कर देखती हरियाली की कोर।
तितली सी उड़ कर चली शीतल मंद बयार
चूम चूम कर फूल को बरसाती है प्यार।
चुपके चुपके देखते शरद शिशिर कब जाएँ
चलो बाग़ मैं खेलने बालक फूल बुलाये।
झोली मैं भर पूल सब छिपकर खड़ा बसंत
पूलों से धप्पा किया निकला जब हेमंत।
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