कभी कभी मन विचारों के सागर मैं डूबने उतरने लगता है कोई लहर किनारे ाबैठती है और ठकठक कर ती रहती है की हम कहते हैं हमारा अस्तित्व उससे है सातवें आस्मां पर बैठा है कभी कहते हैं हम माता पिता की कभी गुरु हमें बनाने वाले कहलाते हैं आसमान मैं बैठा चाँद हमें देखता है गुदगुदाता है तेरे चेहरे पर जो मुस्कान है न वही तेरे दिल का तू है तब ही जब तक तेरे अंदर की मुस्कान है वही तेरा उजाला है नहीं तो तू एक मुर्दा है श्मशान मैं मुर्दों बीच घूमने वाला मुर्दा
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