Tuesday 11 October 2022

rishte

 ऽ आज की तेज रफ्तार जिंदगी में यदि किसी चीज से पीछा छुड़ाया जाता है तो वह है रिष्ते। सबसे नजदीक रिष्ते, सब फालतू रिष्ते हैं ,बोझ बन गये हैं रिष्ते। आज के ग्लोबलाइजेषन के जमाने में जमीन तलाषने की दौड़ में अपनों के भी सिर पर पैर रखकर चलते जाते हैं ।‘इटस माई लाइफ ‘ की रट लगाने वाली इस पीढ़ी ने जिस एक अहम् रिष्ते के महत्व ,गरमाहट,अपनेपन को भुला दिया है वह है बंधुत्व का रिष्ता। क्या कारण है कि जो सबसे नजदीकी है अर्थात् भाई या बहन क्योंकि जिनका रक्त एक है जो एक मां से उत्पन्न हैं आजकल सर्वाधिक दुष्मन वे ही हैं ।पहले कहा जाता था भाई  मुसीबत में काम आयेगा चाहे कुछ भी हो लेकिन अब भाई ही सबसे बड़ा दुष्मन हो गया है पहले कहा जाता था दुःख सुख  रोग ष्षोक में र्भाई ही काम आयेगा । लेकिन अब  भाई ही इन साबका कारण बनता है उसे भाई की रोटी ही कड़वी लगती है उसे छीनने के लिये गैरों का फायदा चाहे हो जाये पर भाई रोटी कैसे खारहा है यह भाव बढ़ता जा रहा है।तीज त्यौहार पर  घरवालों से रौनक हो जाती है माना जाता है पर अब घर वाले जैसे कुढ़े से बैठे रहेंगे कि यह अच्छे से त्यौहार क्यों मना रहा है ।छुट्टियों में यदि भाई के यहां जायेंगे तो कहेंगे छुट्टी बरबाद हो गईं। अगर अब नजदीकी हो गया है वह है दोस्ताना। छुट्टियां दोस्तों के साथ बिताना रोमांचकारी है। इसका मुख्य कारण है बचपन में ही प्रतिस्पर्धा के बीज बो दिये जाते हैं और म न ही मन दुष्मन बना  दिया जाता है

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