दीपावली
‘असतो मा सद्गमय,तमसो मा ज्योतिर्गमय्,मृत्योर्माऽमृतगमय।।
ष्षुभ कर्म ष्षुभ लाभ ष्षुभ कामनायें ष्षुभदीपावली
दीपावली-पर्व नये धान के आगमन का भव्य और भक्तिपूर्ण अभिनंदन है,आदि षक्ति कावंदन है। मन मंदिर का दीप आलोकित हो अज्ञान तिमिर का लोप हो। हम अपने हृदय के श्रद्धा सुमन विद्याावारिधि श्री गणेष और माता पदमासना के चरणों में अर्पित करते हैं माता महालक्ष्मी का न आदि है न अंत है वे आदिषक्ति हैं माहेष्वरी हैं योग सम्भूता हैं। उनके चरणों में हमारा ष्षत ष्षत नमन।
हमारी मंगल कामना है कि माता विष्णुप्रिया हमारे मन मंदिर का अंधकार दूर करें। हमारे आंगन में हर्ष की फुुलझड़ियां छूटें राक्षसी प्रवृतियों का अन्त हो। धर्म की स्थापना हो सत्य की विजय हो । राष्ट्र में व्याप्त भ्रष्टाचार दुराचार और और तिमिर का नाष हो सर्व, ज्ञान का आलोक बिखरे। हर देहरी दीपों से झिलमिला उठे चाहे वह देहरी द्वारकाधीष कृष्ण की होया दीन हीन विप्र सुदामा की हो। सर्वत्र आलोक बिखरे तभी यह महापर्व सार्थक होगा और हम भाक्त जन स्वर में स्वर मिलाकर कहेंगे ‘षुभदीपावली
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