ऽ हिंदू धर्म स्वयं अपना धर्म खराब कर रहा है ।जिन मूर्तियों को पूजता है उन्हें नदी में समुद्र में या पेड़ों के नीचे रख कर इतिश्री कर लेता है जिन्हें आपने पूजा जिनपर आप झूठी उंगली भी नहीं रख सकते वे पड़ी रहती हैं कूड़े के ढेरों पर कुत्ते उन पर पेषाब करते हैं आप पर तब कोई असर नहीं होता ।गणेष चतुर्थी महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है। होता तो सभी राज्यों में है अब सब प्रदेषों में प्रमुखता से मनाया जाने लगा है अन्य प्रदषों में भी बड़ी बड़ी मूर्तियां रखी जाने लगी हैं यही हाल नव दुर्गा का है। नवदुर्गा बंगाल का प्रमुख त्यौहार है पर अब हर प्रदेष में उसी ढंग से मनाया जाने लगा है। पूर्व में नव दुर्गा पर कुछ प्रमुख चैराहों पर पंडाल सजता था लेकिन अब हर प्रदेष में हर बस्ती हर चैराहे पर हर मुहल्ले में दुर्गाजी और गणेष जी की बड़ी बड़ी मूर्तियां सजाई जाती हैं। बस्तियों में विषेष रूप से सजते हैं नौ दिन तक नाच गाना आदि होता है फिर दसवें दिन विसर्जन किया जाता है। टैम्पो मिनी ट्रक आदि करके बस्ती वालेां के संग विसर्जन करने जाया जाता है इन सब पर खूब पैसा खर्च किया जाता है।अष्लील गानों पर नाच गाना चलता रहता है सबसे अधिक दुःख होता है हिंदू धर्म मानने वालों का अपने देवी देवताओं की स्वयं के द्वारा की गई दुर्दषा । जब समुद्र के किनारे नदियों की तलहटी में और किनारों पर मीलों तक मूर्तिया रखी दिखती हैं टूटती हैं फूटती हैं तब किसी को दर्द नहीं होता ।
अब कपड़ों पर भी देवी देवता के प्रिंट आते हैं हम पहले तो तन पर पहनते हैं तन की गंदगी इन पर लगती है फिर पीट पीट कर उन्हें धोया जाता है फटने पर झााड़पोंछ के काम लिया जाता हैं कार्ड आदि पर देवी देवता की तस्वीर छापते हैं फिर वह कार्ड कूड़ा उठाने के काम आता है । अपने देवी देवता का अपमान जब हम स्वयं करते हैं तो दूसरे करें तो क्या बात है ।
No comments:
Post a Comment