दरवाजा के पार बड़ा-सा खुला स्थान था। इसमें गर्मियों में पानी भरा जाता था। जिससे महल ठंडा रहे उसे पार करके काफी सीढ़ियाँ चढ़कर मुख्य महल था। यह थाई ह्त्येन या दीवाने आम कहा जाता है। महल के अहाते में बड़े-बडे़ नगाड़े रखे रहते थे जब सम्राट महल में प्रवेश करते थे तब उनचास बार आघात किये जाते और बाहर जाते तब 27 बार आघात किये जाते थे। सीढ़ियों के दोनों तरफ विशाल तांबे के बरतन रखे थे इनमें पानी भरा जाता था। इसके बाद मुख्य महल आते हैं जो अलग-अलग रानी-महारानियों के आवास हैं। हर महल के द्वार के नाम भी अद्भुत हैं जैसे भूमध्य रेखादार। यह मुख्य प्रवेश द्वार है और 18 मीटर ऊँचा है। महल भिन्न-भिन्न शैली में बने थे तथा उनके नाम भी अलग थे। कहीं कलात्मक बेलबूटे बने थे तो कहीं लोक छाया का चित्रण था। छतें मेहराबदार व ढलान वाली गोल खपरैल की थीं। छतों पर रंग नारंगी व पीला था उस समय सम्राट के अलावा किसी को भी पीला रंग प्रयोग करना निषि( था।आम जनता के लिये हरा रंग था केवल वेनऐयू पुस्तकालय की छत काले रंग से रंगी है कहा जाता है काला रंग पानी का द्योतक है और आग बुझा सकता है। हर महल के बाहर संगमरमर के बरामदे फब्वारे बाग झरने आदि थे।निषि( नगरी के पाँच पुल कन्फ्यूशियस के पाँच सि(ान्त है मानवता, कर्मठता, बु(ि, विश्वास, उल्लास। मुख्य महल के सामने विशाल अहाता था यहाँ नववर्ष समारोह मनाया जाता था।चीनी नामों का अबर हम हिंदीकरएा करें तो न जाने कैसे अर्थ बैठते हैं जो हमारी मानसिकता में फिट बैठते हैं । हॉं जो कुछ भी आन बान शान उा ामस की दिखाई दे रही थी उसको कल्पना के साथ जोडऋ कर चले तो अपने कदम भी उसी प्रकार उठने लगे । न जाने कितने वैभव शाली सम्राट यहाँ रहे और यही दफन होकर मिट्टी हो गये। निषिð नगरी के सिंहासन पर महल पर उनके राजसी पद चिन्हों के अलावा भी कुछ ऐसे पद चिन्ह पड़े थे जिन्होंने इस शहर के महल में उत्पात् मचाया,लूटपाट कर और सिंहासन पर बैठकर शाही तस्वीरें खिचवा कर शासकों से बदला लिया।ये थे 1900 में ईसाई विरोधी बक्सर विद्रोह केा दबाने के लिये गये ब्रिटिश सेना और ब्रिटिश सेना में भरती भारतीय सैनिक । 48 किलोमीटर लंबा विशाल नगर राजाओं की कब्रगाह बन कर रह गया। सौंदर्य कला, क्रूरता, उत्पीड़न का विरोधाभास समेटे नजर आता है।
उन्हीं का वंशज छिंग वंश का अंतिम सम्राट आर्यासन गैरा फू-ई अपना कुछ समय ही काट पाये बाकी समय कारावास में गुजारा था। इस सम्राट की कथा को लेकर ही सप्रसि( फिल्म ‘लास्ट एम्परर’ बनी थी। चीन की 1911 की क्रांति में डा. सुनयात सेन ने छिंग वंश का पतन किया और आयसिन गैरो फू-ई को कारावास में डाल दिया। अंतिम सम्राट फू ई की मृत्यु 1987 में बहुत गरीबी में हुई।
निषि( नगरी के द्वार पर एक विशाल पिशू बना था यह चीन का प्रमुख चिन्ह है।पिशू चार जानवरों के सम्मिश्रण से बना है इसका मुँह दस फिट चौड़ा डेªगन का है, धड़ घोड़े का और पैर शैर के ,पूँछ अजदहे की है। पेट विशाल होता है यह
खजाने का प्रतीक माना जाता है।विशाल कछुआ बड़ी उम्र का द्योतक है।
निषि( नगरी में ही एक महल को चंेगलिंग म्यूजियम का रूप दे दिया गया था। बीच में मिंग राजा विशाल सिंहासन
पर बैठे थे। सिंहासन के चारों ओर विभिन्न पक्षी, मोर, सारस आदि रखे थे हॉल के तीनों ओर शीशे में उस समय के राजा-महाराजाओं के रत्न, आभूषण, वस्त्र, मुद्राएंे, सोने, चाँदी, तांबे के पत्र, मुकुट आदि तथा सभी दैनिक उपयोग की वस्तुएँ रखी थी।म्यूजियम में पाँच हजार वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन, तीन हजार वर्ष पुराने तांबे के बर्तन, पन्द्रह सौ वर्ष पुराने पालिश और चित्रकारी की गये चीनी मिट्टी के बर्तन थे। तेरह सौ वर्ष पुराने लकड़ी पर नक्काशी के चित्र थे। देखने मंे लग ही नहीं रहे थे कि ये लकड़ी के बने है पाटरी अधिकतर नीले रंग की या लाल रंग की महीन कारीगरी की थी।नषि( नगरी का यह हॉल ऑफ हारमनी सबसे ऊँचा हॉल है, यह विशिष्ट उत्सव में काम आता था सम्राट का जन्मदिन, ताजपोशी आदि।यह लकड़ी से निर्मित विश्व का सबसे बड़ा निर्माण है बाहर सूर्य घड़ी थी जो उस समय 2 बजा रही थी।
इस हॉल के पीछे एक कमरा था जो बंद था लेकिन उसमें रोशनी थी वहॉं दरारों में लोग ऑंख लगा रहे थे तो हम सब भी एक एक झिरी से झांकने लगे।दूसरा क्या देख रहा है यह उत्सुकता स्वाभाविक है और उस वजह से नया भी देख लिया जाता है । उस झिरी के पीछे सम्रट का शयन कक्ष था । विशाल लकड़ी का पलंग था उस पर लाल पीली जरी की चादर बिछी थी।पूरे कक्ष में पच्चीकारी हो रही थी पर अधिक दिख नहीं रही था ।यह कक्ष बंद ही रखा जाता है ।
निषि( नगरी में ही जिगशान गार्डन था। बगीचे का रास्ता छोटी-छोटी कलात्मक पटरियों से बना था। जिन पर तरह-तरह की कारीगरी थी।कहते हैं यह एक पत्थर से बना है। तरह-तरह के फल-फूल के वृक्ष थे। नक्काशीदार तेारण बने थे वहीं पर एक कृत्रिम पहाड़ी बनी थी पहाड़ी से झरना बह रहा था। वहाँ पर बैठने के लिए स्थान बना था नीचे गुफा थी उस पर दो शब्द लिखे थे ‘जिंग शान’। पहाड़ी पर लिखा था ‘हिल ऑफ एक्यूमुलेटेड एलीगेंस’।
दोनों तरफ सीढ़ियाँ थी आधे रास्ते पर गुफा थी। गुफा मेहराबदार तथा ड्रैगन के आकार में थी। आधे रास्ते से पहाड़ी पर तांबे का प्रयोग किया गया था,वहॉ तांबे से एक हॉद बनाया गया था। उसमें पानी एकत्रित किया जाता था और यह पानी ड्रैगन के सिर से गिरता रहता था। यहाँ पर तीन महल थे। यहाँ का मुख्य वृक्ष स्कालर वृक्ष कहलाता था यह साइप्रस वृक्ष बहुत प्राचीन है उसे बचाने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं उसे तीन बड़े लोहे के पाइपों से बांध कर सहारा दिया गया है। यहाँ तो प्राचीन स्कॉलर वृक्ष को बांधा गया था। लेकिन रास्ते में मिले वृक्षों को सीधा रखने के लिए बांधा गया था। जिससे कि वे आगे-पीछे टेढ़े-मेढ़े न बढ़ें। सभी वृक्ष सीधे ही बढ़ रहे थे।
वहीं से हम आगे गये समर पैलेस के लिये। समर पैलेस छिंग डाइनेस्टी के समय निर्मित किया था। 1193 में सम्राट ह्नांगच्यांग ने इस महल का निर्माण कराया इसका नाम चिन श्वेई यान अर्थात् सुनहरे पानी का बाग रखा लेकिन
धीरे-धीरे नाम बदलकर ‘गार्डन ऑफ हारमनी’ हो गया। कन्प्यूशियस ने इसको ‘लॉंगेविटी ऑफ लाइफ ’ अर्थात् दीर्घजीवन बाग नाम दिया था इन में पश्चिमी हिस्सा यियान कहलाता था अर्थात् पुस्तकों का संग्रह ।1750 में सम्राट क्विऑन लॉंग के राज्य में पूर्व और पश्चिम दो भाग बनाये पूर्व को नाम दिया था, मैथेड कीपिंग रूम; पुस्तक लेखा कक्ष द्धऔर पश्चिम का नाम पुस्तक दीर्घा । सामने ही विशाल ड्रैगन पसरा हुआ था।ड्रैगन दीर्घायु का प्रतीक है फिनीक्स की मूर्तियॉं हैं ।फिनीक्स सुख सम्पत्ति का प्रतीक है। बड़े हॉल के दोनों ओर दोे पंख और पॉंच बांहें हैं । छिंग वंश के चौथे सम्राट ने इस बाग को बड़ा रूप दिया। सन् 1860 में अर्थात् यु( के समय ऐंग्लो ¦फ्रेंच सैनिकों द्वारा यह बाग आग की भंेट चढ़ा दिया गया। इसका पुर्न निर्माण एम्प्रेस ने 1888 में मनोविनोद के लिये किया लेकिन 1900 में एक बार फिर यह महल नष्ट हो गया था। साम्राज्ञी डाउजर ने तीन साल में इसका पुर्न निर्माण कराया। बार-बार मनोविनोद के लिये तैयार किये गये इस महल पर हुए खर्च को वसूला जनता से गया जिससे लोगों में विद्रोह की भावना घर करती गई ।10 अक्टूबर 1911 को सुनयात सेन के नेतृत्व में क्रांति हुई राजवंश का खात्मा हुआ।
समर पैलेस झील के किनारे है विशाल झील और उसके किनारे-किनारे बाग जिसमें तरह-तरह के वृक्ष, जड़ी-बूटियों के पौधे पुष्प आदि है समान चौड़ी सीढ़ियाँ कई भाग में थी उनके बीच की सीढ़ी से पहले झरने छोटे-छोटे पुल पार करने थे उसके बाद चौड़ी सीढ़ियाँ जो कई भागों में विभक्त थी बीच का रास्ता छोड़ कर दोनों इधर-उधर की सीढ़ियों पर क्रम से फूलों के छोटे-छोटे गमले सजे थे फूलों की जैसे चादर हो। लंबा लकड़ी का कारीडोर पार करके विशाल झील और मैदान एक विशाल बैल बैठी मुद्रा में था।बैल के लिये कहा जाता है वह बाढ़ को नियंत्रित करता है। लेक के पास ऐक लड़का ब्रश से दोनों हाथों से पट्टी पर चाइनीज लिख रहा था एक साथ दोनों हाथ तीव्र गति से चल रहे थे उसकी कला देख आश्चर्य हो रहा था यह भी नहीं कि एक से शब्द लिख रहा था यद्यपि हमारे लिये चीनी लिपि चीलबिलाऊ बनाना ही थी लेकिन अलग अलग शब्द हैं यह तो समझ आ रहा था ।
झीलके पास अनेकों छोटे-छोटे महल थे, शायद हर सम्राट के अपने समय के। चारों ओर कमरे बीच में अंागन ,हर मुख्य महल में और गैलरी में उस समय के सम्राट की यादगार वस्तुएँ रखी थी। पॉटरी, वस्त्र अन्य सजावटी सामान, खाने के बर्तन ताम्रपत्र आदि रखे थे। सब आलमारियों में सजे हुए थे। ।