Tuesday, 21 January 2025

Newsletter 2 upvaas

 

1. "हमारी दादी-नानी का ज्ञान अब विज्ञान ने भी माना..."

2. "उपवास से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ जानिए..."

3. " परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम..."

नमस्कार,

हमारी दादी-नानी हमेशा कहा करती थीं "पेट ही परमात्मा है", और आज आधुनिक विज्ञान ने साबित कर

दिया कि वे कितनी सही थीं! हमारी भारतीय संस्कृति में करवा चौथ, नवरात्रि और एकादशी जैसे व्रतों के

माध्यम से उपवास की प्राचीन परंपरा गहराई से बसी हुई है, और अब नवीनतम शोध इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

जैसा कि हमारे शास्त्र कहते हैं "अन्नमय कोश से ब्रह्मांड तक", वैज्ञानिक भी पा रहे हैं कि उपवास केवल

आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम नहीं है - यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी एक शक्तिशाली उपाय है।

मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाने से लेकर कोशिकाओं की मरम्मत को बढ़ावा देने तक, इसके लाभ

उल्लेखनीय हैं।

 

आज के इस युग में, जब फ़ूड डिलीवरी और रात के समय खाना-पीना आम बात हो गई है, हमारी पारंपरिक

उपवास की विद्या एक सुंदर संतुलन प्रदान करती है। जैसा कि कहावत है, "जब जागो तब सवेरा"। चाहे वह

इंटरमिटेंट फास्टिंग हो या पारंपरिक व्रत, भोजन से प्रत्येक सचेत विराम शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक

विकास दोनों के लिए अवसर प्रदान करता है।

याद रखें, हमारे बुजुर्गों ने हमें सिखाया था: "संयम में शक्ति है"। आज की प्रचुरता के इस युग में, यह प्राचीन प्रथा

हमें कृतज्ञता, अनुशासन और जागरूकता विकसित करने में मदद करती है।

आइए इस कालातीत ज्ञान का सम्मान करें जो हमारी सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक वैज्ञानिक समझ से

जोड़ता है। आखिरकार, जैसा कि हम कहते हैं, "पुराना सोना है"!

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