Friday, 10 January 2025

aao hum bacca ho jayen

 ‘ आओ हम बच्चा हो जायें’


कोराना की वजह से छुट्टियाँ हो गई मां बाप की आफत आगयी  गर्मियों की छुट्टियाँ तो  दो महिने की होती हैं  होते ही झगड़ा टंटा शुरू हो जाता है।यह तो पता ही नहीं कब स्कूल खुलेंगे। सब कुछ गड़बड़ सब कुछ झाला। न सोने का ठीक न जागने का। स्कूल बंद होने वाले है सोचकर ही मांओ को झरझुरी आ जाती है । सारा दिन ऊधम न तकिये का पता होगा न चादर का घर तो लगेगा ही नहीं कि साफ हुआ है । जिंदगी मंे चलते चलते जैसे तूफान आ जाये। सबसे पहला नियम सुबह उठने का टूटेगा। पाँच बजे बच्चों को तैयार कर बच्चों केा स्कूल भेजने के बाद चाय की चुस्कियों के बीच अखबार या एक झपकी नींद ,और दस बजे तक काम खत्म कुछ शापिंग वापिंग लंच ................ टीवी सीरियल कुछ काम। दोपहर तक जिंदगी सैट हो जाती है बच्चे आये खाना हुआ बच्चो के पंसदीदा चैनल चले मतलब एक रुटीन लाइफ सब कुछ फायदे में एक नियम के चलते। कामकाजी महिला तो उनका भी अपना रुटीन........ लेकिन छुट्टियाँ बाप रे बाप .......... एक तूफान .......... एक झंझावात जो सुबह से सब कुछ बिगाड़ देता है । नौ बजे तक बच्चे हिलने का नाम नहीं लेते........

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‘‘मॉम छुट्टियाँ है सो लेने दो.............. मतलब इंतजार करो कि कमरा कब एक सा हो कब नाश्ता हो कब फ्री हो। उसके बाद नाश्ते में क्या बनाया है ............... नो ...बोरिंग...................... कुछ अभी अभी 

पती पत्नी कुछ भी खा लेते थे पर अब कुछ चाहिये बर्गर.............. कबाब पिज्जा चाउमिन......... और वो भी अकेले नहीं कुछ और भी साथ हो साथ ही .......... एक का कहना होगा पिज्जा तो दूसरा कहेगा उ्रत्तपम लगे रहो बेटा । आया ऊँट पहाड़ के नीचे बहुत अपनी मम्मीसे भी बनवा बनवा कर खाया है तुम कैसे झुझलाओगी। दूसरी समस्या है बोर होने की। उठते ही बोर होना शुरू कर देते है..................... बोर की समस्या में उलझने बढ़ जाती है........... और मोबाइल एक मात्र विकल्प रह जाता है .......अगर टीवी देखें तो.... देखेा भई टीवी देखो और रिमोट आपके कब्जे से गायब,कोई सास बहू का सीरियल नहीं , न बच्चो के पापा ष्षेयर देख सके  न न्यूज। आवाज सुनाई देगी षिंगषैंग ,डोरेमोन आदि आदि । 

तो क्यों न कुछ दिन बच्चो के साथ आप भी बच्चा बन जाये उस समय को एन्जॉय करें व कुछ दिन के लिये अपनी जिंदगी को बैग में बंद कर अलमारी में टाँग दे और निकाल ले बच्चो की टंगी जिंदगी आपकी अपनी पुरानी जिंदगी । सुबह बच्चों को लेकर पार्क में जायें अगर पास में खेत आदि हो तो वहाँ जाये, बच्चे पौधों को बढ़ता देखेंगे जब प्रतिदिन पहले दिन से बड़े होते पौधे को देखेंगे तो स्वयं मन कहेगा, मम्मा हम भी पेड़ लगायेंगे हम भी पौधे लगायेंगे और कुछ गमले कुछ पौधे आपके घर में सज जायेंगे । यदि जमीन हो तो नहीं तो गमले में कुछ सब्जियोें वाले पौधे लगायें एक एक बेल ही बच्चों में नवीन स्फूर्ति प्रदान करेगी । एक लौकी भी आयेगी तो ‘लौकी बाप रे बाप आप ही खाना वाक्य सुनने में महरूम हो जायेंगे।’ हमारी लौकी है........... उनका उस दिन का भोजन त्यौहारी हो जायेगा। बिस्तर ठीक करना है एक जिम्मेदारी देकर ठीक मत कराइये दूसरे दिन ही बिस्तर ठीक करने के नाम चेहरा उतर जायेगा। खेलते हुए ही ठीक कराइये। बच्चों को हर काम में खेल चाहिये वे सीधे ढंग से कुछ नहीं कर सकते चलो एक कोना उछाल कर बिछवाया साथ दूसरे दिन खुद कहेंगे मम्मा पलंग ठीक करते हैं। कुछ देर किचन मंे भी साथ लें चलो देखें आपसे आलू जल्दी छिलता है या मैं प्याज जल्दी काटती हूँ। किसके स्लाइस सबसे अच्छे कटते है........ अपने अनगढ़ हाथों से बनाये कटलेट चाहे तलने से पहले आप ने ठीक कर दिये थे उन्हें बहुत स्वाद आयेगा.......... जल्दी जल्दी काम समेटो ........ फिर खेलेंगे। गर्मी में बाहर नहीं निकल सकते इन्डोर गेम तैयार है नये खेल कम्प्यूटर बगैरह कुछ देर ही ठीक है आप कैरम, ताश आदि  निकालिये ......... लूडो चाइनीज चैकर, शतरंज सब ओर से उनका ध्यान हटा देंगे पर आपको भी खेलना होगा आप हटे कि कि चिपके टीवी से अब तो मोबाइल अधिक प्रिय है। 

चाइनीज व्हिस्पर, जापानीज व्हिस्पर, नेम प्लेस एनीमल  थिंग आदि  ऐसे खेल है जो कभी बोर नहीं होने देते ,रात को सब लोग इन्हें खेलंे बच्चे उस समय का इंतजार करेंगे। पढ़ने की आदत सबसे अच्छी होती है। बच्चों को कॉमिक्स आदि  देैं। साथ ही पढ़कर वैसा ही कुछ सोचकर लिखने का कहें किताबें खरीदना पैसा बर्बाद करना नहीं है पुस्तकें सबसे अच्छी मित्र होती है। वे आपको अनजाने मंे कितनी जिंदगियों के साथ जोड़ देती हैं । जितने पात्र है उतने पात्रों को जी लेते है। सच जब कथा का हम उम्र बालक पहाड़ पर चढ़कर गुफा में घुसकर बहती नदी के तेज वहाब में पैर रखता है तो खुद के पैरो में भी सनसनाहअ होने लगती है। किताबों में भी चिड़ियाँ चहचहाती हैं। झरने ऊँचाई से कलकल की ध्वनि करते गिरते हैं तो आँखों में उनकी फेनिल धार साकार हो उठती है हर पुस्तक के साथ एक नया संसार खुल जाता है........तो क्यों न सबसे अच्छे दोस्त को बच्चो का दोस्त बनायें। 

साथ ही मॉं बाप अर्थात् बच्चों के दादा दादी  भी घर में हांे तो सोने में सुहागा, मिलकर आइसक्रीम बनायें  मीठा बनायें बाजार का तो बंद खाना घर में ही तरह तरह के व्यंजन बनाये और बचचों को  ष्षामिल करें आज तुम कुछ बना कर दिखाओ । कुछ देर चहल कदमी, कुछ देर काम करायें खट्टा कुछ मीठा नमकीन कुछ तीखा करते बच्चों को बोर न होने दें खुद भी बच्चा बनकर जिन्दगी अपनी बढ़ाये क्योंकि हर दिन उठने के साथ हम अपने जीवन की किताब का एक पृष्ठ उलट लेते हैं, पीछे पलटिये बच्चा बनिये बच्चों के साथ। 


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