स्टेशन महिला शौचालय
मैं आगरा से भोपाल झेलम एक्सप्रेस से जा रही थी। साथ में कुछ छात्र केन्द्रीय हिंदी संस्थान के विदेशी छात्र झांसी घूमने जा रहे थे। एसी कोच के साथ समस्या रहती है झांक कर शीशे में से स्थान देखना पड़ता है। छात्रों के साथ दो शिक्षक भी थे। टेªन दस दस मिनट कर काफी देरी से चल रही थी इसलिये स्टेशन नियत समय पर ही आ रहे थें शिक्षक हर स्टेशन झांक कर देख लेते थे। ग्वालियर पर गाड़ी रुकी तो शिक्षक ने एक छात्र से कहा देखों। कौन सा स्टेशन है। छात्रा ने शीशे में से झांका। सामने लिखे को पड़ा और बोली, सर महिला शौचालय आया है।
मैंने खिड़की से देखा सामने ही महिला शौचालय था हंसते हंसते दम निकलने लगा जब तक वह लड़के दिखते हंसी छूट जाती।
वे हिंदी सीखने आये थे अभी वर्णमाला और जोड़ जोड़ कर पढ़ना ही सीखा था। अटक अटक कर विदेशी उच्चारण से हिंदी बोलने की कोशिश कर रहे थे।
डॉ॰ शशि गोयल
No comments:
Post a Comment