Sunday, 19 May 2024

Adhunik robbinhood 4

 पैरी के विषय में प्रथम बार सूचना माबारा के शरणार्थी शिविर से मिली जहाँ सूरज डूबते समय वह दिखाई दिया था। पैरी यमनी शरणार्थी के बीच पहुँचा उसने एक बोरा खेाला और आये हर शरणार्थी को दस पाउण्ड का एक नोट पकड़ाया। वहाँ वह बहुत शांति में बैठा रहा और साथ ही कहा कि उसे जल्दी जाना है क्योंकि अन्य शिविरों में भी रकम बॉटनी है इसलिये चंद मिनट ही ठहरेगा। साथ ही कहा अगर इतनी देर में अपने मित्र और रिश्तेदारों को बुला सकते हों तो बुला लायें। आश्चर्य चकित यमनी लोग अपने परिचितों को बुलाने दौड़ और जो कोई भी नजर आया उसे बुला लाये। जब सब आ गये तब उसने चंद मिनट का भाषण दिया और उनसे अनुरोध किया कि वे अपने सामूहिक शत्रु के खिलाफ यानि सरकार के खिलाफ एकतावद्ध हांे और भूमिगत कार्य करने वाले क्रांतिकारी नेता मेनाचिम बेजिन के दल में सम्मलित हांे जो कि गरीब शरणार्थीयों का दुख दर्द समझने वाले मात्र एक व्यक्ति है। 

जैसे जैसे उस विलक्षण व्यक्ति के विषय में बात फैली शिविर के लोगों की भीड़ उसके इर्दगिर्द जमा हो गई। कुछ नोट और बाँटें गये उसने थैला कंधे पर डाला। तेजी से सड़क की ओर जीप आकर रूकी वह कूद कर उसमें चढ़ा और हैका की ओर चल पड़ा। 

यमनी शरणार्थीयों ने कृतज्ञ होकर ईश्वर से उसके लिये प्रार्थना की क्योंकि वह उनके पास ऐसे आया मानो स्वर्ग से भेजा कोई देवदूत हो। इस बीच पुलिस ने तेल अबीब की उस टैक्सी को ढूँढ निकला जोकि पैरी को माबारा छोड़ आई थी। 

‘हाँ’ ड्राईवर ने कहा,‘ मै हैरान रह गया। जब उसने केवल रमात हशारोन से मबारा ले जाने के पन्द्रह पाउड दिये। उतरते समय उसने मेरे कंधे को थपथपाया और कहा,‘ देखना भविष्य मे हर चीज इससे अच्छी होने वाली है हमारा पाला तो एक से एक सनकी लोगों से पड़ता है।’ 

जब पुलिस पहुँची पैरी रमात हषारोन से चंद मिनट पहले ही रवाना हो गया। पुलिस ने उपस्थित भीड़ से जानना चाहा तो सब एक साथ बोलने लगे। बहुत मुश्किल से पुलिस समझ पाई कि वे क्या बताना चाहते हैं ? इस सबमे दस मिनट लग गये। किसी ने भी जीप का नम्बर नहीं देखा। 

हैफा और उसके आसपास के बंदरगाहों की पुलिस चौकियों पर भी वायरलैस से खबर भेजी गई कि जीपों की जाँच पड़ताल की जाये किसी को भी जाने न दिया जाये। पुलिस पैरी के विषय में अगर कुछ किसी से पूछती तो वह अलग ही बताता

उत्तरी अफ्रीका के एक देशान्तरवासी से बताया कि वह बाईविल में वर्णित एक चरित्र की तरह कपड़े पहने हुए था। एक मिस्त्रवासी ने कहा कि पाउंण्ड बाँटने वाला दुबला पतला था और स्वप्निल आँखे किसी कवि की सी थी। एक ने कहा कि चतुर व्यापारी है बस एक बात सब कह रहे थे हमारे लिये तो वह रॉबिनहुड था और वे चाहते थे कि किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचाया जाये। 

शाम को पुलिस हैडक्वार्टर में खबर पहुँची कि बेतलिंग के एक शिविर में पाँच बोरों से लदा फदा थका थका सा व्यक्ति पहुँचा था। वह एकदम से पहँुचा थैला खोल  शरणार्थियों को पाँच पाँच पाउन्ड के नोट दिये। साथ ही कहा कि वह बहुत थक गया है। उसे शिविर में खाना खिलाया गया वह लड़खड़ाता सा आगे बढ़ा एक स्टेशन बैगन रूकी और वह उसमें बैठकर चला गया। 

दिन बीतते रहे पर पुलिस पैरी तक नही पहुँच पा रही थी अधिकतर जब तक उसके पता लगे स्थान पर पुलिस पहुँचती वह निकल जाता था । अब पुलिस का विश्वास डगमगाने लगा कि शायद ही वे पैरी को पकड़ पायंे। एक इतवार को पुलिस के पास सूचना आई कि तेल अबीब में एक फल वाले की दुकान पर झगड़ा हो गया है। गश्ती कार में सवार होकर पुलिस दल वहाँ पहुँचा। उसने देखा कि दुकान के भीतर दुकानदार और एक ग्राहक में गरमागरमी हो रही है। ग्राहक कह रहा था कि दुकानदार नफाखोर है।

shesh fir

Wednesday, 15 May 2024

Adhunik Robinhood

 डेविड के घर के बाहर पैरी को एक साईकिल खड़ी मिली उसने साइकिल उठाई और तेजी से चल दिया। तभी साईकिल का मालिक दूसरे मकान से बाहर निकला और चिल्लाने लगा ,‘चोर चोर वापस लौटे मेरी साईकिल देा।’ 

कुछ लड़के भी चिल्लाते हुए उसके पीछे दौड़े । पैरी शीघ्र ही शहर के दूसरे छोर पर दूसरे कैशियर योना के यहाँ पहुँचा। उसने दरवाजा खटाखटाया लेकिन योना ने दरवाजा नही खोला । दोबारा खटखटाने पर योना आँखें मलता हुआ आया। दरवाजे खुलने पर नींद की खुमारी में मुस्काराया और बोला क्या बात है जरा धीरे बोलो बच्चे सो रहे है।

पैरी के लिये तो यह अच्छा था। वह योना के पीछे पीछे उसके अध्ययन कक्ष में गया और उसे उसी प्रकार बताया कि प्रसीडेंट ने बैंक से नकदी हटाने में मदद करने  के लिये बुलाया है ताकि सरकारी आदेशों के लागू होने से पहले ही काम कर लिया जाय। प्र्रेसीडेन्ट चाहते हैं कि यह काम जल्दी से जल्दी हो। यह कहकर पहले कैशियर से प्राप्त हुई चाबियाँ दिखाईं और कहा डेविड से चाबियाँ लेकर आ रहा है। अब जल्दी से तुम भी बाकी चाबियाँ दे दो जिससे शीघ्र ही काम खत्म कर सकूँ। 

योना ने बिना किसी झिझक के पैरी को चाबियाँ दे दी और कहा ,‘वापस मत लाना मैं सुबह बैंक में ले लूँगा।’ पैरी ने उसे सोते से जगाने के लिये माफी माँगते हुए धन्यवाद दिया और बाहर आ गया। 

पैरी जैसा चाह रहा था हो रहा था पैरी ने बैंक से दो सौ गज दूर साईकिल एक पेड़ के सहारे खड़ी की। फिर वह  तेजी से बैंक के दरवाजे की ओर लपका जहाँ बैंक का चौकीदार सोलोमा बैठा थ। सोलोमा ने उसका स्वागत किया और पूछा कि उसकी छुट्टी कैसे बीती?

पैरी ने बड़ी आत्मीयता से उससे बातें की और कहा कि वह किसी से भी उसके विषय में कोई चर्चा न करे। चौकीदार को भी वही कहानी सुनाते हुए बताया कि प्रैसीडेन्ट चाहते है कि चुपचाप बैंक से रकम हटा दी जाय यह सरकारी आदेश है। उसने उसने तिजोरियों और रोकड़ रखे जाने वाली बक्से की चाबियाँ उसे दिखला दीं, और फिर चौकीदार के साथ बैंक गया। सेालोमा ने नकदी ले जाने वाले थैले उठाये। और इक्ठ्ठे किये पैरी ने बक्से खोले। 

पहले कैश बॉक्स की रकम तीन थैलों मे भरी गई और बाकी को भरने में दो थैले और लगे। पैरी ने सोलोमा को टैक्सी लाने भेज दिया। टैक्सी आने पर सोलोमा के साथ कैश टैक्सी में पहूँचाया चौकीदार ने पैरी को सलाम किया और कहा वह किसी से कुछ नही कहेगा। पैरी ने चौकीदार को सहायता के लिये मुस्कराकर धन्यवाद किया। 

दस मिनट बाद दो पुलिस वाले बैंक पहुँचे उनके पास वह साईकिल भी थी जिसे पैरी ने सड़क पर सड़क किनारे खड़ा कर दिया था उसकी चोरी की रिपोर्ट उनके पास थी। 

पुलिस वालों ने चौकीदार से साईकिल के विषय में जानना चाहा। चौकीदार ने अपनी असमथर््ता प्रकट की।‘ क्या किसी को साईकिल खड़ी करते या चलाते देखा ’तो चौकीदार ने जोर देकर कहा कि उसे कोई भी ऐसा आदमी नही दिखाई दिया । चौकीदार की बातों से पुलिस को संतोष नही हुआ। अभी बैंक डकैती के विषय में कुछ भी खुलासा नही हुआ था उन्हें लगा कि चौकीदार कुछ कहना भी चाहता है पर छिपा रहा है। एक पुलिस वाले ने पूछा कि क्या उस समय वह किसी से बात कर रहा था और पिछले घंटे में क्या करता रहा ? सोलोमा ने अन्य बातों के आलावा यह बताया कि प्रैसीडेन्ट के घर गया है। हाँ सेालोमा छिपा गया कि वह वहाँ क्या करता रहा? 

पुलिस ने मि॰ फ्यूचेवांगार से टेलीफोन से सम्पर्क स्थापित किया और जो कुछ उसमें बाते हुई उससे स्पष्ट हुआ कि उन्होंने साईकिल की चोरी के बजाय कोई बहुत महत्वपूर्ण बात खोज डाली है। फिर सोलोमा से पूछताछ करने लगे। चौकीदार ने सब बातें दोहराई पर पैरी बैंक में क्या करता रहा यह छिपा गया। 

तब तक फ्यूचेबंगार भी बैंक आ गये थे तब इस डकैती का भेद खुला। पैरी एक लाख 25 हजार इजरायली पौण्ड नगद तथा विदेशी मुद्रा और सिव्यूरिटीज के रूप में 25 हजार डालर लेकर फरार हो गया था। 

मि॰ फ्यूचेवांगार स्तब्ध रह गये ।तुरंत पैरी की खोज शुरू हुई। इजरायइल के अपराधों के इतिहास मै तब तक का सबसे बड़ा मामला था। पुलिस के जगह जगह खोजी दल के सदस्य 5 भारी बोरे के साथ व्यक्ति की खोज मैं लग गये। 


Tuesday, 14 May 2024

Adhunik robinhood

 2

इसरायली पुलिस उसके पीछे थी पर वह बच निकलता था। बिजली की तेजी में आता और चला जाता। एक न एक कार उसकी प्रतीक्षा में खड़ी रहती थी। और जहाँ कहीं भी नोटों से भरा थैला लेकर रुकता नोट बाँटना शुरू कर देता। यद्यपि पुलिस का हर सड़क चौराहो पर पहरा रहता लेकिन जब तक पुलिस प्रकट स्थल पर पहुँचती वह दूसरे शिविर में पहुँच जाता। 

कुछ ही दिन में अपनी दानवीरता के कारण वह प्रसिद्ध हो गया। कहना नहीं चाहिये किंवदन्ती बन गया। लोग सौगन्ध खाकर कहते कि वह हवा मै गायब हो सकता है। लोग कहते वह खुदा का भेजा फरिश्ता है । उसे खुदा ने गरीबों की मदद के लिये बहिश्त से भेजा है। कुछ शरणार्थी ऐसे भी थे जिन्हें शिविरों में स्थान नही मिला था वे झोपड़ियों में रहते थे। झोपड़ी तेज धूप से बचाव नही कर पाती थी वहाँ गंदगी भी बहुत रहती थी । ऐसे पीड़ित और जरूरतमंद लोगों के लिये पैरी का आना किस देवदूत के आने से कम नही था इसमें आश्चर्य नहीं। 

बाद में ज्ञात हुआ कि यह दानवीर जूड़िया की पर्वतमालाओं का सबसे बड़ा चोर और बैंक में डाका डालने वाला डकैत है। उसका चोरी करने का तरीका भी उतना ही अनोखा और तीव्रता भरा था जितनी तेजी से वह आता जाता और उदारता से धन बाँटता था। 

वह तेल अबीब की एक बैक का प्रधान खंजाची था। उसका स्वास्थ कुछ गिरा था इसलिये अपने बैक के प्रैसीडेंट फ्यूचैवागर की सलाह पर छुट्टी लेकर गलिली झील के तट पर अच्छे होटल मंे छुट्टियाँ बिताने चला गया था। वहाँ के शांत वातावरण में उसके दिमाग में योजना जन्मी थी। 

शाबाश के त्यौहार का दिन था तेल अबीब के सभी उद्योग कारखाने बंद थे। सब जगह छुट्टी थी। यहाँ तक कि बसें भी बंद थी। पैरी को एक ड्राइवर मिल गया उसने ड्राईवर को असिस्टेंट खंजाची के घर छोड़ दिया। 

पैरी प्रसन्न मुद्रा मे असिस्टेंट डेविड के घर पहुँचा। डेविड ने उसे संतरे का रस पिलाया उसने डेविड से कहा कि मिस्टर फ्यूचेवांगार ने तिजोरी की चाबी मंगाई है क्योंकि बैकों की तमाम रकम सरकारी आदेश में कब्जे में ली जा रही हैं और मिस्टर फ्यूचेंवागार ने आर्डर दिया है कि तमाम रोकड़ तिजोरी में से निकाल ली जाये। 

डेविड सहज ही कहानी पर विश्वास करने वाला व्यक्ति नही था। उसने बैंक के प्रैसीडेन्ट से फोन पर निर्देश पाये बिना चाबियाँ सौंपने से इंकार कर दिया। अपनी योजना का इस प्रकार विरोध होते देखकर पैरी आपे से बाहर हो गया। और भयभीत डेविड को कुर्सी पर बैठे रहने को मजबूर कर दिया। 

डेविड को कटार दिखाते धमकाया अगर फौरन चाबियाँ नहीं दी तो मै तुम्हें मार डालंूगा । डेबिड समझ गया कि पैरी अपने आपे में नहीं है उसने चाबियों का स्थान बता दिया। पेरी ने चाबियाँ अपने जेब के हवाले की और फिर अपने असिस्टेंट को कुर्सी से बाँध दिया। उसे चेतावनी दी अगर तुमने टेलीफोन किया या इसकी किसी को खबर दी, तो मैं तुम्हारी बोटी बोटी काट दूगा। यह कहकर उसने बाहर से ताला लगाया और चल दिया। 

shesh fir

Monday, 13 May 2024

Adhunik Robinhood

 आधुनिक राबिनहुड

‘एक आईडिया दिमाग में आया है कि किस प्रकार हम पैरी के छिपाये खजाने का पता लगा सकते है ?’एक युवा अफसर बोला ,‘यह पैरी भी बड़ा अजीब आदमी है ,उसके जीवन का लक्ष्य सरकार के खिलाफ बगावत है। किन बजह से वह ऐसा सोचता है यह तो खुदा जाने। मेरी समझ में आया है कि हममंे से एक उसका सहायक बन जाय यह दिखाये कि वह भी बागी है, उसके विचारों से सहमत है । उसकी सरकार के विरुद्व योजना में सहायक होगा। उसके साथ ही जेल से भाग लेंगे तो उसके साथ रहने से यह पता लग जायेगा कि उसने धन कहाँ छिपाया है, जिसने उसे इजरायल का राबिनहुड बना दिया है।’ 

इजरायल पुलिस महकमें के प्रधान येहेजकाल कुछ देर कहने वाले की ओर देखता रहा फिर बोला,‘ तुम्हारा मतलब है कि तुम चाहते हो कि पैरी को जेल से भगाने की व्यवस्था की जाये।’ 

‘जी ! सर, यही बात,’ अफसर बोला,‘ मेरे ख्याल से यही तरीका है कि हम उसके द्वारा छिपाये धन का पता लगा लें। वह उगलकर तो कुछ दे नहीं रहा है, कितने प्रयत्न कर लिये। यह सच है कि उसके पास बहुत धन है ।जब वह जेल से बाहर था तो देश भर में घूमकर उसे लुटाता फिरता था।’ 

सचर सेाचने लगा। उसे चुप देखकर अफसर आगे बोला,‘ निंसदेह यह धन उसका तो है नही उसका विश्वास है कि वह देश का भाग्य विधाता है। वही एक ऐसा व्यक्ति है जो कि इसरायल से विद्रोह नेतृत्व करेगा। अगर कोई विश्वास पात्र बन जाये तो बाकी काम आसान हो जायेगा। ’

पैरी शरणार्थी शिविरों में एकाएक पहुँचता, गरीबों को धन बाँटता और जिस तेजी से आता उसी प्रकार गायब हो जाता । एक गरीब बुढ़िया को 20 पौण्ड का नोट देते हुए उसने कहा था,‘ लो इसे ले जाओ, खाने का सामान खरीद लेना तुम्हें लग रहा है बहुत जरूरत है।’ 

कुछ लोगों के जमघट के बीच पहुँचकर उसने नोटों का बंडल निकाला और चिल्लाया ,‘यह तो अभी शुरूआत है। तुम सभी के अच्छे दिन आने वाले हैं। अपने लिये कुछ सिगरेट खरीद लेना। तुम्हें अच्छे तंबाकू का स्वाद लिये काफी अर्सा गुजर गया होगा। ’

उत्सुक बच्चों की भीड़ ने सुना कि उनके बीच में एक दाता आया है तो भाैंरे की तरह उसके इर्दगिर्द जमा हो गये। उस दुबले पतले व्यक्ति ने अपने लम्बें थैले में हाथ डाला और नोटों का एक बंडल निकाला फिर सावधानी के साथ एक एक बच्चे को एक एक नोट थमा दिया फिर अपने कूल्हों पर हाथ रख पीछे हटा और संतोष के साथ उसकी ओर अचम्भे  से देखने वाली आँखों के घेरे को देखने लगा। 

‘अब भागो, बच्चो, इनसे खिलौने खरीदना ढेर से खिलौने ,चाहो तो मिठाईयाँ भी ले लेना और जैसे तेजी से आता गायब हो जाता। 

इसरायल में हर बच्चा बच्चा पैरी के नाम से परिचित हो गया। अखबारों में उसके बारे में कहानियाँ  छपने लगी। अपने साथ वह नोटों से भरा थैला लेकर चलता अधिकतर टैक्सी ड्राईवर को 10 पौण्ड का नोट वख्शीश में देता था। जिस शिविर मेें जाता सरकार के खिलाफ बोलता और भविष्य में अच्छे दिन आने का वायदा करता । वह शरणार्थियों के लिये घर काम और बच्चों के लिये स्कूल खोलने के इरादे की बात करता । यह अवश्य कहता था जैसे ही वह संगठन तैयार कर लेगा वह कर दिखायेगा । वह दया और सद्भावना का पुतला था। दौलत  जैसे कारूॅ का खजाना थी।

 shesh fir


prerak prasang

 

lqYrku dqrqcqn~nhu vius ?kksMs ij lokj dgha tk jgk FkkA ,d dfczLrku ls xqtjrs le; mlus ,d Qdhj dks ns[kkA ckn’kkg us yxke [khaph vkSj iwNk& **Qdhj rqe D;k dj jgs gks\** Qdhj us csijokgh ls tckc fn;k** dfczLrku esa eqnksZa ls ckr fd;k djrk gw¡A**

      ckn’kkg us iwNk **D;k dgrs gSaA os**

      **os dgrs gSa fd ge Hkh dHkh blh rjg gkFkh ?kksMksa ij lokj gksdj lSj djus fudyk djrs Fks] ij vkt mYVk ekeyk gS tehu ge ij lokj gSA** Qdhj us crk;kA

kirch kirch batene

 ☺झूम झूम कर नृत्य कर गीत गा रहा था भगवान् तेरे

नीचे गड्ढ़ा आ गया तो मुॅह से निकल हत तेरे।


☺भूखे पेट में अग्नि इस कदर घधकती है कि

कड़कड़ाते जाड़े में भी आसमान की चादर ओढ़ कर सो जाते हैं

☺अर्न्तघ्वनि

सिलैंडर से लगी आग पन्द्रह बचे ( मरे नहीं बच गये यह भी कोई बात हुई सब मरते )


☺हर व्यक्ति वर्तमान व्यवस्था से व्यथित है उसे बदलना चाहता है इसलिए सत्ता मैं आना चाहता है और सत्ता मैं आते ही वह बदल जाता है उसके हालात बदल जाते हैं

☺मंा की सबको फिक्र है क्योंकि मां चौकी दार है रसोई दारिन है नर्स है और खुद के लिये कुछ नहीं हैे

☺मंा वह चीज है जिसका मूल्यांकन मरने के बाद भी नहीं होता ।


Saturday, 11 May 2024

maa ka janm din

 मॉं का जन्मदिन

विदेश में बसे बच्चों ने  मां का जन्मदिन मनाया । बड़ा सा केक काटा और स्वदेश में अकेली बैठी मां को फोन किया ,‘मां, हम तुम्हारा जन्मदिन मना रहे हैं,  मॉं आप टैब चलाना जानतीं तो दिखाते।’ फोन पर माँ को सुनाया ,‘माँ हैप्पी वर्थ डे टू यू ’सबने मिल कर गाया । सुन सुन कर कल्पना कर रही माँ प्रसन्न थी , आर्शीवाद दे रही थी ,कितना ख्याल रखते हैं बच्चे, और बच्चे केक के साथ स्वादिष्ट खाना खाते कह रहे थे ,‘माँ बहुत बढ़िया खाना है ’ बच्चे तृप्ति से खा रहे  हैं ,मॉं प्रसन्न थी , और माँ सुबह की सब्जी से रोटी  खा, आशीष देती अकेली सो गई।


Friday, 10 May 2024

Mothers'day par maa kavitayen

 मॉं   

   माँ 

   मैं रोता सुबकता

   छिप जाताा था तेरे आंचल के साये में

   सो जाता था निश्चिन्त

   विलय हो जाता था मेरा आस्तित्व

   तेरी गोद के आश्रय में

   लगता है नितांत एकाकी हो गया हूँ

   उस साये के हट जाने के बाद


    द्वार पर बैठी ताकती रहती थी

    दो आंखंे मेरे आने की राह

    सुई का सरकता कांटा

    टिकटिका देता  था उसकी धड़कन

    आकुल प्राणों को मिल जाती थी राहत

    मेरी झलक मात्र से

    अब उन आंखों को ढूढ़ता हूँ

    उन आंखों के बंद हो जाने के बाद


    कितने साये चलते फिरते

    सरकते थे चारो ओर

    एक ही छत के नीचे

    हमारे दुःखों में खड़ी रहती थी

    एक स्तभ्म की तरह

    ठंडी छत का एहसास रहता था

    तपती  धुप में खड़े हैं

    उस छत के हट जाने के बाद  

   

    तेरा थाली लेकर बैठना, 

    उबा देता था मुझको 

    क्यों जागती है मेरे लिये

    झंुुझला देता था मुझको,         

    अपराध से भर उठता था मन 

    जब रात में सेकती गर्म रोटियाँ

    बहुत याद आती है वे 

    ममता भरी रोटियॉं, 

    उन रोटियों के ठंडी हो जाने के बाद।


   पहचान लेती थी, 

   मेरे हर कदम की चाप से

   कैसा हूँ मै  कैसा बीता है दिन

   झिझकते हुए सहला देती थी 

   चुपचाप धीरे से सिर 

   आंखें मेरी चिंता से जाती थी घिर

   बहुत याद आते हैं वे नरम गरम हाथ  

   उन हाथों के ठंडे हो जाने के बाद























2

मुझे मालुम है मां


मुझे मालुम है माँ तू बहुत रोई होगी

मेरे घर से चले जाने के बाद

मुझे मालुम हैं माँ काँप जाते होंगे तेरे हाथ

मेरे मन की चीज बनाने के बाद

नही चल पाता होगा कौर तेरे मुख में

खिसका देती होगी थाली आंसुओं के बहने के बाद


रोशनदान पर जब चिड़िया ने तिनके सजाये होंगे

छोटे छोटे से कोमल बच्चों को देखा होगा

मुँह में दाना लाकर डालती होगी दाना

उड़ना सिखाते ही हो गया होगा घांेसला खाली

मैं जानता हूँ माँ तू बहुत रोई होगी उनके उड़ जाने के बाद


मैंने देखी है तस्वीर के पीछे दो छोटे हाथो की छाप

सफाई के बाद भी तूने वह तस्वीर नहीं उतारी

मैंने चूमते देखा है उन नन्हीं छापों को

मेरे बड़े हो जाने के बाद

मुझे मालुम है तू बहुत रोई होगी छूकर उन छापों को 

मेरे जाने के बाद














3


माँ तू चली गई


सूना घर आंगन है अब

ममता चली गई


तेरी गोद़ी में सर रख

कभी कभी सो जाता था

जैसे दुनिया के सब दुःख से

दूर बहुत हो जाता था।


वर्षा की बूंदों की टपटप

सुनकर बाहर जाता था

भीग न जाऊँ इस डर आंचल

बनता सिर पर छाता था


देर अगर हो जाये जरा भी

दरवाजे पर आ जाती थी

सारे देवी देव मनाकर

मेरी खैर मनाती थी


बस मैं खा लू सारी दुनिया

तब खाना खा लेती थी

कितनी भी खालूं मैं तब भी

थाली भरती जाती थी


जाने कैसे सुन लेती थी

हल्की सी मेरी आहट

जाने कैसे पढ़ लेती थी

मेरे मन की हर चाहत


छींक अगर आ जाये जरा भी

उसका दिल घक धक करता था

नजर लगाई किसी बला ने

राई नॉन उतरता था।



4


माँ बड़ी प्यारी है


कहने को माँ बड़ी प्यारी है

ईश्वर का रूप दुनिया में न्यारी है


बूढ़ी होने पर माँ नहीं सुहाती

पत्नी ही अच्छी जब घर में आ जाती

उसकी ही आवाज अच्छी लगती है

माँ तो करेले का साग लगती है

सुबह दिख जाये तो दिन भारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


घर को सबने बाँट लिया

अच्छा अच्छा छाँट लिया

माँ केा सबने छोड़ दिया

उससे मुँह को मोड़ लिया

बूढ़ी माँ केवल जिम्मेदारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


माँ  बस तभी याद आती है

तस्वीर पर माला चढ़ जाती है

जब तक माँ प्यार से पकाती रही

तब तक घर में सुहाती रही

बूढ़ी माँ की एक रोटी भी भारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।


जिस बेटे का मुँह देख जीती थी माँ

जो था उसकी आंख का तारा

सारी दुनिया में केवल वही था वही

बुढ़ापे में उसने माँ को दुतकारा

माँ दुनिया में बस बेटे से हारी है

कहने को माँ बड़ी प्यारी है।







5


माँ तो चली गई



माँ तो चली गई दुनिया से

छोड़ गई सब कपड़े गहने

एक एक ईटों को बांटा

बांट लिये आभूषण सबने

प्यार दुलार नेह ममता की

साथ ले गई छाया अपने

हम बच्चों के हित में बांधे

पुड़िया पुड़िया कितने सपने

सारा तम आंचल में बांधा

चाँद सितारे टांगे कितने

माँ का आंचल ठंडक देता

धूप दुपहरी लगती तपने

माँ की गोदी गरमी देती

शीत लहर से लगते कपने

हाड़ कांपते माँ के अपने

लेकिन गोद गर्म होती है

बालक को गोदी में लेकर

माँ कपती कपती सोती है।

माँ तो इक बहती नदिया है

दर्द बहा ले जाती है

ममता की लहरों के संग संग

भीगा तन मन दे जाती है

माँ का एक शब्द ही केवल

धर्मग्रन्थ बन जाता है

आशीष भरा हाथ हो सर पर

सारा जीवन तर जाता है

माँ का जीवन गहरा सागर

दर्द तहों में दब जाता है

केवल प्यार झलकता चेहरा

लहरों के संग आ जाता है

माँ की पहनी धोती छटकर

मेरे हिस्से आई

माँ के तन की खुशबू सारी

मैंने उनमें पाई

भीग गई आंखे पा माँ को

तन से उन्हें लगाई

इसी रूप में माँ तू मेरे

पास सदा को आई

आंचल का सा साया लगता

मेरे सिर पर छाया

माँ की ममता नेह प्यार सब

मुझमें आ के समाया।
















डा॰ शशि गोयल

सप्तऋषि अपार्टमेंट

जी -9 ब्लॉक -3  सैक्टर 16 बी

आवास विकास योजना, सिकन्दरा

आगरा 282010 ॰9319943446

म्उंपस दृ ेींेीपहवलंस3/हउंपसण्बवउ








मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार

दुः.ख ने दुःख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार

 इस तरह मेरे गुनाहों को धो देती है 

मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है

अभी जिन्दा है मां मुझे कुद नहीं होगा

मैं घर से चलता हूं दुआ साथ चलती है

सारे रिष्ते जेठ दुपहरी गर्म हवा आतिष अंगारे 

झरना दरिया झील समंदर झीनी सी पुरवाई अम्मा

घर के झीने रिष्ते मैंने लाखों बार उघड़ते देचो 

चुपके चुपें कर देती जाने कब तुरपाई अम्मा










cheen ke ve das din

 जीवन ही अनवरत यात्रा हैण् कहते है चौसठ लाख योनियों के बाद मनुष्य जन्म मिलता है जन्मसे जन्म की यात्रा बचपन से बुढ़ापे की यात्राए अर्न्तयात्रा यह चलती रहती हैं निरंतर चलती है इस यात्रा में कही भी पलभर रुकने कीए ठहरने की गुंजाइश नही है इस यात्रा के पलों को और यादों से सजा दे। धरती के अनेक रूप उसके रूपों को देखना जैसे ईश्वर के स्वरूप को देखना कैसी अदभुत रचना है कहीं समुंदर है तो कहीं ऊँचे पहाड़ कहने को समुंदर समुंदर है पर एक रंग रूप प्रकृति नहींए उसके भी अपने रूप हैं पहाड़ों पर कहीं सूरज पल पर ठहरा है तो कहीं उसकी चोटी पर बैठा चकित सा देख रहा है कि किधर जाऊँ कहीं हरियाली तो कहीं झरनेए नदी उनके साथ.साथ अपने पॉव जो छाप छोड़ते जाते हैं और यात्रियों के लिये प्रकृति से तादात्म्य होगी उसकी मनोहारी छटा के रस से सराबोर होंगे वे चलते.चलते जीवन के दर्शन का साकार करेंगे कुछ छुटेगा तो आगे नया मिलेगा कभी ऊँचे किले जो अब वीरान हैं तो कहीं बड़े बड़े महल जिनमें आज भी पुराने स्मृति चित्र शेष हैं। उनके साथ उस समय को जीवन में लौट जाते हैं कैसी थी उस समय की संस्कृति सभ्यता। यात्रा संस्कृति की यात्रा बन जाती है।

यात्रा के साथ जीवन के अनेक रूप साथ चलते है अनेक जीवन साथ चलते हैं या दिन जीवन यात्रा के पड़ाव होते है।

हम चौदह यात्री चौदह रंग सबका अलग स्वभाव अलग पसंद पर उस समय सब एक थे एक स्वर सबकी बातों में झलक रहा था।

स्व॰डॉ॰ मनोरमा शर्मा के नेतृत्व में हम बिना किसी भय के घूम रहे थे जैसे अपने शहर में घूम रहे हो वतन से दूर अपने.अपने घर से अकेले आये हैं यह ऐहसास ही नहीं था लग रहा हैं सभा से उठकर सब चल दिये हों साथ में अरस्तू और शशांक प्रभाकर थे ही अगर कुछ भागदौड़ करनी हुई तो है हमें क्या करना है हम सबको तो बस पीछे.पीछे चलना है कहां जाना है कहां ठहरना है क्या लेना है क्या देना है इससे हमें कोई मतलब नहीं सब कुछ हाजिर। श्रीमती किरन महाजनए डॉ॰शैलबालाए डॉ॰ राजकुमारी शर्मा जैसे मित्र। शायद जिंदगी में इतना कभी नहीं हंसे होंगे जो चारों मिलकर हंसते रहते विशेष एक दूसरे की टांग ही खींचते रहते। संभवतः चाय की केतली का बटन दबाने में एक प्रतिशत कष्ट होात नब्बे प्रतिशत कष्ट इस बात के लिए कर लेते कहां है किरन भाभी चाय का मन है ढूँढ़ कर लाओ। सबसे अधिक मजा सबके खाने के समान के डिब्बों को खाली करने में आता था। डॉ॰ चित्रलेखा सिंहए डॉ॰ सरोज भार्गवए वंदना सकारिया झुककर आगे हो पीछे हो फोटोग्राफी ही करती चल रही थी शायद चीन का हर फूल हर कलात्मक वस्तु उनके कैमरे में कैद हो गई थी। उनका कैमरा पूरा चीन कैद कर लाया था। योग प्रशिक्षक नंदनी ने इतने दिन में सबको योग कौशल सिखा दिया उस समय तो सब यही सोच रहे थे कि अब प्रतिदिन योग करके अपने शरीर में फुर्तीला चुस्त बनायेंगे अब कितने संकल्प पूरे होते है कितने करते हैं यह तो दूध का ऊफान है घर पहुँचते ही ठंडा सब वहीं का वहीं ओशो तो सबका बच्चा था  सबका मातृत्व तृप्ति पा रहा था सबसे पहले उसे ही देखा जाता कहाँ है क्या खाया क्या पिया ठीक है अच्छा लग रहा है। रजनी जी मस्त मस्त सबके साथ थीं ही ऐसी यात्रा भुलाई नहीं जाती हो सकता है चीन का चमकदार रंग फीका पड़ जाय पर सहयात्रियों के साथ बिताये पल कभी नहीं स्मृति पटल से जायेंगे।

naya jeevan purtgali kahani

 पुर्तगाली कहानी

नया जीवन

एक धनी किसान के दो पुत्र थे। छोटा पुत्र पिता के कठोर अनुशासन से घबड़ाता था। उसे हाथ खोलकर खर्च करने का शौक था। वह समझता पिता उस के पास इतना धन है पर वो हम पर खर्च करना नहीं चाहते। वह प्रतिदिन पिता से झगड़ा करता। एक दिन उसने पिता से कहा, पिता् मुझे मेरा हिस्सा दे दो। मैं अपना जीवन अपने ढंग से निर्वाह करूँगा।

पिता ने सारा धन दो हिस्सें में बाँट दिया। छोटा पुत्र अपने हिस्से का धन लेकर विदेश चला गया। धनी व्यक्ति को देखकर अनेकों चापलूस उसके साथ मिल गये और सारा धन शौक मौज में खत्म कर दिया। शीघ्र ही वह बहुत गरीब हो गया। यहाँ तक कि उसे नौकरी करके पेट पालना पड रहा था। उसने सूअर चराने की नौकरी की। कभी कभी भूख से व्याकुल वह सूअरों के लिये बनाया खाना भी खा जाता था।

जब बहुत परेशान और दुःखी हो गया तो उसने सोचा मेरे पिता के यहाँ तो बहुत से नौकर हैं और बहुत अच्छा खाते पीते हैं। मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ क्यों न पिता के घर जाकर नौकरी कर लूँ। जाकर पिता से कहूँगा मैंने आपके और भगवान के प्रति गुनाह किया है ,मुझे माफ कर दीजिये तो अवश्य पिता मुझे माफ कर देंगे और मैं कहूँगा कि मुझे अपने नौकरों की तरह ही रख लीजिये।

वह वापस पिता के घर पहुँचा। लेकिन जब उसके पिता ने उसे देखा तो दूर से ही दौड़ कर उससे गले मिले। पुत्र ने पिता के गले में बांहें डाल दी और रोते हुए बोला, पिता मैंने पाप किया है, मैं आपका पुत्र कहलाने लायक नहीं हूँ। आप मुझे अपने यहाँ नौकर बना कर रख लीजिये।

लेकिन पिता ने नौकरों को बुलाकर अच्छे वस्त्र मंगाये," मेरे पुत्र के लिये सर्वोत्तम वस्त्र लाकर पहनाओं। उसके हाथों में अंगूठियाँ पहनाओ और पैरों में कीमती जूते। आज हम अपने पुत्र की वापसी का जश्न मनायेंगे क्योंकि अब तक वह मृत था अब जीवित हो गया है वह खो गया था ,अब फिर से मिल गया है।

पुत्र पश्चाताप की अग्नि में जलता पिता के पैरों पर गिर पड़ा।


Wednesday, 8 May 2024

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Station mahila shochalay

 स्टेशन महिला शौचालय

मैं आगरा से भोपाल झेलम एक्सप्रेस से जा रही थी। साथ में कुछ छात्र केन्द्रीय हिंदी संस्थान के विदेशी छात्र झांसी घूमने जा रहे थे। एसी कोच के साथ समस्या रहती है झांक कर शीशे में से स्थान देखना पड़ता है। छात्रों के साथ दो शिक्षक भी थे। टेªन दस दस मिनट कर काफी देरी से चल रही थी इसलिये स्टेशन नियत समय पर ही आ रहे थें शिक्षक हर स्टेशन झांक कर देख लेते थे। ग्वालियर पर गाड़ी रुकी तो शिक्षक ने एक छात्र से कहा देखों। कौन सा स्टेशन है। छात्रा ने शीशे में से झांका। सामने लिखे को पड़ा और बोली, सर महिला शौचालय आया है। 

मैंने खिड़की से देखा सामने ही महिला शौचालय था हंसते हंसते दम निकलने लगा जब तक वह लड़के दिखते हंसी छूट जाती।

वे हिंदी सीखने आये थे अभी वर्णमाला और जोड़ जोड़ कर पढ़ना ही सीखा था। अटक अटक कर विदेशी उच्चारण से हिंदी बोलने की कोशिश कर रहे थे।

डॉ॰ शशि गोयल