Thursday, 30 September 2021

नारी शक्ति

 सूरज के क्रोड़ में बैठी नन्हीं सी किरण ने घोर अंधेरे में झांका यह पहाड़ी सदा अंधेरे में क्यों है मैं इसे क्यों नहीं रोशन कर सकती वह कूद पड़ी और अंधेरे से घिरी पहाड़ी मुस्करा उठी।

समय समय पर महिलाओं में वीरता और साहस का परिचय देकर आसपास की उन बुलंदियों को छुआ है जहाँ कल्पना भी नहीं पहुँच सकती थी अब कोई भी क्षेत्र ऐसा नही है जहाँ नारी की उपस्थिति न हो लेकिन सबसे पहले किसी भी क्षेत्र में कदम रखने के लिये असाधारण साहस कौशल वीरता होना आवश्यक है। सर्वप्रथम किसी भी क्षेत्र में कदम रखने वाली महिलाऐं श्रद्धा का पात्र हैं।

आज महिलाऐं पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति के नये-नये सोपान तय कर रही है आद्य शक्ति निरूपणी नारी शक्ति ‘जागृत’ हो गई है। विश्व शक्ति की अवधारणा नारी शक्ति के बिना अपूर्ण है। प्राचीन भारत में नारी को सम्मान जनक स्थान प्राप्त था और कोई भी कार्य बिना नारी अपूर्ण माना जाता था। लेकिन मुगल काल के दमन ने आम तौर पर भारतीय महिलाओं की स्थिति अवैतनिक गुलामों की सी कर दी थी उनका शौर्य बुद्धि कौशल पैरांे तलों रौंदे जाने लगा और पुरुष शासित समाज में महिलाओं की स्थिति नगण्य, एक कोने की शोभा मात्र हो गई थी, लेकिन उसमें से भी साहस से कोई न कोई चिनगारी बाहर निकल ही आती थी। उस चिनगारी से उत्साहित दूसरी ज्वाला धधक उठती । वह घर की ज्येाति थी तो वेदों के ज्ञान से महिमामंडित देवी पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो जाती थी। गांधारी दमयन्ती इनके उदाहरण है ताराबाई, चाँदबीबी, अहिल्याबाई, एक एक कर अनेकों क्षेत्रों में जरा सा भी अवसर पाने पर महिलाओं ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी अब तो कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है यद्यपि नारी का स्थान बराबरी का ही है माना दोयम दर्जे का जाता है लेकिन जिस काम में भी हाथ डालती है श्रेष्ठता ही सिद्ध करती है, प्रशासन हो खेलकूद हो या आकाश की ऊँचाइयाँ पहाड़ की चोटियाँ या अंटार्कटिक की बर्फीली वादियां। हर क्षेत्र में अपने अस्तित्व को अमरता दी है अब साहसी नारी को हम गिनतियों में नहीं गिन सकते हैं पहले नारियों के गुणगान करने खड़े होते थे तो चंद नाम गिनाकर सोचने लगते थे लेकिन अब कितने नाम गिनाये ये सोचने लगते है

दुःखव्रती निर्वाण उन्मद

ये अमरता नापते पग

---;महादेवी वर्मा


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