Saturday, 9 October 2021

naukri

 बार बार बेरोजगाारी का सवाल उठता है जब हमारी जनसंख्या 35 करोड़ थी तब भी पचास करोड़ हुई तब भी और आज 135 करोड़ है तब भी। वह समस्या यूंही बनी हुई है। इसका कारण क्या है?इसके आंकड़े देखे जाये ंतो भ्रामक हैं। मनस्थिति भ्रामक है। नौकरी ही देश का भविष्य है वह भी सरकारी नौकरी।मोदी जी द्वारा कहा गया कि पकौड़ा बेचना भी काम है उसके लिये मजाक बनाया जाता है परन्तु मेरे घर के सामने समोसे वाला है उसके तीन मकान हैं जिसमें रहता है पांच मंजिला मकान है गाड़ी है उसका बेटा पढ़कर प्राइवेट कंपनी में बैंगलोर में है। समोसे वाले का खर्च अपने बेटे से तीन चैथाई होगा जबकि वह सारे नाते रिश्ते अर्थात बहन बेटी  ताई चाची आदि से व्यवहार निभा रहा है। बेटे का अपना खर्च पूरा नहीं होता । बेहद मेहनत करता है स्तर पांच सितारीय है। एक बेटा सरकारी नौकरी में है वह केवल जिंदगी जी रहा है मेहनत नहीं करनी पड़ती ग्यारह बजे सोकर उठता है चाहे जब घर चला आता हैसरकारी पैन रजिस्टर आदि  उसके घर की शोभा बढ़ाते हैं सरकारी गाड़ी आती ह ैले जाती है छोड़ जाती है बीच में उसकी पत्नी को बाजार करा लाती है । उसके दो बहनें हैं जो पढ रही हैं हां  दोनों बहनों ने और उन दोनों की पत्नियां जो प्राइवेट छोटे स्कूल में टीचर हेैं ने नोकरी की अर्जी लगा रखी है इसप्रकार उस घर से चार अर्जियां बेकारों की हैं ।

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