Tuesday, 24 December 2024

purane panne

 श्री मोहन लाल गौतम

आपके प्रति मेरी बहुत सहानुभूति है। टण्डन जी तो सन्यासी ठहरे,उनको किसी चीज की चिन्ता नहीं कांग्रेस के मन्त्रिपद के साथ आपके पीपुल लेकर प्रबन्ध संपादकों का कारोबार चलाया था।श्री फिरोजचंद की बीस साल की तपस्या पूंजीपतियों के हृदय को न छू सकी और एकाध पृष्ठ विज्ञापन के लिये तरसते रहे । आपके लिये तो कांग्रेसी नेता,पार्लमेंट के सदस्य सदस्याऐं कलकत्ताऔर बम्बई में एजेन्टों का काम करते रहे ।


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