11951 में प्रकाशित पत्रिका ‘रानी’ के संपादकीय के कुछ अंश -
1 श्री टण्डन जी
आपकी ईमानदारी की दाद देता हूं। अपने पद त्याग को अपनी हार न मानियेगा। इस सारे झगड़े के दौरान में आपने जिस सौम्यता और संयम से काम लिया है उसकी सराहना किये बिना नहीं रह सकता ।
जवाहरलालजी के त्यागपत्र से अधिक आपके पद त्याग ने कांग्रेस को झकझोरा है। आपने राजनैतिक जीवन में ईमानदारी का जो उदाहरण पेश किया है ,उससे पं॰नेहरू स्वयं बहुत कुछ सीख सकते हैं ।
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