जनाब किदवई साहब
कुछ जानकारों का कहना है कि यदि महात्मागांधी बटवारे से पहले जनबा आसिफअली को कांग्रेसलीग मन्त्रिमंडल में लेने के लिये जिद न करते,तो आज पाकिस्तान न बनता। जिन्ना साहब बहुत सी बातें मानने को तैयार थे किन्तु आसिफअली को मुसलमानों को प्रतिनिधि स्वीकार करने पर राजी न थे। अब जवाहरलाल जी ने ,ऐसा जान पड़ता है,केवल आपकी खातिर टण्झनजी को पदत्याग करने पर मजबूर किया है ।पहली बार देश का बंटवारा हुआ ,अब शायद कांग्रेस के टुकड़े टुकड़े होंगे।
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