हम प्रकृति की सुंदरता पर मोहित होते हंै या मानव की कृतियों पर अहा! कितना सुंदर है अदभुत् है हमारे अंदर प्रेम की भावना उपजती है हम प्रेम करना सीखते हैं साथ ही हम में सहनश्षीलता आती है । दुराग्रहों को छोडना पड़ता है अपनी मान्यताओं को घर पर पोटली बाॅंधकर छोडना पड़ता है क्योंकि हमें जो दूसरे करते है वही करना पड़ता है। हमें उस स्थान से कायदे कानून रीति रिवाजों के हिसाब से चलना पड़ता है । यात्रा इंसान का इंसान से प्यार करना है दूसरों पर विष्वास करना सिखाती है हम इसी विष्वास के साथ या़त्रा पर निकलते हैं कि हमारे साथ पूरी दुनिया है हमारे देखने का नजरिया बदल जाता है हमारी दृष्टि बदलती है हमारी सोच में बदलाव आता है और जो कुछ दूसरे का अच्छा लगता है उसे अपमान का भाव आता है तो अपने दायरे से बाहर निकलते हैं एक खींची हुई रेखा सोच से बाहर ।
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