हमारे देष की प्रतिभा हमारे देष का पैसा सब विदेषियों के काम आ रहा है। हमारे देष में रह जाते हैं जबरन पास किये जा रहे अयोग्य लोग और वे ही कुर्सियों पर आरूढ़ होकर भ्रष्ट व्यवस्था बनाते हैं काम आता नहीं है कुर्सी पर बैठते हैं खैनी चूना फांकते हैं, बस फाइलें इधर उधर करते हैं अयोग्य लोग अपनी कुर्सी बचाने में लगे रहते हैं बस कुर्सी और पैसा यही उनका लक्ष्य रहता है काम गया खड्डे में, जनता जाये भाड़ में नेताओं का वोट तो पक्का है वोट और नोट की राजनीति में आम आदमी मर रहा है पिस रहा है और देष ?
हमें आभारी होना चाहिये स्वामी विवेकानंद का जिन्होंने अकेले पहल की और दंनिया को भौचक्का कर दिया भारत का गौरव वापस दिलाय
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