Sunday, 15 October 2023

jeevan yatra hai

 जीवन यात्रा है 


यात्राएंे जीवन मे निर्भीकता लाती हंै हम यात्रा के समय अपने आपको पूर्ण रूपेण बदल लेते हैं हम हम नहीं होते उस समय हम अपने को जहाॅं होते हैं वहाॅ के वातावरण में बदल लेते हैं हम अपने को नहीं सामने वाले को देखते हैं तो वहीं की सोच उस समय अपनायेंगे। मैं हम मेें बदल जाता है हम देखते हंै हर जगह का इंसान एक ही है वही हंसना गाना रोना वही प्रकृति कहीं घने जंगल तो कहीं समुद्र लेकिन समुद्र में पानी किस तट से टकरा कर आया है नहीं कह सकते पहाड़ पर जमा बर्फ में किस देष के जल की बूंदे हैं पेड़ांेे के नीचे की मिट्टी किस प्रदेष से आंधी के संग आई है। इस मिट्टी में कौन कौन है किससे ष्षरीर के अंग समाहित है किस प्रदेष की जमीन से उड़ी है उसमें पवित्र आत्मा की खाक है या किसी पापी की कीडे मकोडे की हवा किस किस को छूकर आ रही है जिसे हम अस्पट मान रहें है हवा उससे लिपट कर आ रही है जैसे हमारे साथ छप्पा छाई खेल रही हो पहचान कौन किसके बदन के थपेड़े हंै या़त्रा में हम सब प्रदेशों के हम सफर हो जाते है। और हम स्वंय से दूर होकर उनमेें मिल जाते हैं। 

हम प्रकृति की सुंदरता पर मोहित होते हंै या मानव की कृतियों पर अहा! कितना सुंदर है अदभुत् है हमारे अंदर प्रेम की भावना उपजती है हम प्रेम करना सीखते हैं साथ ही हम में सहनश्षीलता आती है । दुराग्रहों को छोडना पड़ता है अपनी मान्यताओं को घर पर पोटली बाॅंधकर छोडना पड़ता है क्योंकि हमें जो दूसरे करते है वही करना पड़ता है। हमें उस स्थान से कायदे कानून रीति रिवाजों के हिसाब से चलना पड़ता है । यात्रा इंसान का इंसान से प्यार करना है दूसरों पर विष्वास करना सिखाती है हम इसी विष्वास के साथ या़त्रा पर निकलते हैं कि हमारे साथ पूरी दुनिया है हमारे देखने का नजरिया बदल जाता है हमारी दृष्टि बदलती है हमारी सोच में बदलाव आता है और जो कुछ दूसरे का अच्छा लगता है उसे अपमान का भाव आता है तो अपने दायरे से बाहर निकलते हैं एक खींची हुई रेखा सोच से बाहर ।



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