Saturday 21 October 2023

koi kam chota nahin

 महिलायें अपना पत अपने आप खो रही हैं। दूसरे धर्म के लड़के किसी काम को छोटा नहीं मानते,उन्होंने रचनात्मक कलात्मक और क्रियात्मक सभी कामों पर कब्जा कर लिया है नौकरी नौकरी न चिल्लाकर प्रतिदिन के आवष्यक कामों को अपना लक्ष्य बनाया और उस पर कब्जा कर लिया । गाड़ी मैकेनिक,बिजली नल आदि के अच्छे कारीगर दूसरे धर्म के ही मिलेंगे और वे बिना झिझक के यह काम करते हैं जब कि हिन्दू सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहा है।

कौषल योजनाओं को बढ़ावा मिलना चाहिये,बचपन से ही केवल षिक्षा पुस्तकीय नहीं होनी चाहिये कलाकारी कारीगरी भी सिखानी चाहिये। छोटी उम्र से ही कल पुर्जों को खोलना लगाना आदि सिखाना चाहिये।इन सबके कारीगर दो दो तीन तीन हजार रुपये प्रतिदिन कमा रहे हैं अच्छे अच्छे इंजीनियर इतना नहीं कमाते होंगे। यह एक विचार है,केवल सरकारी नौकरी के लिये भागने से कहीं अच्छा अन्य काम है ।

आजकल हर परिवार का एक न एक बच्चा विदेष में है। षिक्षा यहां प्राप्त करते है ंसरकार और मां बाप उस पर पैसा खर्च करते हैं और जब ष्क्षिा प्राप्त कर लेते हैं तब विदेषों में बस कर नौकरी कर लेते हैं


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