Thursday 30 December 2021

ye din ye mahine

 ये दिन ये महिने


कैलेंडर शब्द यूनान का है इसका अर्थ है मैं चीखता हूँ या में आवाज लगागा हूँ यूनान में पहले आवाज लगाकर कि कौन सा दिन और तारीख दे, किस दिन बाजार की बंदी है तथा किस तारीख को किराया वसूला जायेगा दिनों तारीखों और छुट्टियों का हिसाब रखने वाला यही शब्द बाद में कलैंडर में तब्दील हो गया।




भारतीय वर्ष छः )तुओं में बांटा गया है। बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर हेमन्त। भारतीय वर्ष का प्रारम्भ बसंत )तु से होता हैं जब सर्दी और पतझड़ के बाद वृक्षों पर नव पल्लवों का अंनुकरण प्रारम्भ होता है। इन )तुओं कको बारह मास में विमक्त किया गया है। मास का प्रारम्भ पूर्ण चन्द्र या पूर्णिमा के दिन से होता है। पन्द्रह दिन शुक्ल पक्ष और पन्द्रह दिन कृष्ण पक्ष के इस प्रकार  पूरा माह। इन माह के नाम हैं चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, क्चार, कार्तिक, पौष, माघ, फाल्गुन।

भारतीय विद्वानों ने हफ्तों के नाम ग्रहों पर आधारित किये क्योंकि ज्योतिष विद्या के अनुसार ग्रहों की स्थिति का हमारे जीवन पर पूर्ण प्रभाव पड़ता है। पूरे वर्ष हम ग्रहों के प्रभाव में ही रहते है। अंग्रेजी महिनों के अनुसार यह मार्च से प्रारम्भ होता है। आधुनिक केलैंडर पश्चिमी कलैंडर पर आधारित है जो पूर्णतः रोमन केलैंडर हैं। रोमनवासियों ने दिन एवम् महिनों के नाम सूर्य चन्द्र एवम् यु( के देवी देवताओं के नाम पर रखे हैं या प्रसि( व्यक्तियों के नाम पर लेकिन ये नाम ही क्यों प्रयोग किये गये इनके पीछे भी कहानियाँ हैं।

रविवार ;ैनद.कंलद्धरू प्राचीन काल में आकाश में घूते आग के गोले को देख सभी हैरान थें। उसके विषय में कोइगर्् भी कुछ कहने में असमर्थ था। दक्षिणी यूरोप के निवासियों ने सोचा अवश्य कोई देवता है जो आग के गोले को आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक खींचता है। अपनी भाषा में उन्होंने इस शक्तिशाली देवता को नाम दिया सोल ;ैवसद्ध यह भाषा लैटिन थी। प्रथम दिन का नाम दिया सूर्य का दिन ;कपमे ैवसपेद्ध बाद में उत्तरी यूरोप के निवासियों ने भी सूर्य को आदर से नाम दिया लेकिन यह भाषा दूसरी थी यह अंगे्रजी थीं और नाम दिया सनानडेग ;ैनदंदकवमहद्ध जो वर्षों बाद बना सन-डे।

भारतीय विद्वानों के अनुसार भी सूर्य सर्वाधिक शक्तिशाली ग्रह हैं उनके अनुसार भी सूर्य को ही सर्वाधिक आदर दिया और प्रथम दिन का नाम रखा गया रविवार।

सोमवार ;डवद.कंलद्धरू दक्षिण यूरोप के निवासियों ने रात्रि में चांदी की तरह चमकती गेंद को भी पूरा सम्मान दिया लैटिन में उसका नाम था लूना ;स्नदंद्ध और दिन को नाम दिया चंद्र का दिन ;स्नदं कपमेद्ध उत्तरी यूरोप के व्यक्तियों ने चंद्रमा को सम्मान दिया और नाम रखा चंद्र का दिन ;डवदंद कंमलद्ध आधुनिक अंग्रेजी में जो हुआ डवदकंल 

भारतीय ने भी चंद्रमाको द्वितीय स्थान दिया नामकरण हुआ सोमवार।

मंगलवार ;ज्नमेकंलद्धरू रोमवासियों को विश्वास था कि एक यु( का देवता ट्यू ;ज्पूद्ध होता है एवम् वह उन्हीं यो(ाओं की सहायता करता है जो उसकी पूजा करते हैं किसी यो(ा की मृत्यु पर यु( का देवता युवा स्त्री सहयिकाओं के साथ  पर्वतीय निवास स्थान से उतरकर आता है और मृत यो(ा को अपने साथ ले जाता है जहाँ यो( की आत्मा शांत और सुंदर स्थान पर वास करती है।

इन्हीं यु( देवता को सम्मान दिया और सप्ताह के तीसरे दिन को नाम दिया टिउसडेग ;ज्नमेकंलद्ध अंग्रेजी में नाम हुआ टयूजडे ज्नमेकंल।

हिन्दुओं ने बाकी सब दिनों के नाम भी सूर्य के पास रहने वाले अन्य शक्तिशाली ग्रहों के नाम पर ही रखें। जैसे मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि।

बुधवार वैडनैसडे ;ॅमकदमेकंलद्ध: उत्तरी यूरोप के निवासी मानते है कि सब देवताओं में शक्तिशाली है बोदन देवता। ये देवता ज्ञान की तलाश में स्थान स्थान पर घूमते हैं यहाँ तक कि ज्ञान अर्जन के लिये इन्हें अपनी एक आँख भी देनी पड़ी। दो काली चिड़ियाएँ इनके दोनों कंधों पर सवार रहती हैं। चिड़ियाएँ रात को नीचे पृथ्वी पर आती है और जाकर वोदन को सारी पृथ्वी पर घटनाऐ सविस्तार बताती हैं इस प्रकार वोदन की पृथ्वी पर घटी घटनाओं का ज्ञान रहता है। ऐसे देवता को एक दिन का नाम रख कर सम्मान दिया वैडनैसडे और अंगेजीह में हुआ वैडनैसडे ॅमकदमेकंल।

वृहस्पतिवार ;ज्ीनेकंलद्ध थर्सडे: पहले लोगों की समझ में नहीं आता था कि ये बादल और बिजली है क्या? एक पतली रेखा चमकती और भंयकर गड़गड़ाहट होती उन्होंने समझा यह किसी देवता की कोई क्रिया है उन्होंने उस देवता को नाम दिया थोर ;ज्ीवतद्ध। उनके अनुसार जब थोर देवता क्रोधित होते हैं एक विशाल हथौड़ा आकाश में फेकते है वह है बिजली और हथौड़ा फेकते समय वे बकरियों से जुते रथ पर दौड़ते हैं पहियों की आवाज ही गड़गड़ाहट है।

भयग्रस्त निवासियों ने देवता को प्रसन्न करने के लिये एक दिन उसे समर्पित किया नाम दिया थर्सडेग और अंग्रेजी में थर्सडे ;ज्ीनतेकंलद्ध।

शुक्रवार ;थ्तपकंलद्ध यूरोप के निवासियों के अनुसार एक सुन्दर सहृदय देवी हैं फ्रिग ओर ये पृथ्वी पर मृत यो(ाओं की देखभाल करती है। मृत व्यक्ति को अन्य देवतागण देवी फ्रिंग के पास ले जाते है जो उन्हें जीवन प्रदान करती है। जीवनदायनी देवी को एक दिन समर्पित किया फ्रिगडेग। अंग्रेजी ने उसे अपनी भाषा में परिवर्तित फ्राइडे थ्तपकंल।

शनिवार ;ैंजनतकंलद्ध: रोमवासी खेती बाड़ी का देवता सैटर्न मानते थे। उनके मतानुसार अच्छा या खराब मौसम सैटर्न की इच्छा पर निर्भर करता है उसकी के हाथ में वर्षा है। रोम का किसान खेती प्रारम्भ करने से पहले सैटर्न की पूजा करता है और किसी जानवर की बलि चढ़ाता है। उसी सैटर्न के नाम पर रोमवासियों ने एक ग्रह का नाम रखा सैटर्नीडैग और अंग्रेजी मेें नाम हुआ ;ैंजनतकंलद्ध।

जनवरी: प्रारम्भ में रोमन कलैंडर में दस ही महिने होते थे। एक रोमन सम्राट ने दो महिने और जोड़ने चाहे लेकिन उसके लिये दो नामों की आवश्यकता थी। उस समय रोमवासी एक दो मुँह वाले देवता जेनम में विश्वास करते थे जिनका एक मुँह भविष्य की ओर रहता था और एक अतीत की ओर। सम्राट ने सोचा एक माह का नाम जेनस के नाम पर रखना बहुत अच्छा रहेगा जिससे साल समाप्त होने पर व्यक्ति सोच सके कि बीते साल हमने क्या किया और आगामी वर्ष में क्या करना है इसलिये उन्होंने इस माह को कहना आरम्भ किया जेनरस ;श्रंदनंतपनेद्ध आज अंगेजी में इसे जनवरी ;श्रंदनंतलद्ध कहते है।

फरवरी ;थ्मइतनंतलद्धः अब सम्राट ने अन्य दूसरे महिने के लिये नाम ढूँढ़ना प्रारम्भ किया। सफाई करने को लैटिन में फैब्रम ;थ्मइतनतउद्ध कहते हैं सम्राट ने सोचा बहुत सी बातों के लिये हम पछताते हैं एक हमने ऐसा क्यों किया आगामी वर्ष में हम गलतियाँ न दोहराये और आगामी वर्ष साफ स्वच्छ रखें इसके लिये उसने साल के अंतिम माह को नाम दिया फ्रेवेरस ;थ्मइतनंतपनेद्ध अंग्रेजी में इसे फरवरी ;थ्मइतनंतलद्ध कहा जाता है।

पहले साल का प्रारम्भ मार्च से होता था लेकिन जूलियस सीजन के बाद में इन्हें वर्ष के प्रारम्भ में रख दिया था।

मार्च ;डंतबीद्ध: रोमन व्यक्ति एक अन्य यु( देवता मार्स ;उंतेद्ध में विश्वास रखते थे उन देवता केप्रति अपनी श्र(ा और आदर की अभिव्यक्ति प्रकट की और इस माह को नाम दिया। मार्टस ;डंतजपनेद्ध अंगे्रजी में मार्च कहा जाने लगा। 

अप्रैल ;।चतपसद्ध चतुर्थ माह में पौधे अंगड़ाई लेकर उठ बैठते हैं और चारों ओर फूल खिल उठते हैं। रोमनों ने प्रकृति के इस जागने को व्यक्त किया एक लैटिन शब्द एपीरियों ;व्चमतपवद्ध में जिसका अर्थ हैं जग जाना। उस माह को पुकारा गया एप्रिलिस और अंगे्रजी में एप्रिल ;।चतपसद्ध।

मई ;डंलद्ध मे या मई रोमनों के अनुसार बसंत की देवी माया नवीन पौधों की सुरक्षा करती हैं और उन्हें उगने में सहायता करती हैं जो मानव को जीवन प्रदान करते हैं। एक महिने को उन देवी को समर्पित किया और नाम दिया मायस ;उंपनेद्ध जो अंग्रेजी में पुकारा जाने लगा मई ;डंलद्ध।

जून ;श्रनदमद्ध: रोमनों के अनुसार जूनो सभी देवियों की देवी है। जूनस ;श्रनदपनेद्ध माहसकी मृत्यु के पश्चात उस माह को जूलियस कहा जाने लगा और अंग्रेजी तक आते आते बना जुलाई ;श्रनसलद्ध।

अगस्त ;।नहनेजद्ध: जूलियस सीजर की मृत्यु के कुछ वर्ष बाद सीजर के भतीजे अगस्टस ने रोमन साम्राज्य संभाला। अगस्टस की इच्छा थी कि वह भी सीजर के समान महान सम्राट कहलाये सो उसने इस माह का नाम बदल का अगस्टस रख दिया जो अगस्त कहलाने लगा। पहले जुलाई में अगस्त से एक दिन ज्यादा होता था उसने फरवरी में से एक दिन लेकर अपने नाम के माह में जोड़ दिया। इस प्रकार जुलाई और अगस्त दोनों में 31 दिन हो गये इस प्रकार अगस्टस अपने को सीजर के समकक्ष समझने लगा।

सैप्टम्ब्र, अक्टूबर, नवम्बर एवम् दिसम्बरः प्रारम्भिक रोमन कलैंडर में पहले केवल दस माह होते थे और उनके नाम नम्बरों पर आधारित थें सात के लिये लैटिन शब्द है सैप्टम, आठ के लिए ओक्टो, एवम् नौ के लिए नोवम् और लैटिन शब्द दिसम दस के लिये प्रयुक्त किया जाता था। इस प्रकार पुराने कलैंडर के सातवें, आठवें, नौवे, दसवें माह पुकारे जाने लगे। सैप्टम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, एवम् दिसम्बर। बाद में इसमें जनवरी और फरवरी दो माह और जोड़ गये। लेकिन अब जनवरी फरवरी साल के प्रारम्भिक माह हैं और आधुनिक कलैंडर के अनुसार सितम्बर अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर माह के सातवें, आठवें, नवें एवम् दसवे माह नहीं है लेकिन फिर नामों का प्रयोग उसी ढंग से किया जाता है। का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया।

जुलाई ;श्रनसलद्ध: यूलियस सीजर रोम का महान् सम्राट था। जुलाई माह उसके जन्म का माह था।

सकी मृत्यु के पश्चात उस माह को जूलियस कहा जाने लगा और अंग्रेजी तक आते आते बना जुलाई ;श्रनसलद्ध।

अगस्त ;।नहनेजद्ध: जूलियस सीजर की मृत्यु के कुछ वर्ष बाद सीजर के भतीजे अगस्टस ने रोमन साम्राज्य संभाला। अगस्टस की इच्छा थी कि वह भी सीजर के समान महान सम्राट कहलाये सो उसने इस माह का नाम बदल का अगस्टस रख दिया जो अगस्त कहलाने लगा। पहले जुलाई में अगस्त से एक दिन ज्यादा होता था उसने फरवरी में से एक दिन लेकर अपने नाम के माह में जोड़ दिया। इस प्रकार जुलाई और अगस्त दोनों में 31 दिन हो गये इस प्रकार अगस्टस अपने को सीजर के समकक्ष समझने लगा।

सैप्टम्ब्र, अक्टूबर, नवम्बर एवम् दिसम्बरः प्रारम्भिक रोमन कलैंडर में पहले केवल दस माह होते थे और उनके नाम नम्बरों पर आधारित थें सात के लिये लैटिन शब्द है सैप्टम, आठ के लिए ओक्टो, एवम् नौ के लिए नोवम् और लैटिन शब्द दिसम दस के लिये प्रयुक्त किया जाता था। इस प्रकार पुराने कलैंडर के सातवें, आठवें, नौवे, दसवें माह पुकारे जाने लगे। सैप्टम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, एवम् दिसम्बर। बाद में इसमें जनवरी और फरवरी दो माह और जोड़ गये। लेकिन अब जनवरी फरवरी साल के प्रारम्भिक माह हैं और आधुनिक कलैंडर के अनुसार सितम्बर अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर माह के सातवें, आठवें, नवें एवम् दसवे माह नहीं है लेकिन फिर नामों का प्रयोग उसी ढंग से किया जाता है।


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