Monday, 27 December 2021

jeebh aur dant

 

जीभ और दाँत

एक बार जीभ और दाँत में लड़ाई हो गई दाँत बोले तू छोटी सी जीभ है कितनी कोमल है तेरी हम रक्षा इसलिये करते हैं कि तू हमारे द्वारा काटे सामान को पेट में घुमाती है हमारी वजह से तुझे तरह-तरह के स्‍वाद मिलते है।”

‘जीभ हसते हुए बोली तुम मेरी क्‍या रक्षा करोगे मैं अपनी रक्षा अपने आप करती हूँ। मैं तो तरह-तरह के स्‍वाद तुम्‍हें चखाता हूँ तुम तो बस कटावने हो काटते हैं।

‘छोड़ बित्‍ते भर की बातें इतनी बड़ी-बड़ी करती हैं जबकि दम जरा सा भी नहीं है जरा से में तोड़-मरोड़ कर फेंक दी जायेगी।’

मेरी वजह से बोल-बोल कर नेता कुर्सी पर बैठ जाते हैं तुम्‍हारा क्‍या योगदान है कुछ नहीं मैं नहीं होउँ तो भषण नहीं होगा और जनता कैसे फंसेगी।’

देख ले खुद ही कह रही है कि फंसाती है लोगों को बहुत मक्‍कार और फरेबी है तब भी हम तुझे बचाते हैं। तेरी वजह से तो इतना बड़ा महाभारत का युद्ध हुआ पर तब भी अपनी शान बढ़ायेगी। तेरी वजह से राम जी का बनवास हुआ भंवरा की जीभ ही तो चली थी तब भी अपनी जीभ हलेगी। तभी वहाँ से एक पहलवान गुजरा जीभ चिल्‍लाई ओये पहलवान।

पहलवान ने पलट कर देखा किसकी इतनी हिम्‍मत हुई एक पिद्दी से लड़के को खड़ा देख उसे गुस्‍सा आया और उसने जोर से एक मुक्‍का लड़के के मुँह पर जड़ दिया होता। वह चीत्‍कार कर उठे जीभ बाहर खीच लूँगा। अभी पहलवान का दूसरा मुक्‍का पड़ता कि जीभ बोली ‘अरे वाह! पहलवान जी क्‍या दम है मुक्‍के में क्‍या मारा है आपको नमन है प्रभु आप तो दुनिया के श्रेष्‍ठ पहलवान हैं।”

पहलवान मुस्‍कराया और लड़के के गाल थपथपा दिये। जीभ हंसी बोली “कहा अपनी रक्षा मैंने अपने आप करी या नहीं।”

दाँत सिमट कर रह गये।

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