Monday, 6 December 2021

करोना काल

 आज भी बार बार सवाल उठता है करोना में चिकित्सा नहीं हुई,करोना में मजदूरों को खाना नहीं दिया गया भूखे मर रहे लोग,मंहगाई बढ़ रही है आदि आदि। करोना में जिस अप्रत्याशित रूप से बीमारी आई और एक दम आई सब लोग सरकार पर उंगली उठा रहे हैं। इतिहास को एक बार उठा कर देखें तो जब जब महामारी आइ्र है लाखों लोग काल कलवित इुए हैं टीका करण सालों साल बाद हुआ है। बस एक बात जानना चाहती हूं लोगों का कहना था डाक्टर नहीं है आक्सीजन नहीं है नर्सिंग स्टाफ नहीं है। हर वर्ष संख्या डाक्टरी पढ़ने वालों की बढ़ रही है नर्सिंग स्टाफ की भी बढ़ रही है उसी दर से जनता भी बढ़ रही है जितने डाक्टर निकलते हैं वो नियुक्त हो जाते हैं एकाएक महामारी आने से सबने शोर मचाया कि डाक्टर नहीं हैं तो क्या डाक्टरी पढ़ाई इतनी आसान है कि दो दिन में पढ़कर तैयार हो जायेंगे और नियुक्त हो जायेंगे जितने डक्टर देश में थे उन्होंने दिन रात अपनी सेवाऐं दीं क्या वे देश के लिये आवश्यक नहीं थे जो उनके लिये जिसे देखो कह रहा था डाक्टर नहीं हें उनहोंने दिन रात एक कर अपनी सेवाऐं दीं  क्या वे अनाथ थे उनके परिवार नहीं थे । एकाएक चिकित्सक पैदा हो जाते अमर बूटी खाकर और अनजान दुश्मन से बिना हथियार लड़ते उनको गरियाते रहे कितने ही डक्टर काल कलवित हुए शहीद का दर्जा उन्हें दिया जाना चाहिये न कि जर्बदस्ती बैठे लोगों को शहीद मानें जिन्होंने आम जनता का जितना नुकसान किया है शायद नेता उन्हें माफ करदे पर जनता कभी माफ नहीं करेगी क्योंकि उनकी वजह से जनता को बहुत कष्ट उठाना पड़ा ।डाक्टरों को प्रोत्साहन देने के लिये अगर उनके सम्मान में मोदी जी ने थाली घंटे बजवाये तो मजाक उड़ाने पर उन्हें शर्म नहीं आई । हद है नकारात्मक सोच की ।क्या उन डाक्टरों की जान जान नहीं थी जिन्होंने दिनरात सेवा की वे मना भी कर सकते थे कि हम मरने  के लिये नहीं हैं और हजारों डाक्टर पीड़ित भी हुए पर नहीं बिना सेचे समझे मजाक उड़ाना व्यक्तित्व की हीनता साबित करती है ।

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