Sunday, 1 April 2018

apna khoon

सहनशीलता संतोष आदि भाव केवल पुस्तकों और लेखों की वास्तु रह  है। असहष्णुता बेहद बढ़ गई है  टकराव है यह इसलिए अब अधिकांश युगल अकेले जीना चाहते हैं   हमारे दो फिर उन  मैं भी तकरार  जाती है अगली पीढ़ी हम दो हमारे एक से प्रारम्भ हो जाती है अगर   हो गए और दोनों पुत्र तो आगे चलकर वे दो दुश्मन तैयार  जायेंगे।  अगर ईर्ष्या द्वेष   यदि किसी मैं है  वह है दो सगे  भाइयोँ मैं चाहे दोनों  हैसियत एक सी रखते   तब भी ईर्ष्या  है  और   सबसे अहितकारी    वह भाई ही  होता होता  है जिसे हम अपना खून कहते हैं 

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