Friday, 20 June 2025

cheen ke ve das din yatra 1

 चीन के वे दस दिन





     ‘अगर शेर की मॉंद में घुसोगेे नहीं तो उसके बच्चों को पकड़ोगे कैसे?’

                                                                                लोकाक्ति हॉन डायनेस्टी ईसापूर्व 220 एडी

     पीले आदमियों का देश, ठिगने आदमियों का देश, एक उत्साह एक उत्सुकता ऐसे देश में जाने की जिसने मात्र कुछ सालों में अपना वर्चस्व कायम किया है। सबसे महत्वपूर्ण था ऐसे समय चीन जाना जब चीन दुनिया भर के सामने अपने आपको स्थापित करना चाहता था। ‘2008 का ओलंपिक का मेजबान चाइना।’

नैपालियन ने कहा था ”चाइना सो रहा है तो सोने दो यदि जाग जायेगा तो वह विश्व पर कब्जा कर लेगा।“

जगने लगा है चाइना और एवरेस्ट की चोटी तक पहुँच रहा है वहाँ तक सड़क बना रहा है।

एक प्रसि( चीनी लोक कथा है कि एक वृ( व्यक्ति को प्रतिदिन अपने काम के लिए पहाड़ लांघकर जाना पड़ता था। कभी-कभी वह घायल भी हो जाता था और थक भी जाता था । वह पहाड़ पर से जब जाता पत्थर उठा कर नीचे फेंक देता। गाँव वालों को बड़ा अजीब लगा उन्होंने पूछा‘ भई! यह क्या करते हो? रोज पत्थर नीचे क्यों फंेक देते हो’?, वह वृ( बोला ‘हर पीढ़ी के साथ पूर्वज बढ़ते जायेंगे और हर पीढ़ी यदि पत्थर फेंकती जायेगी तो एक दिन इस पर्वत को समतल कर देंगे।’

चीनी लोगों की यही मानसिकता है उनमें काम की लगन है यह नहीं कि कौन लाभ उठायेगा।

सन् 1949 में चीन की जनसंख्या 540 लाख थी। तीन दशक में यह जनसंख्या 800 लाख पहुँच गई हर दशक में जनसंख्या बढ़ती गई और 1.23 अरब तक पहुँच गई । चीन की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का पाँचवा हिस्सा है। चीन का इतिहास 4000 साल पुराना है। अर्थात् सभ्यता के आरम्भिक चिन्ह। चीन द्वारा बहुत-सी वस्तुओं का प्रथम बार निर्माण किया गया। चीनी लिपि भी संभवत् प्राचीन लिपि है जो वैज्ञानिक ढंग से लिखी गई।

चीन मध्य एशिया एवम् पूर्व एशिया में स्थित है।चीनी और भारत दोनों की सभ्यता और संस्कृति प्राचीन है। चीन प्रगति को कटिब( है वह जनता के हृदय में यह भर रहा है कि वह सर्वोत्तम है और आज मेहनत करेगा व आगे भविष्य में राज्य करेगा विश्व विजयी होगा। अपने विचारों के खिलाफ वहाँ की सरकार आलोचना नहीं सुन सकती इसलिये वहाँ के सभी अखबार सरकार के अधीन हैं वहाँ पर सरकार के खिलाफ बोलना गम्भीर अपराध है। 

धरने, प्रदर्शन, किसान आन्दोलन वहाँ भी मिलता है लेकिन अखबारों में उन्हें स्थान नहीं मिलता। बहुत से ऐसे स्थान हैं जहाँ हर किसी को विशेष रूप से विदेशियों को प्रवेश नहीं मिलता। चीन सालों तक रहस्य के घेरे में रहा था उसकी खबरें देश-दुनिया को नहीं मिलती थी । यहाँ तक 1949 की क्रान्ति के बाद लाखों चीनियों को मृत्युदण्ड दिया गया था। चीन के भूकम्प में लाखों करोड़ों चीनी काल कलवित हुए पर बाहरी दुनिया को ये खबरंे सालों बाद मिली।

चीन की संस्कृति और धर्म भारत से मिलता-जुलता है। चीनी पूर्व में अपने पूर्वजों की और प्रकृति की पूजा करते थे। पूर्वजों को देवता मानते थे लेकिन अब चीनी स्पष्ट कहते हैं वे किसी धर्म में किसी देवता में विश्वास नहीं करते, वे स्वयं अपनी पूजा करते हैं। कर्म उनकी पूजा है जो कुछ करते हैं अपने लिये करते हैं।

चीन में विभिन्न धर्मों का प्रभाव रहा है उनका अपना कोई धर्म नहीं था। ईसा से 604 वर्ष पूर्व ताओत्से उनके धर्म के प्रवर्तक रहे और ताओइज्म नाम से एक दार्शनिक धर्म का प्रारम्भ हुआ लेकिन कालांतर में इसमें जादू-टोने का सम्मिश्रण होने लगा। कन्फ्यूशियस ने ताओइज्म की विकृतियों पर प्रहार किया और उन्होंने जीवन प्रणाली को नीतियों में बांधा। इसके बाद वहाँ बौ( धर्म का प्रभाव पड़ा। पहले हीनयान फिर महायान का प्रभाव पड़ा और धीरे-धीरे बौ( धर्म ने वहाँ पैर पसार लिये और बौ( मूर्तियॉं चट्टानों ,पत्थरों पर अंकित की जाने लगी। यद्यपि ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म ने भी वहाँ पैर घुसाने का प्रयत्न किया। पर बहुत अधिक स्थान नहीं बना सके।


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