Saturday, 12 November 2022

satta ke pujari

 ऽ कुर्सी के लिये कितना अहित करते हैं लोग

जनता जाये भाड़ में उन्हें चाहिये सत्ता भोग।

सड़क पर बैठ कर ईष्वर से प्रार्थना करने वालेां के लिये मैं ष्षत्र लगा कर कह सकती हूं  िकवे कठपुतली की तरह षारीरिक क्रियाऐ ंतो कर लेंगे पर म नही मनसिवाय यह कहने कि क्या मजा आ रहा है जनता को परेषान करने में । ईष्वर चंद लोगों की प्रार्थना सुनेगा या सैंकड़ोंलोगों की जो गसली दे रहे होंगे क्योंकि किसी की ट्रेन छूट रही होगी किसी मरीज लेकर जाना है किसी की परीक्षा छूट जायेगी तो साल बेकार हो जायेगा किसी को काम पर जाना है देर होगी तो पगार कअ जायेगी किसी को दफ्तर पहुचना होता है। हजारों जलती निगाहों को ईष्वर देखेगा या चंद बंद आंखों को जिनमें उसे याद न कर अहित करने का सुख होगा। याद रखो अहित करने की सोचने वाले को पहले अपना अहित झेलना पड़ता है । कर्मों का फल मिलता अवष्य 


No comments:

Post a Comment