आजाद हैं पंछी कहीं भी उड़े
सीमा का कोई बंधन नहीं
बसेरा बनाना है किसी भी झाड़ पर
उसका देना कोई किराया नहीं
बरगद पर बैठे या पाकड़ पर सोये
किसी ने भी उसको हटाना नहीं
सभी वृक्ष उनके लिये हैं चंदन
नीम हो या बरगद उनका है घर नंदन
इतना सा कोना कि ठिक जाय घर उनका
No comments:
Post a Comment