Monday 14 November 2022

bitiya

 बिटिया पायल की रुन झुन

मधुर मधुर घुंघरू की छुनछुन

गीतों की सुरमयी झंकार

बारिष की ष्षीतल सी फुहार

पिता के आंगन की है बहार

मां के चैखट का श्रृंगार

गले का है वो मनहर हार

अधूरा जिसके बिन श्रृंगार

घरों का जोड़ रही वो तार

बिटिया के बिन सूना संसार

बिटिया हे जीवन का सार

सांस सांस का अदभुत् संसार।


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