बिटिया पायल की रुन झुन
मधुर मधुर घुंघरू की छुनछुन
गीतों की सुरमयी झंकार
बारिष की ष्षीतल सी फुहार
पिता के आंगन की है बहार
मां के चैखट का श्रृंगार
गले का है वो मनहर हार
अधूरा जिसके बिन श्रृंगार
घरों का जोड़ रही वो तार
बिटिया के बिन सूना संसार
बिटिया हे जीवन का सार
सांस सांस का अदभुत् संसार।
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