और काम हो गया
‘साहब, यह आपकी फाइल अधूरी है, इसमें दोनों नक्शे मेल नहीं खा रहे हैं।’ क्लर्क ने सामने बैठे चीफ इंजीनियर की आंखों में झांकते हुए कहा। ‘नक्शे मेल नहीं खा रहे है, क्या बात कर रहे हो, एक तो इसमें पैट्रोल पंप की जगह का है, दूसरा पूरे एरिया का है।’ चोंकते हुए इंजीनियर ने कहा।
एक सरकारी विशाल संस्थान के लिये चीफ इंजीनियर साहब एक्सप्लोसिब डिपार्टमेंट में पेट्रोलपंप के लाइसेंस के लिये अरजी जमा कराने गये थे। दोबारा उसकी प्रगति देखने आये थे।
‘यह सब मैं नहीं जानता साहब नक्शे मेल नहीं खा रहे हैं दूसरे भरे जायेंगे ’क्लर्क ने लाचारी से सिर हिलाते हुए कहा।
‘दूसरे नक्शे’ चीफ इंजीनियर साहब क्लर्क के सामने बेवकूफ से लग उठे,‘ नक्शे तो वही रहेंगे।’
‘आप तो जानते हैं साहब फाइल आगे बढ़ानी पड़ेगी ’कहकर हाथ मलते क्लर्क पीछे खिसक गया, साहब पाँच हजार तो कम से कम.........तब कोशिश कर सकता हूॅ।’ ‘क्या बात कर रहे हो, मैं सरकारी आदमी हूॅं सरकारी काम से आया हॅू, मेरे पास कहाँ से आये पैसे?’
‘अर!े साहब आप बड़े साहब हैं कहीं से भी खर्च दिखा देंगें मै गरीब आदमी मेरे ऊपर भी हैं साहब, मेरी तो नौकरी ही जायेगी।’ सिर और भी फाइलों में गड़ गया। चीफ इंजीनियर साब परेशान फिर से आने जाने में तीन दिन लगेंगे और फिर उन्हें जबाब जी एम को देना पड़ेगा, वो कहेंगे एक काम नहीं कर सके।
‘एक हजार से ज्यादा नहीं दे सकता ,’उन्होंने निराशा से कहा। चीफ इंजीनियर साहब ने आजतक रिश्वत नहीं ली थी, अब सरकारी काम के लिये उन्हें रिश्वत देनी पड़ रही थी।
‘साहब देखता हॅू ,फाइल अगर बड़े साहब के पास नहीं गई होगी तो शायद कुछ हो सके
इंटरकॅाम से बात करके क्लर्क ने मजबूरी में सिर हिला दिया, ‘अरे साहब फाइल मेज पर पहुॅच चुकी है पर हाॅं अभी उन्होंने देखी नही है।’
‘अच्छा भाई हजार और ले लो।’ चीफ इंजीनियर साहब ने हार मानते हुए कहा,‘ चलिये साहब आप भी क्या याद रखेंगे, सरकारी काम है सिविलियन होता तो....’ क्लर्क ने ऐहसान जताते हुए कहा।
बड़े साहब के सामने फाइल खुली उन्होने क्लर्क की ओर देखां।
“साहब ठीक है दो बार जाॅच हो गई।’ क्लर्क ने सिर हिलाते हुए कहा
“पर इसमें नोट है कि नक्शे नहीं मिले हैं “साहब ने उलझन भरे स्वर में कहा।
“नहीं साहब मिल रहे है।, सरकारी काम है, दो बार मिल गया , कुछ संदेह था दूर हो गया। “क्लर्क का सिर तेजी से हिला।
“तो लाइसेंस इश्यू कर दूॅ“
“हाँ साहब कर दीजिये “
“पक्की बात नक्शे मिल रहे हैं।
“हाँ साहब मिल रहें हैं।“
आखिर सरकारी काम सरकारी आदमी द्वारा हो ही गया।
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