Wednesday, 12 August 2020

श्री राम

 ऽ भगवान श्रीराम 

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान् श्रीराम, दशरथ नंदन, अयोध्या के राजा  सियापति न जाने कितने संबोधन कितने नाम। स्मरण भर से कल्याण करने वाले प्रभुराम की अच्छाइयों का बखान करना। किसी के वश में नही। भगवान राम सिर्फ अच्छे पुत्र पिता पति ही नही सर्वश्रेष्ठ राजा भी थे। समाजवाद उनमें जैसे कूट कूट कर भरा हुआ था। ऊँच-नीच जातपांत धर्म भेद, हिंसा, या द्वेष कभी उनके नजदीक नही भटक पाये। 

राम भारतीय संस्कृति में रचे बसे हैं। मानव आस्था के प्रतीक और जनजन को मानसिक शान्ति एवं संबल प्रदान करने वाले महानयक हैं श्री राम । नभ में कण में, हर श्वास हर धड़कन में प्रभु श्रीराम व्याप्त हैं। सर्वत्र रमते श्री राम ऐसी कोई जगह नही है जहाँ राम नही है। वे सर्वव्यापी एवं सर्व शक्तिमान है। राम शब्द में तीन अक्षरों का समावेश होता है र,आ और म। 

र है अग्नि या तेज का प्रतीक 

आ है आकाश कभी विशालता का प्रतीक और म है चन्द्र अर्थात् शीतलता एवं शान्ति का द्योतक

अर्थात् राम का नाम तेजोमय आकाश सा विशाल तथा शीतलता एवं शान्ति प्रदायक है। राम कहते समय प्रथम अक्षर रा का उच्चारण होता है तो उस समय मुख ख्ुाल जाता है और पहाड़ सदृश्य पाप निकल जाते हैं और म का उच्चारण करने में मुख कपाट बंद हो जाता है वे पुनः नही आ पाते । तुलसी रा के कहत ही निकसत पाप पहार पुनि अखन पावन नही देत मकार किवार। 

सत्ययुग श्रेतायुग और द्वापरयुग में पुण्य कठिन योग तप यज्ञादि से मिलता है वही पुण्य कलियुग में श्री भगवान् के स्मरण से प्राप्त हो जाता है। अंत मंे राम ही सत्य है तब ही तो अंत में यही मुँह से निकलता है। 


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