मेरे पास दो तोते हैं यह मुझे मालूम है तोते पालना वर्जित है ा परन्तु यह गुनाह किये मुझे सत्रह साल हो गए क्योंकि दोनों ही तोतों के पंख टूटे हुए हैं एक तो मेरे बगीचे मैं कहीं से उड़ता आया बहुत नीचे नीचे और पौधे के नीचे बैठ गया पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया की उड़ जायेगा पर वह बैठा ही रहा तो मैंने उसे पकड़वाया तो देखा उसके पंख कटे हुए थे ऊँचा नहीं उड़ सकता था उसे अंदर घर मैं छोड़ दिया वह घूमता रहा अब मश्किल हुई उसे बहार भी नहीं छोड़ सकती थी अंदर भी दरवाजे अधिकतर खुलते रहते थे बिल्ली वहां कई थीं अब उसे पिंजरे मैं डालना आवश्यक हो गया नहीं तो बिल्ली मार देती जब दरवाजा बंद हो जाता उसे खुला छोड़ देते कुछ घूम कर वह पिंजरे पर बैठ जाता है उसके छह माह बाद ही एक तोता बच्चा ही था उसे बिल्ली ने पकड़ लिया पर वह छूट कर नीचे गिरा तब भी मैं बगीचे मैं बैठी थी मैंने उसे उठाया बिल्ली तो भाग गई पर तोते का बच्चा बहुत घायल हो गया उसके पंख नुच चुके थे उसे डेटोल और बिटादिने से साफ कर उस समय तो मलहम लगवाया फिर बाजार से स्प्रे मगवा कर स्प्रे कर देती थी मुँह मैं पानी और दूध की बूँद डाल देती दो दिन तो वह ऐसे ही बस बैठा रहा फिर उसमे हरकत शुरू हुई और धीरे धीरे वह ठीक तो हो गया पर पंख बुरी तरह नुच चुके थे। एक पिजरा और मांगना पड़ा क्योंकि पहले वाला तोता बड़ा था वह उसे चोंच से घायल कर देता था दूसरा पिंजरा मंगाया अब उन्हें सत्रह साल मेरे पास हो गए हैं अब मैं फ्लैट मैं हूँ जब फ्लैट बंद होता है तब उन्हें एक एक कर बहार घूमने के लिए छोड़ देती हूँ हफ्ते मैं एक दिन इन्हे नहलाना भी होता है बहार बालकोनी मैं इन्हे नहला कर पिंजरा साफ कर देती हूँ बालकोनी मैं भी बहार निकल जाते हैं कुछ देर मैं अंदर कर देती हूँ पर अंदर से लगता है अगर उड़ने की कोशिश की तो बेकार उड़ पाएंगे नहीं और मर जायेंगे जब तक अंदर नहीं आजाते चैन नहीं पड़ता है वहां बैठना पड़ता है। आज भी नहला कर मैंने महिला कर्मचारी से कहा पिंजरा साफ करदे
मौका देख कर बड़ा वाला पिंजरे से बहार निकल आया और बालकोनी के गमलों पर बैठ गया (मेरी आदत है जब तब मैं नीम सहजन आदि की डांडिया पिंजरे मैं रख देती हूँ जिससे उन्हें हरियाली का एहसास रहे) मेरी बात मान कर वह पिंजरे मैं चला जाता है पर उस समय कभी नीचे बैठ जाये कभी कोने मैं। मुझे काम से अंदर जाना था अब बहार छोडूं तो कैसे बिल्ली तो यहाँ भी है। आज तो मरेगा
मैं हारकर बोली मिट्ठू तंग मत कर कह कर कुर्सी पर बैठ गई एक पल बाद देखती हूँ उसने मेरी ओर देखा चुपचाप चलता अंदर आया और चोंच बढ़ा कर पिंजरे का दरवाजा बंद करने लगा ओर पूरा नहीं खींच पाया तो मेरी ओर देखने लगा तब से हैरान सी देख रही हूँ पंछी भी कितने समझदार होते हैं
मौका देख कर बड़ा वाला पिंजरे से बहार निकल आया और बालकोनी के गमलों पर बैठ गया (मेरी आदत है जब तब मैं नीम सहजन आदि की डांडिया पिंजरे मैं रख देती हूँ जिससे उन्हें हरियाली का एहसास रहे) मेरी बात मान कर वह पिंजरे मैं चला जाता है पर उस समय कभी नीचे बैठ जाये कभी कोने मैं। मुझे काम से अंदर जाना था अब बहार छोडूं तो कैसे बिल्ली तो यहाँ भी है। आज तो मरेगा
मैं हारकर बोली मिट्ठू तंग मत कर कह कर कुर्सी पर बैठ गई एक पल बाद देखती हूँ उसने मेरी ओर देखा चुपचाप चलता अंदर आया और चोंच बढ़ा कर पिंजरे का दरवाजा बंद करने लगा ओर पूरा नहीं खींच पाया तो मेरी ओर देखने लगा तब से हैरान सी देख रही हूँ पंछी भी कितने समझदार होते हैं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-02-2019) को "तम्बाकू दो त्याग" (चर्चा अंक-3243) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'