Tuesday, 19 February 2019

मिटाने को तेरी हस्ती देश का बच्चा भी मचल रहा है

देश के ४२ जवान नहीं शहीद  हुए हैं मरी है देश की आत्मा वह भी चंद टुकड़ों के लिए देश बेच रहे हैं देश  के बेकार  जिन के एक जीवन के कारण अब तक न जाने कितने वीर खो चुके हैं वीर जवान  हमारी लाठी हैं हमारे रक्षक  हैं  हमारी देख भल कर रहे हैं  हर नागरिक के बच्चे हैं करोड़ों देश वासियों ने अपना एक लाख के बराबर का बीटा खोया है हर देश वासी की आंख मैं आंसू हैं खून के आंसू
कायराना किया है वार
न समझना इसे हार
हमारे वीर छाती पर गोली खाते हैं
पीछे से मार  कर नहीं इतराते हैं
उसने छेड़ा है छत्ता मधुमखियों  का
जो नहीं है कायल केवल सुर्ख़ियों का
मेरा देश  केवल कहता नहीं है करना जानता है
दुश्मन की नस नस पहचानता है
कायरता से जो  छिपा वार कर रहा है
जाहिर है हमारे वीरों से डर रहा है
डरना ही चाहिए तुझे ए कायर
तुझे मिटा ने को मेरे देश का बच्चा भी मचल रहा है

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (21-02-2019) को "हिंदी साहित्य पर वज्रपात-शत-शत नमन" (चर्चा अंक-3254) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    देश के अमर शहीदों और हिन्दी साहित्य के महान आलोचक डॉ. नामवर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सत्य कहती हुयी रचना ...
    दिल में सीधे उतर रही है ... अच्छी रचना ...

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  3. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    26/02/2019 को......
    [पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......
    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  4. बहुत ही सुन्दर...

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