प्रार्थना का मुख्य काम है मनुष्य के भीतर नए विचार उत्पन्न करना। विचार सचेतावस्था मैं मौजूद रहता है जब ये विचार उतसर्जित होते हैं हैं निकलते हैं तो वास्तविकता जन्म लेती है तथा निष्कर्ष सफल घटनाओं के रूप मैं सामने आते हैं हमारे रचयिता ईश्वर ने हमारे मस्तिष्क के भीतर अपार ऊर्जा एवं योग्यता दी है प्रार्थना हमें इन शक्तियों के सदुपयोग मैं मदद करती है
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-02-2019) को "चिराग़ों को जलाए रखना" (चर्चा अंक-3236) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'